कलेक्टर श्री यादव की मौजूदगी में तिलक महाविद्यालय में हुआ लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी समारोह का आयोजन
लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन राष्ट्र पुनरुत्थान की संकल्पना का जीवंत उदाहरण
हरिशंकर पाराशर सत्यार्थ न्यूज़
कटनी – प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शासकीय तिलक महाविद्यालय में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी समारोह का आयोजन सोमवार को कलेक्टर दिलीप कुमार यादव के मुख्य आतिथ्य में किया गया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. इला घोष सेवानिवृत्त प्राचार्य, श्री पीयूष अग्रवाल जनभागीदारी अध्यक्ष, डॉ. अशोक श्रीवास्तव प्राध्यापक हिन्दी और सेवानिवृत्त प्राचार्य, समाजसेविका नीतू कनकने एवं उमा बहरे की मौजूदगी रहीं। कार्यक्रम में जिले के समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण एवं छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष माल्यार्पण और प्रज्ज्वलन के साथ ज्योत्स्ना सोनी द्वारा सरस्वती गीत से हुई । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार वाजपेई ने अतिथियों का स्वागत उद्बोधन किया।
कार्यक्रम में विषय प्रवर्तन के लिए राजनीतिशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. के.पी. मिश्रा ने की। डॉ. मिश्रा जी ने अपने वक्तव्य में लोकमाता अहिल्याबाई का जीवन राष्ट्र पुनरुत्यान की संकल्पना का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने अपने राज्य और समाज के हर पहलू में सुधार करने की कोशिश की। उनका दृष्टिकोण था कि एक समृद्ध राष्ट्र तभी संभव है जब समाज में समानता, शिक्षा और धार्मिक सहिष्णुता हो । उन्होंने भारतीय समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने और उन्हें समान अधिकार देने की दिशा में अहम कदम उठाए। उनका जीवन यह साबित करता है कि यदि नेतृत्व में दृढ़ निष्ठा और और समाज की भलाई का उद्द्देश्य हो, तो कोई भी समस्या हल की जा सकती है । उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी संकल्पना आज भी हमें प्रेरित करती है।
डॉ. इला घोष ने भी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व एवं कार्यकुशल पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज वर्तमान समय में हमें उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए और नित-प्रतिदिन आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। उनका पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं। कार्यक्रम के द्वितीय तकनीकि सत्र में डॉ.शिवानी वर्मा शासकीय महाविद्यालय बरही द्वारा लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके शासन में न्याय प्रणाली , उनकी कार्यशैली की जानकारी प्रदान की
डॉ. रितु त्रिपाठी, डॉ. विजय कुमार , समाजसेविका नीतू कनकने, उमा बहरे ने भी अपने वक्तव्य के माध्यम से अहिल्याबाई होलकर के शासन व्यवस्था एवं उनके कार्य- कुशलता पर प्रकाश डाला। सांस्कृतिक पुनरुत्थान के क्षेत्र में अहिल्याबाई ने भारतीय संस्कृति और कला को भी पुनर्जीवित करने के लिए कार्य किए। वे मानती थीं कि एक राष्ट्र की पहचान उसकी सांस्कृतिक धरोहर से होती है और उसे संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कई ऐतिहासिक मंदिरों का पुर्ननिर्माण किया, जिनमें महेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर शामिल था। इसके अलावा उन्होंने भारतीय साहित्य और कला को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए । उनके समय में धार्मिक यात्रा मार्गों का निर्माण हुआ । अहिल्याबाई ने भारतीय संस्कृति को संरक्षण देने के साथ-साथ उसे पूरे देश में प्रचारित किया।
कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर ने भारत के लगभग एक सौ तीस विभिन्न तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों के घाटों का निर्माण कराया। कुछ मंदिरों में शिक्षा केन्द्र, व्यायाम शालाएँ तथा अन्नक्षेत्र आरंभ किए। तीस मंदिरों में संत निवास और प्रवचन कक्ष और प्रांगण बनवाए। यह निर्माण कार्य इतनी गुणवत्तापूर्ण थे कि लगभग ढाई सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी यथावत है। गुजरात सोमनाथ मंदिर सभी ज्योतिर्लिंग, बद्रीनाथ धाम, द्वारिका, मथुरा,श्रीकृष्ण मंदिर जगन्नाथपुरी, वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर और मणिकर्णिका निर्माण कराया जो आज भी भारत की अमूल्य धरोहर है। जनभागीदारी अध्यक्ष श्री पीयूष अग्रवाल जी द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जी के बारे में बात करते हुए लोक कल्याण के प्रति उनके योगदान की जानकारी दी एवं उनके जीवन को युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
इस कार्यक्रम में डॉ. चित्रा प्रभात, डॉ. सुधीर कुमार खरे, डॉ. विनय बाजपेई, डॉ. एम. पी. यादव, डॉ. के.पी. मिश्रा, प्रोफे. जी.एम. मुस्तफा, डॉ. आर.पी. सिंह, डॉ. सरदार दिवाकर, श्रीमती लक्ष्मीनायक, श्रीमती नाहिद सिद्दकी, डॉ. प्रतिमा त्रिपाठी, श्रीमती उर्मिला दुबे, श्रीमती ज्योत्स्ना आठ्या, डॉ. सुचि सिंह, डॉ. राजश्री शर्मा, डॉ. शैलजा बरसैया, डॉ. रितु त्रिपाठी, डॉ. अजय कुमार ठाकुर, डॉ. राजकुमार,डॉ. सुनील कुमार,डॉ. अतुल कुमार, डॉ. विजय कुमार, डॉ ज्ञानेन्द्र मोहन श्रीवास्तव एवं अन्य शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. माधुरी गर्ग विभागाध्यक्ष हिन्दी के द्वारा किया और आभार प्रदर्शन प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बाजपेई द्वारा किया ग