मिरज शहर की शान ‘लक्ष्मी मार्केट’ भवन; भवन के संरक्षण और मरम्मत की जरुरत; जल्द हि इस भव्य इमारत कि लाईट और कलर का काम शुरु करेंगे; कमिश्नर रविकांत अडसुलजी का बयान
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Sudhir
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रिपोर्टर प्रवीण सिंह राजपूत
मिरज तहसील से
इस बात के प्रमाण मौजूद हैं कि ऐतिहासिक तटीय शहर मिराज आदिलशाही काल से अस्तित्व में था। यहां का भुईकोट किला अब मलबे में तब्दील हो चुका है। वर्तमान में मिरज में कुछ ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिनमें से एक सल्तनत काल की शानदार लक्ष्मी मार्केट इमारत है। तत्कालीन स्थानीय प्रमुख गंगाधरराव पटवर्धन के समय निर्मित यह संरचना बहुत अच्छी तरह से योजनाबद्ध थी और शहर के केंद्र में बनाई गई थी। 1932 में निर्मित यह संरचना अब अपने अंतिम क्षणों की तैयारी कर रही है। इस इमारत के दुकानदारों ने इमारत को पूरी तरह से ख़राब कर दिया है। सबसे ऊपरी मंजिल पर आधार कार्ड केंद्र है। इसके अलावा नगर निगम के विभिन्न विभाग भी यहां काम कर रहे हैं। इस इमारत के टॉवर पर एक बड़ी घड़ी चलती थी। पुराने लोग आज भी कहते हैं कि एक समय था जब मिरजकर की पूरी आबादी इस घड़ी की टिक-टिक सुन सकती थी। समय के साथ इस घड़ी ने काम करना बंद कर दिया। हालांकि, बीच में कुछ सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने घड़ी की मरम्मत करवाई, लेकिन बाद में यह उपेक्षित हो गई और इसने काम करना बंद कर दिया। कुछ साल पहले कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस इमारत की रंगाई-पुताई कराई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में वह रंग भी फीका पड़ गया। पूर्व संरक्षक मंत्री ने इस भवन के जीर्णोद्धार के लिए धनराशि भी स्वीकृत की थी, लेकिन इस बाजार के अंदर टाइलें लगाने के अलावा कोई सुधार नहीं किया गया। वर्तमान में इस भवन के निर्माण का कुछ हिस्सा जर्जर अवस्था में है तथा भविष्य में यह गिर सकता है। नागरिकों का मानना है कि नगर निगम को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। इस बीच राज्य पटवर्धन ने भी इस मद पर दावा ठोका था और दुकानों के किराए की वसूली को लेकर भी चर्चा चल रही थी। लेकिन सभी मिरजकर नागरिकों की यह जिम्मेदारी है कि वे इस इमारत के संरक्षण पर ध्यान दें, जो मिरज की पहचान का विषय है।
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