नई दिल्ली:- भारत ने संयुक्त राष्ट्र(यूएन) में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए समुद्री और आतंकवाद विरोधी रणनीति सबसे अहम बताया है। आतंकवाद और समुद्री सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने पूरी दुनिया को आईना भी दिखाने का काम किया है। आतंकवाद के खिलाफ और समुद्री सुरक्षा के पक्ष में भारत की गर्जना से दुश्मन देश भी टेंशन में आ गए हैं।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि वह समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि हमारा देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उभरते खतरों और भू-राजनीतिक बदलावों के मद्देनज़र अपनी रणनीति को निरंतर मजबूत कर रहा है।
भारत का कदम वैश्विक स्थिरता की ओर
राजदूत हरीश ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में ‘वैश्विक स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना’ विषय पर आयोजित उच्च स्तरीय खुली बहस को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “भारत की तटरेखा लंबी है और यह समुद्री यात्राओं व शक्तिशाली नौसैनिक क्षमताओं वाला देश है। इसलिए भारत एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में अपने हितों की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभा रहा है।”
समुद्री सुरक्षा आर्थिक प्रगति की आधारशिला
राजदूत हरीश ने कहा कि भारत की समुद्री रणनीति मजबूत रक्षा क्षमताओं, क्षेत्रीय कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और घरेलू अवसंरचना विकास के संतुलन पर आधारित है। भारत का मानना है कि समुद्री सुरक्षा आर्थिक प्रगति की आधारशिला है क्योंकि प्रमुख व्यापारिक मार्ग, ऊर्जा आपूर्ति और रणनीतिक हित महासागरों से जुड़े हैं। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह समुद्री क्षेत्र में एक स्वतंत्र, मुक्त और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून सम्मेलन (UNCLOS) के सिद्धांतों का पूरी तरह समर्थन करता है।
यूएन ने आतंकवाद और समुद्री डकैतों पर जताई चिंता
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों का पालन करना चाहिए। उन्होंने चेताया कि समुद्री डकैती, तस्करी, संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे खतरे वैश्विक शांति, व्यापार और आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौतियां हैं। इससे निपटने में सुरक्षा परिषद लगातार प्रयासरत है.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि वह समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मानता है।
भारत ने कहा कि उसने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नए खतरों और भू-राजनीतिक बदलाव के जवाब में अपनी रणनीति विकसित करना जारी रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पर्वतनेनी हरीश ने मंगलवार को कहा, ‘‘लंबी तटरेखा, समुद्री यात्रा करने वालों की अत्यधिक संख्या और सक्षम समुद्री बलों वाला भारत अपने हितों की रक्षा करने तथा उभरते खतरों से निपटने के लिए एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को सक्रिय रूप से निभा रहा है।’’
उन्होंने मई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अध्यक्ष यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस की अध्यक्षता में ‘अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखना: वैश्विक स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना’ विषय पर आयोजित यूएनएससी की उच्च स्तरीय खुली बहस को संबोधित किया।
हरीश ने कहा, ‘‘भारत समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करने को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानता है। इसका दृष्टिकोण मजबूत रक्षा क्षमताओं, क्षेत्रीय कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और घरेलू बुनियादी ढांचे के विकास को संतुलित करता है। भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नए खतरों और भू-राजनीतिक बदलाव के जवाब में अपनी रणनीति विकसित करना जारी रखा है।’’
भारत ने रेखांकित किया कि समुद्री सुरक्षा आर्थिक विकास की आधारशिला है क्योंकि महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग, ऊर्जा आपूर्ति और भू-राजनीतिक हित महासागरों से जुड़े हुए हैं। हरीश ने कहा कि भारत समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के सिद्धांतों के अनुसार एक स्वतंत्र, खुली और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने उच्च स्तरीय चर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि चर्चा इस बात पर जोर देती है कि समुद्री सुरक्षा को बनाए रखने की बुनियादी शर्त यही है कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर और यूएनसीएलओएस में दर्शाए गए अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करें।
गुतारेस ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा परिषद ने समुद्री सुरक्षा और वैश्विक शांति को कमजोर करने वाले कई खतरों से निपटने की कोशिश की है, जिसमें समुद्री डकैती, हथियारबंद डकैती, तस्करी और संगठित अपराध से लेकर नौवहन, अपतटीय प्रतिष्ठानों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खिलाफ विनाशकारी कृत्य तथा समुद्री क्षेत्र में आतंकवाद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण खतरे हैं।
समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है भारत’
राजदूत हरीश ने कहा, भारत के पास लंबा समुद्री तट, मजबूत नौसैनिक ताकत और समुद्री समुदाय है। इस कारण भारत एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति की भूमिका निभा रहा है। भारत की रणनीति पारंपरिक खतरों (जैसे– अन्य देशों से सैन्य खतरे) और गैर-पारंपरिक खतरों (जैसे– पायरेसी, नशीली दवाओं की तस्करी, अवैध मानव प्रवास, गैर-कानूनी मछली पकड़ना, आतंकवाद) से निपटने के लिए बनाई गई है। भारत ‘यूएन समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस)’ के सिद्धांतों के अनुसार एक मुक्त, खुला और नियम आधारित समुद्री व्यवस्था को बढ़ावा दे रहा है। भारत समुद्री क्षमता निर्माण, समुद्री रणनीति, सुरक्षा और प्रशासन को मजबूत करने पर काम कर रहा है।
समुद्री सुरक्षा क्यों है जरूरी?
इस दौरान राजदूत हरीश ने बताया कि, समुद्री सुरक्षा भारत की आर्थिक वृद्धि की रीढ़ है क्योंकि व्यापार मार्ग, ऊर्जा आपूर्ति और रणनीतिक हित समुद्रों से जुड़े हैं। भारत क्षेत्रीय कूटनीति, मजबूत रक्षा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और घरेलू ढांचे को संतुलित रखते हुए आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अगस्त 2021 में समुद्री सुरक्षा पर यूएनएससी की पहली खुली बहस में भी पांच मूलभूत सिद्धांत दिए थे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की चेतावनी
वहीं यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बहस में कहा कि, समुद्री सुरक्षा के लिए जरूरी है कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करें। 2025 की पहली तिमाही में समुद्री हमलों की संख्या में 47.5% की तेज बढ़ोतरी दर्ज हुई है। एशिया में विशेष रूप से मलक्का और सिंगापुर की खाड़ियों में घटनाएं दोगुनी हो गई हैं। रेड सी और गल्फ ऑफ एडन में हूती विद्रोहियों द्वारा व्यापारिक जहाजों पर हमले, व्यापार को प्रभावित कर रहे हैं। भारतीय महासागर के रास्ते अफगान हेरोइन पूर्वी अफ्रीका पहुंच रही है, और कोकीन अटलांटिक पार कर यूरोप आ रही है। साइबर हमले भी बंदरगाहों और शिपिंग कंपनियों के लिए नया खतरा बन रहे हैं।
भारत की कार्रवाई और उपलब्धियां
भारतीय राजदूत पी. हरीश ने जानकारी देते हुए बताया कि, पिछले साल भारतीय नौसेना ने 35 से अधिक जहाज तैनात किए। 1000 से अधिक जहाजों की जांच की। 30 से ज्यादा घटनाओं में त्वरित प्रतिक्रिया देकर 520 से अधिक लोगों की जान बचाई, चाहे उनकी नागरिकता कुछ भी हो। 312 से ज्यादा व्यापारिक जहाजों की सुरक्षित एस्कॉर्टिंग की गई, जिनमें 11.9 मिलियन मीट्रिक टन माल था, जिसकी कीमत 5.3 बिलियन डॉलर से अधिक है। भारत सर्च एंड रेस्क्यू (एसएआर) और मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में।
भारतीय नौसेना ने पश्चिमी अरब सागर में 35 से अधिक जहाजों की तैनाती की है
उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘महासागर’ के दृष्टिकोण पर आधारित है, जो क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति का संक्षिप्त नाम है। उन्होंने कहा कि यह समुद्र में सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देता है और इसे वैश्विक स्तर पर लागू किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने पश्चिमी अरब सागर में शिपिंग हमलों और समुद्री डकैती के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिक्रिया का हवाला दिया। बताया कि भारतीय नौसेना ने पश्चिमी अरब सागर में 35 से अधिक जहाजों की तैनाती की, 30 घटनाओं का जवाब दिया और 1,000 से अधिक बोर्डिंग ऑपरेशन किए, जिससे सैकड़ों नाविकों और करोड़ों डॉलर के व्यापारिक जहाजों को बचाया गया।
अब तक लगभग 520 चालक दल के सदस्यों और अन्य लोगों की जान बचाई जा चुकी है, साथ ही 312 व्यापारी जहाजों की सफलतापूर्वक रक्षा की गई है
उन्होंने कहा कि इनसे लगभग 520 चालक दल के सदस्यों और विभिन्न लोगों की जान बच गई और 312 व्यापारी जहाजों की रक्षा हुई, जिनमें 11.9 मिलियन टन से अधिक माल था, जिसका मूल्य 5.3 बिलियन डॉलर से अधिक था। भारत की नौसेना हूती विद्रोहियों के हमलों से जहाजों की रक्षा करने और लाल सागर क्षेत्र में प्रभावित जहाजों के चालक दल को बचाने के साथ-साथ समुद्री डाकुओं से सुरक्षा करने में सक्रिय थी। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब टाइफून यागी ने हमला किया था, तब भारत ने म्यांमार, लाओस और वियतनाम में राहत अभियान चलाए थे।
भारत समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ भी काम करता है
हरीश ने कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ भी काम करता है, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों में भाग लेता है। उन्होंने कहा कि इनमें से एक पिछले महीने दस अफ्रीकी देशों के साथ एक बड़े पैमाने पर अभ्यास था, ‘ऐक्यम्’, एकता के लिए संस्कृत शब्द, जो “अफ्रीका भारत प्रमुख समुद्री जुड़ाव” के संक्षिप्त रूप से बना है। तंजानिया द्वारा सह-आयोजित छह दिवसीय अभ्यास उसके तट पर आयोजित किया गया था, और जिबूती से दक्षिण अफ्रीका तक नौ अफ्रीकी देशों ने इसमें भाग लिया था।