प्रेस एवं पुलिस लिखे गाड़ियों की होगी सख्त जांचः डीजीपी
पत्रकार – अनुनय कु० उपाध्याय
पटना , बिहार।
बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने प्रेस / पुलिस / एवं आर्मी लिखे वाहनों की सख्ती और संवेदनशीलता के साथ जांच करने का आदेश दिया है। डीजीपी ने कहा कि प्रेस एवं पुलिस लिखी गाड़ियों का सामाजिक तत्व उपयोग कर रहे हैं और उसे आपराधिक गतिविधियों का संचालन कर रहे है। डीजीपी श्री कुमार ने इस आशय का एक पत्र राज्य के तमाम जोन के आईजी, डीआईजी, जिलों के एसपी और एसएसपी को इस आशय का एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि प्रेस पुलिस और आर्मी लिखे वाहनों का गैर पेशेवर लोग उपयोग कर रहे हैं। श्री कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि प्राय यह देखा जाता है कि प्रेस एवं पुलिस लिखा वाहनों पर उनके असली मालिक सवार नहीं होते हैं और गैर पेशेवरलोग ऐसे वाहनों पर सवार होकर और असामाजिक एवं अपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। डीजीपी ने तमाम पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रेस एवं पुलिस लिखा वाहनों की गहनता और संवेदनशीलता के साथ जांच की जाए। जांच में दोषी पाए गए वाहन सवार और मालिक पर विधि सम्मत एवं यातायात नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं इस आदेश को लेकर भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के संस्थापक सह राष्ट्रीय महासचिव ने डीजीपी बिहार से पूछा है कि पत्रकार को भीड़ का हिस्सा नहीं समझने के लिए उच्चतम न्यायलय ने कई बार निर्देश जारी किया है, आप के पास पत्रकारों को भीड़ का हिस्सा नहीं समझने के लिए क्या कार्ययोजना है इसे भी स्पष्ट करना चाहिए। बिहार के
पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने प्रेस / पुलिस / एवं आर्मी लिखे वाहनों की सख्ती और संवेदनशीलता के साथ जांच करने का आदेश दिया है। डीजीपी ने कहा कि प्रेस एवं पुलिस लिखी गाड़ियों का सामाजिक तत्व उपयोग कर रहे हैं और उसे आपराधिक गतिविधियों का संचालन कर रहे है। डीजीपी श्री कुमार ने इस आशय का एक पत्र राज्य के तमाम जोन के आईजी, डीआईजी, जिलों के एसपी और एसएसपी को इस आशय का एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि प्रेस पुलिस और आर्मी लिखे वाहनों का गैर पेशेवर लोग उपयोग कर रहे हैं। श्री कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि प्राय यह देखा जाता है कि प्रेस एवं पुलिस लिखा वाहनों पर उनके असली मालिक सवार नहीं होते हैं और गैर पेशेवरलोग ऐसे वाहनों पर सवार होकर और असामाजिक एवं अपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। डीजीपी ने तमाम पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रेस एवं पुलिस लिखा वाहनों की गहनता और संवेदनशीलता के साथ जांच की जाए। जांच में दोषी पाए गए वाहन सवार और मालिक पर विधि सम्मत एवं यातायात नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं इस आदेश को लेकर भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के संस्थापक सह राष्ट्रीय महासचिव ने डीजीपी बिहार से पूछा है कि पत्रकार को भीड़ का हिस्सा नहीं समझने के लिए उच्चतम न्यायलय ने कई बार निर्देश जारी किया है, आप के पास पत्रकारों को भीड़ का हिस्सा नहीं समझने के लिए क्या कार्ययोजना है इसे भी स्पष्ट करना चाहिए। बिहार के
पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने प्रेस / पुलिस / एवं आर्मी लिखे वाहनों की सख्ती और संवेदनशीलता के साथ जांच करने का आदेश दिया है। डीजीपी ने कहा कि प्रेस एवं पुलिस लिखी गाड़ियों का सामाजिक तत्व उपयोग कर रहे हैं और उसे आपराधिक गतिविधियों का संचालन कर रहे है। डीजीपी श्री कुमार ने इस आशय का एक पत्र राज्य के तमाम जोन के आईजी, डीआईजी, जिलों के एसपी और एसएसपी को इस आशय का एक पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि प्रेस पुलिस और आर्मी लिखे वाहनों का गैर पेशेवर लोग उपयोग कर रहे हैं। श्री कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि प्राय यह देखा जाता है कि प्रेस एवं पुलिस लिखा वाहनों पर उनके असली मालिक सवार नहीं होते हैं और गैर पेशेवरलोग ऐसे वाहनों पर सवार होकर और असामाजिक एवं अपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए गए हैं। डीजीपी ने तमाम पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रेस एवं पुलिस लिखा वाहनों की गहनता और संवेदनशीलता के साथ जांच की जाए। जांच में दोषी पाए गए वाहन सवार और मालिक पर विधि सम्मत एवं यातायात नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं इस आदेश को लेकर भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के संस्थापक सह राष्ट्रीय महासचिव ने डीजीपी बिहार से पूछा है कि पत्रकार को भीड़ का हिस्सा नहीं समझने के लिए उच्चतम न्यायलय ने कई बार निर्देश जारी किया है, आप के पास पत्रकारों को भीड़ का हिस्सा नहीं समझने के लिए क्या कार्ययोजना है इसे भी स्पष्ट करना चाहिए। BSPS संस्थापक ने कहा कि पत्रकारों के लिए बिहार सरकार स्पेशल ‘पत्रकार पास’ वाहन के लिए जारी कर फर्जीवाड़ा पर रोक लगा सकती है।