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 सबके गीत समान रे

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🙏🌹 श्री सरस्वत्यै नमः🌹🙏

कैमूर

 

 सबके गीत समान रे

कविता- धरती प्यारी, अंबर प्यारा , प्यारा हर इंसान रे

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धरती प्यारी, अंबर प्यारा ।
प्यारा हर इंसान रे ।।
सरगम चाहे अलग-अलग ।
पर सबके गीत समान रे ।।१।।

हम भारत के वीर सिपाही ।
सेवा अपना धर्म है ।।
चरणों में आँधी की गति।
और हाथों में कर्म है।।२।।

रहते हम तैयार हमेशा ।
भ्रात प्रेम के नाम पर।।
करते सब विश्वास हमारा ।
यही अनोखा मर्म है ।।३।।

समता प्यारी, ममता प्यारी ।
प्यारा नव उत्थान रे।।
सरगम चाहे अलग-अलग।
पर सबके गीत समान रे।।४।।

हिंदू- मुस्लिम- सिख-ईसाई ।
सब बाहर के नाम हैं ।।
सबके भीतर रमे हुए बस ।
एक सरीखे राम हैं।।५।।

सबको यही सिखाते भैया ।
गीता और कुरान हैं।।
मन के द्वार खुले हैं ।
फिर क्या हिन्दू क्या इस्लाम है।।६।।

मंदिर प्यार मस्जिद प्यारी ।
प्यारे देव स्थान रे ।।
सरगम चाहे अलग अलग ।
पर सब के गीत समान रे ।।७।।

हर मानव को गले लगा कर ।
पूछो मन की बात रे ।।
सुखे उपवन को दे दो ।
तुम सावन की बरसात रे।।८।।

काॅंटो की पीड़ा पर रखो ।
फूलों की मुस्कान रे ।
कलियों के घर पहुंचा दो ।
तुम शबनम की सौगात रे ।।९।।

तितली प्यारी भॅंवरे प्यारे।
प्यारा हर उद्यान रे।
सरगम चाहे अलग अलग।
पर सबके गीत समान रे।।१०।।
————————————–
रचनाकार/छात्र – आराध्या कुमारी उपाध्याय

एम. एस. आई. टी पब्लिक स्कूल

भभुआ, कैमूर, बिहार ।

ब्यूरो चीफ, सत्यम कुमार उपाध्याय
7061837274
E-mail ID drsatyamkumarupadhyay@gmail.com
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