कैमूर/बिहार
मुठानी में चल रहे 7 दिवसीय ज्ञान यज्ञ का भव्य तरीके से किया गया समापन: डॉ. पुण्डरीक शास्त्री जी ” काशी ”
कैमूर। मुठानी में चल रहे सात दिवसीय ज्ञान यज्ञ का भव्य तरीके से किया गया समापन। वहीं कथा वाचक डॉ. पुण्डरीक शास्त्री जी ‘ काशी ‘ के द्वारा कथा के माध्यम से बताया गया की जीवन में व्यक्ति जो कुछ चाहता है उसे भगवान के द्वारा सरलतम रूप में साधारण रूप में आसानी से प्राप्त हो जाता है। बिना भगवान के संसार में रहना मुश्किल है। भगवान का कहते हैं जब भक्त मुझे पुकारता है तो मैं दौड़ कर के आ जाता हुं। भगवान भक्त के बस में है, भक्त चाहे तो भगवान को जहां चाहे वहां बैठा सकता है। भागवत भगवान के कथा से सब कुछ की प्राप्ति हो जाती है। भागवत के माध्यम से जीवन में मधुरियता प्राप्त होती है । जब भक्त के ऊपर विपत्ति आती है तो भगवान दौड़े आ जाते हैं। जो भगवान का भक्त होता है उसे किसी चीज की जरूरत नहीं पड़ती कल्युग में भगवान का कृतन करने से भक्त भवसागर पार हो जाता है। और उन्होंने ने आगे बताया की गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को उसके द्वारा किए गए कर्मों के अनुसार ही फल प्राप्त होता है। इसलिए मनुष्य को सदैव सत्कर्म करने चाहिए। गीता में कही गई इन बातों को प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में मानना चाहिए। वही शास्त्री जी का कहना है की भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि आत्म मंथन करके स्वयं को पहचानो क्योंकि जब स्वयं को पहचानोगे तभी क्षमता का आंकलन कर पाओगे। ज्ञान रूपी तलवार से अज्ञान को काट कर अलग कर देना चाहिए। जब व्यक्ति अपनी क्षमता का आंकलन कर लेता है तभी उसका उद्धार हो पाता है। वही उनका कहना है की
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मृत्यु एक अटल सत्य है, किंतु केवल यह शरीर नश्वर है। आत्मा अजर अमर है, आत्मा को कोई काट नहीं सकता अग्नि जला नहीं सकती और पानी गीला नहीं कर सकता। जिस प्रकार से एक वस्त्र बदलकर दूसरे वस्त्र धारण किए जाते हैं उसी प्रकार आत्मा एक शरीर का त्याग करके दूसरे जीव में प्रवेश करती है। वहीं कथा में ओम तिवारी, श्रीमती अनिता तिवारी एवं समस्त भागवत भक्त शामिल हुए।
ब्यूरो चीफ, सत्यम कुमार उपाध्याय
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