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छपरा में भीषण गर्मी से मिट्‌टी के बर्तनों की बढ़ी डिमांड, लोगों को भा रहा है देशी फ्रीज

सम्पादक प्रदीप कुमार राय जिला सारण

छपरा में भीषण गर्मी से मिट्टी के बर्तनों की बढ़ी डिमांड, लोगों को भा रहा है देशी फ्रीज 

गर्मी का मौसम इन दिनों अपने शबाब पर है। गांव व कस्बे के मटका बनाने वाला कुम्हार का चलता हुआ चाक हमें यादों में ले जाता है इन दिनों मिट्टी के बने बर्तनों की मांग अधिक बढ़ गई है गरीबो का फ्रिज कहे जाने वाले चिकनी मिट्टी के मटकों की खपत अधिक होने लगी है।

गर्मी का असर प्रतिदिन बढ़ते नजर आने लगा है। गर्मी बढ़ते ही मिट्टी के बर्तनों की मांग भी बढ़ने लगी है। इससे शहर में जगह जगह बाजारों में मिट्टी के बर्तन बेची जाने लगी हैं। सेहत के हिसाब से भी मिट्टी के बर्तन काफी लाभदायक रहते हैं। इससे शरीर पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है।

शहरवासियों के सुख-सुविधाएं और रहन-सहन में दृढ़ संकल्पों का विकल्प बन जाए और साधन-संसाधनों की वजह से लम्बे-चौड़े बदलाव हो गया हो, लेकिन देशी मटकों का विकल्प बनने में अभी और लम्बे समय लगेगा।पुराने जमाने से ही पानी को ठंडा रखने के लिए मटकों का उपयोग किया जा रहा है, जो अब भी जारी है। हालांकि पानी को ठंडा रखने के लिए बाजार में कई प्रकार के संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन देशी मिट्टी के मटके के पानी का स्वाद अब भी शहरवासियों को भा रहा है।

शहर के इन स्थानों पर मटकों की सजीं दुकानें पिछले दिनों से जैसे ही गर्मी बढ़ी है। इससे तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है। वहीं मिट्टी के आकर्षक केंपर भी तैयार किए जा रहे हैं। मिट्टी के केंपर भी 300 से 400 रुपये में बिक रहा है। शहर में साहेबगंज, योगिनिया कोठी दुर्गा मंदिर, भगवान बाजार, श्याम चक सहित सभी ग्रामीण क्षेत्रों में भी मिट्टी के मटकों की बाजार सज चुकी है।

 

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