अहंकार एक बिंदु।
न्यूज रिपोर्टर (Satyarath News) – अनुनय कु० उपाध्याय।
धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन अध्यापन के अनुसार हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है अहंकार। अहंकार से मनुष्य को बुद्धि नष्ट हो जाती है। अहंकार से जान का नाश हो जाता है। अहंकार होने से मनुष्य के सब काम बिगड़ जाते हैं। जब हम कामयाबी की ओर बढ़ते हैं तो हमारे साथ अहंकार भी बढ़ता है और जब हम असफल होते हैं तो अहंकार भी उत्तरता जाता है। जीवन में जिस किसों सफलता से आपको अहंकार पकड़ ले, समझ लेना कि आपके आगे बढ़ने की सीमा खत्म हो चुकी है और अब आप यहां से सिर्फ नीचे जा सकते हैं। जब हम आसमान पर है, तो जमीन पर पैर नहीं पड़ते, लेकिन जब हम जमीन पर रहकर आसमान को छूते हैं, तो हमारा धरातल नहीं खिसकता।
अहंकार पराजय का द्वार है। यह यश का नाश करता है। अहंकार का फल कोध है। अहंकार में व्यक्ति अपने को दूसरों से श्रेष्ठ समझता है। वाह जिस किसी को अपने से सुखों संपन्न देखता है, उससे ईष्यां कर बैठता है। संन्यासी का आशय सजा समझ गए और उन्होंने वचन दिया कि वह अपने भीतर से आहेकार को निकाल कर रहेंगे। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आपके मन से अहं निकल जाए, तो समझे कि हम जीत गए, क्योंकि अहं का एकात्म ही अहकार का मूल तत्व है। रावण जैसे जानों और योद्धा को जब अहंकार हुआ तब उसका सब कुछ नष्ट हो गया। इंसान जब कुछ पा लेता है, तो वह अपने आपको श्रेष्ठ समझने लगता है और फिर अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन करने लगता है। अपनो योग्यता का प्रदर्शन जरूर करना चाहिए, लेकिन वह कुमुनु की तरह नहीं होना चाहिए, जो अपनी चमक से अपने हो व्यक्तित्व को चमकाता है बल्कि सूर्य की तरह होनों चाहिए, जो अपनी रोशनों से सभी को लाभ देह है।
इंसान में चार प्रकार के विकार अभन्न होते हैं। अहंकार मनुष्य में उत्पन्न होने वाला चौधा विकार है। इसान में प्रथम उत्पन्न होने वाले तीनों विकार (मोह लोभ काम व्यक्ति को कुछ पाने के लिए प्रेरित करते हैं, लेकिन जब मनचाही कातु और विषय मनुष्य को प्राप्त हो जाते हैं, तो उसमें अहंकार ऊपन्न हो जाता है। कैसे आकार के बैंक विपरीत होती है विनम्रता। कब हम अपनी गलती स्वीकार करते हैं, ईमानदारों से अपना काम करते हैं, तो हम आमे बढ़ते जाते हैं। अहंकार हमेशा बुरे लोगों का साथ देता है , जबकि विनम्रता अच्छे लोगों का। यह हमें करना है कि अहंकार के साथ चलना है या फिर विनम्रता के साथ।