पर्यावरणीय संरक्षण और विकास के लिए सतत जीवन शैली में परिवर्तन है आवश्यक
जीवन शैली में परिवर्तन से ही बच सकती है पृथ्वी एवं पर्यावरण
हरिशंकर पाराशर सत्यार्थ न्यूज़
कटनी – शासकीय महाविद्यालय बरही जिला में संचालित ईको क्लब द्वारा प्राचार्य प्रो. आर. के. त्रिपाठी के मार्गदर्शन एवं प्रभारी प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे के निर्देशन तथा प्रभारी डॉ अरविन्द सिंह के नेतृत्व में पर्यावरण शिक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत सतत जीवन शैली पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में डॉ रुकमणी प्रताप सिंह जिला संगठक राष्ट्रीय सेवा योजना मुख्य अतिथि एवं प्रो. आनन्द प्रताप सिंह शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यशाला का शुभारंभ विद्या की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना के साथ किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सर्वप्रथम उपस्थित सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ देकर एवं बैच लगाकर स्वागत किया गया। अगले चरण में प्रभारी डॉ. अरविन्द सिंह ने कहा कि मानवीय गतिविधियों के माध्यम से प्रकृति में लगातार बढ़ते दखल के कारण पृथ्वी पर बहुत से प्राकृतिक संसाधनों का विनाश हो रहा है,
आधुनिक जीवनशैली, पृथ्वी पर पेड़-पौधों की कमी, पर्यावरण प्रदूषण का विकराल रूप, प्रकृति का बेदर्दी से दोहन आदि कारणों से मानव और प्रकृति के बीच असंतुलन की भयावह खाई उत्पन्न हो रही है। जिस कारण हम जलवायु परिवर्तन और प्रदूषित वातावरण के बढ़ते खतरे लगातार अनुभव कर रहे हैं। मुख्य वक्ता श्री आनन्द प्रताप सिंह ने कहां कि सिर्फ चिंता जताने से नहीं कम होगा पर्यावरण प्रदूषण बल्कि हमारे छोटे छोटे प्रयासों से जल, मृदा एवं पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा, साथ ही कहां कि सही रूप से अपशिष्ट प्रबंधन जिसमें एकल उपयोग प्लास्टिक, औद्योगिक अपशिष्ट, खतरनाक सामग्री और घरेलू कचरा एवं कॉम्पोस्टिंग भी पर्यावरण संरक्षण का एक प्रभावी तरीका हो सकता है। भोजन अपशिष्ट और अन्य कार्बनिक सामग्री की कम्पोस्टिंग करके पोषक भूमि बना सकते हैं। मुख्य अतिथि डॉ रुकमणी प्रताप सिंह ने अपने उद्बोधन में कहां कि हमें व्यक्तिगत व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए, जल प्रकृति की अमूल्य देन है,
इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। हर बूंद का महत्व समझें और इसे व्यर्थ न जाने दें। प्रत्येक व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे प्रयास करके बड़ा योगदान दे सकता है। जैसे नल बंद रखना, पानी के रिसाव को रोकना, कृषि में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग करना साथ ही वर्षा जल संचयन और पुनः उपयोग हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, सिंगल यूज प्लास्टिक, तथा घरों एवं भण्डारों में होने वाले खाद्य पदार्थों के अपव्यय जैसे विषयों पर चर्चा की गई। प्रभारी प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे ने उपस्थित स्टाफ के सदस्यों, विद्यार्थियों को पर्यावरण एवं जल संरक्षण की शपथ दिलाकर अपने परिवार, आस पास एवं पहचान के लोगों को भी जागरूक करने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ रश्मि त्रिपाठी एवं आभार प्रदर्शन सुश्री प्रियंका तोमर द्वारा किया गया। कार्यशाला में प्रभारी प्राचार्य डॉ. एस. एस. धुर्वे, ईको क्लब प्रभारी डॉ. अरविन्द सिंह, सुश्री प्रियंका तोमर, डॉ. रश्मि त्रिपाठी, डॉ. आर. जी. सिंह, डॉ. सुनीता सिंह, डॉ. मंजु लता साहू, डॉ. के. के. निगम, डॉ. राकेश दुबे, डॉ. के. के. विश्वकर्मा, डॉ. नीलम चतुर्वेदी, डॉ. शिवानी बर्मन, श्री मनीष मिश्रा, डॉ. रूपा शर्मा, अनीता सिंह, पवन दुबे, कैश अंसारी, डॉ. कृष्णपाल सिंह, सौरभ सिंह, रावेंद्र साकेत, सोनम पाण्डेय, संतोषी तिवारी, पुष्पलता विश्वकर्मा, दीपक मिश्रा, डॉ. अरुण तिवारी, श्री एच एस वाजपेई, डॉ. चंद्रभान विश्वकर्मा, शंकर सिंह, महिमा तिवारी, अजय सेन, पूजा द्विवेदी, राजेश्वरी मिश्रा तथा स्टाफ के अन्य सदस्य, ईको क्लब, रा. से. यो. के स्वयंसेवक व विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।