भक्ति ग़ज़ल
जिला संवाददाता रोहित कुमार पाठक
कहाँ दर तुम्हारा बताओ कन्हैया
कभी दर्श अपने कराओ कन्हैया।
तुम्हें ढूँढती है हमारी निगाहें
न हमसे नज़र यूँ चुराओ कन्हैया।
कभी सारथी तुम बने पार्थ के थे
हमे राह सत की दिखाओ कन्हैया।
डराती हमें स्याह रातें ग़मों की
ख़ुशी की सहर भी दिखाओ कन्हैया।
हमारे हृदय में तुम्ही तो बसे हो
यक़ीं ग़र न हो आज़माओ कन्हैया।
थके पाँव से अब चले और कितना
हमें पार भव से कराओ कन्हैया।
कभी “उर्वशी” की नही ली ख़बर भी
दया सिंधु अब तो बहाओ कन्हैया।
🙏🌹सुप्रभात जी🌹🙏
ऊषा जैन उर्वशी कोलकाता
जिला संवाददाता रोहित कुमार पाठक