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मातृ दिवस विशेष निस्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति “माँ”

मातृ दिवस विशेष निस्वार्थ प्रेम की प्रतिमूर्ति “माँ”

चलती फिरती आँखों में अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
मुनव्वर राणा

अगर हममें से किसी से भी कोई यह प्रश्न करें कि दुनिया में निस्वार्थ प्रेम का सबसे ख़ूबसूरत उदाहरण क्या है? तो हमारे मुँह से सबसे पहले जो शब्द निकलेगा वह है “माँ”।
“माँ” सिर्फ़ एक शब्द ही नहीं बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड की सबसे सुंदर भावना है। “माँ” शब्द पुकारते ही प्रेम, त्याग, बलिदान और अनंत स्नेह की भावना यकायक हमारे ज़हन में आ जाती है। माँ की ममता किसी भी परिभाषा से परे होती है। माँ सिर्फ़ हमें जन्म ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को आकार भी देती है। हमें प्यार, देखभाल, जीवन भर समर्पण के साथ संभालती है। माँ ही हमारी पहली गुरु, रक्षक, मार्गदर्शक और मित्र भी होती है। माँ हमें समझ, दूसरों की मदद, ईमानदारी , सहानुभूति, शिष्टाचार आदि बुनियादी गुणों से परिचित कराती है। हमारी प्रतिभाओं को निखारती है। एक माँ ही है जो हमें वैसे ही स्वीकार करती है जैसे कि हम हैं।
माँ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की सबसे प्रभावशाली और सम्मानजनक व्यक्ति होती है। माँ हमारे परिवार की बुनियादी जरूरतों को तो पूरा करती ही है बल्कि हमारे परिवार को भी संभाले रखती है। प्रसिद्ध शायर आलोक श्रीवास्तव जी कहते हैं :-

घर के झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्मा

माँ हमें बिना किसी शर्त निस्वार्थ प्रेम करती है और सुनिश्चित करती है कि हम सुरक्षित, स्वस्थ और खुश रहें।
प्रसिद्ध शायर अब्बास ताबिश लिखते हैं :-

एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई “ताबिश”
मैंने एक बार कहा था मुझे डर लगता है

माँ की ममता से ही दुनियाँ में रंग हैं। माँ के प्यार का तो कोई मोल ही नहीं है। माँ इस धरती पर शक्ति का प्रतिरूप है। माँ के बिना तो यह दुनिया ही अधूरी है। जीवन के हर एक उतार-चढ़ाव में हर कदम पर एक माँ ही है जो हमारा हाथ थामें रहती है, समर्थन करती है और प्रोत्साहित करती है। माँ जीवन का विश्वास, आस, संबल, जीवन का सहारा और जीवन का सार होती है। माँ की गोद से सुंदर और सुरक्षित जगह इस दुनिया में और कोई नहीं

मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
मुनव्वर राणा

माँ वो है जो सबकी जगह ले सकती है परंतु माँ की जगह कोई और नहीं ले सकता। माँ के प्यार समर्पण को तो शब्दों में बाॅधना ही असंभव है।
स्याही ख़त्म हो गई माँ लिखते लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी
इसलिए हम सिर्फ़ मातृ दिवस ही न मनाये बल्कि अपने जीवन में माँ के महत्व को समझें और उसे भी उसी तरह प्यार और सम्मान दें जैसा की जीवन भर उसने हमें दिया है क्योंकि:-
एक दुनिया है जो समझाने से भी नहीं समझती
एक माँ है बिन बोले सब समझ जाती है

डॉo मीनाक्षी गंगवार
प्रधानाचार्या
राजकीय बालिका हाईस्कूल सोहरामऊ उन्नाव
मोo नo 9450468941

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