आचार्य रामचंद्र शुक्ल जयंती पर एक छोटी सी रचना
तुमसे सचमुच गमक रहा है,
हिंदी का साहित्य सदन।
आचार्य शुक्ल है तुम्हें नमन।
है कोटि नमन, है कोटि नमन।
तुम तो लिखकर अमर हो गए,
हिंदी का सम्यक इतिहास।
अद्भुत शोध किया है तुमने,
पतझड़ में लाया मधुमास।
तुमने अपने लेखन से ही,
अंग्रेजी का किया दमन।
आचार्य शुक्ल है तुम्हें नमन,
है कोटि नमन है कोटि नमन।
आज तुम्हारा ग्राम अगौना,
फूला नहीं समाता।
तुम पर कैसा गर्व कर रही,
अपनी भारत माता।
तुमसे ही हो रहा चतुर्दिक,
हिंदी का गुलजार चमन।
आचार्य शुक्ल है तुम्हे नमन,
है कोटि नमन, है कोटि नमन।
आज तुम्हारे ऊपर करते,
हिंदी प्रेमी शोध।
चिंतामणि को लिखकर तुमने,
दूर किया अवरोध।
अमर रहेगा नाम तुम्हारा,
जब तक सृष्टि रहेगी।
हिंदी की पावनतम गंगा,
आठों याम बहेगी।
हिंदी का प्रकाश फैलाकर,
जग को किया मगन।
आचार्य शुक्ल है तुम्हें नमन,
है कोटि नमन, है कोटि नमन।
डा. वी. के. वर्मा
आयुष चिकित्साधिकारी,
जिला चिकित्सालय बस्ती