कुरुक्षेत्र :- अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 कुरुक्षेत्र में श्री कृष्ण कृपा जीओ परिवार द्वारा गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित 5 दिवसीय दिव्य गीता सत्संग में व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि पवित्र ग्रंथ गीता दुनिया का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसमें समस्या का कारण और निवारण दोनों बताए गए हैं। गीता भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली पवित्र वाणी है। आज से पांच हजार एक सौ 61 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित बनाकर समस्त विश्व के लिए गीता का ज्ञान दिया।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 International Gita Mahotsav : गीता के उपदेश मानव जीवन के लिए सबसे अनुपम उपहार
गीता के उपदेश मानव जीवन के लिए सबसे अनुपम उपहार है। इस उपहार का सदुपयोग करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने विश्व को यह उपहार देने के लिए अर्जुन का चयन किया। उन्होंने कहा कि गीता का पहला श्लोक उस पात्र धृतराष्ट्र से प्रारंभ होता है, जिसकी अंदर और बाहर की दोनों दृष्टियां शून्य हैं। वह विवेकहीन था और मोहग्रस्त हो गया था। मोह की संर्कीणता के वशीभूत होकर धृतराष्ट्र ने अपने भाई के पुत्रों को उनका हिस्सा देने से इंकार कर दिया।
महाभारत के युद्ध के पीछे पारिवारिक कलह
गीता में बताया गया है कि महाभारत के युद्ध के पीछे पारिवारिक कलह थी। महाभारत के 10वें दिन हाहाकार और चित्कार के बीच भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश इसी धरा पर दिया था। महाभारत का युद्ध देखने के लिए मर्हिष वेदव्यास ने धृतराष्ट्र को दिव्य दृष्टि देने की पेशकश की, लेकिन धृतराष्ट्र डर गया और उसने दिव्य दृष्टि लेने से इंकार कर दिया। उसके भाग्य में नहीं था कि वह भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप के दर्शन क सके और पवित्र ग्रंथ गीता का श्रवण करे। बिना भाग्य के भी कुछ नहीं मिलता।
अहम कौरवों की हार का कारण बना
गीता मनीषी ने कहा कि जब अहम यानि मैं हावी हो जाता है तो वह हार का कारण बनता है, यहीं अहम कौरवों की हार का कारण बना। रामायण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि रावण को भी उसके अहम ने मारा था।उन्होंने कहा कि गीता में हर समस्या का पहले कारण बताया गया और फिर उसका निवारण किया गया। रामायण और महाभारत दोनों में राजसिंहासन और पारिवारिक कलह को कारण बताया गया है।
वहीं इस दौरान दिव्य गीता सत्संग में मंचासीन स्वामी निबंकाचार्य, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी नवलगिरी, स्वामी अगीतानंद, स्वामी मारूतिनंदन वागेश, स्वामी हरिओम परिजावक व स्वामी ज्ञानेश्वर सहित अनेक प्रमुख संतों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा की और विश्वभर के हिंदुओं से इकट्ठठे होने का आह्वान किया।
गीता महोत्सव ने पूरी दुनिया में बनाई अपनी एक पहचान : स्वामी ज्ञानानंद महाराज
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 में सरस और शिल्प मेले का आगाज 28 नवंबर से हो चुका है। इस महोत्सव ने पूरी दुनिया में अपनी एक पहचान बना ली है। महोत्सव की परंपरा का निर्वहन करते हुए हवन यज्ञ, गीता यज्ञ और ब्रह्मसरोवर के पूजन का कार्य किया गया। यह महोत्सव आमजन का महोत्सव बन चुका है और पूरे देश और विदेश के लोग इस महोत्सव के साथ जुड़ चुके है।
कुरुक्षेत्र में चल रहे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 का इस बार देश के पांच राज्यों के 6 विश्व प्रसिद्ध मंदिरों से भी लाइव प्रसारण शुरू हो गया है। आज मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कुरुक्षेत्र से इस लाइव प्रोग्राम को लांच किया। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि बताया कि इस बार के अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहाँ यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया सहयोगी देश है वहीं ओडीशा सहयोगी राज्य है
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अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 लाइव प्रसारण : इन मंदिरों में चलेगा लाइव प्रसारण
उन्होंने जानकारी दी कि सहयोगी राज्य ओडिशा के पूरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, गुजरात में द्वारिकाधीश, मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित श्री महाकालेश्वर मंदिर और राजस्थान की राजधानी जयपुर में ठिकाना मंदिर श्री गोविंद देव जी में अन्तर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का लाइव प्रसारण आज से शुरू हो गया है।
सभी मंदिर देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध
उन्होंने बताया कि उक्त सभी मंदिर देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं और लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं। इन मंदिरों के प्रांगण में हरियाणा सरकार द्वारा बड़े एलईडी स्क्रीन लगाकर कुरुक्षेत्र में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का लाइव प्रसारण आज से दिखाना शुरू कर दिया गया है। यह लाइव प्रसारण 11 दिसंबर तक चलेगा।
सरकार की 10 साल की उपलब्धिों को विभिन्न विभागों के स्टॉलों के माध्यम से दर्शाया
इससे पहले सभी गणमान्य ने इस बार के अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के पार्टनर देश तंजानिया के पवेलियन का उद्घाटन करने के उपरांत वहां के खान-पान, रहन-सहन, परिधानों को दर्शाने वाले स्टॉल का अवलोकन किया। इसके पश्चात उन्होंने सूचना, जनसम्पर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग की राज्य स्तरीय प्रदर्शनी का उद्घाटन व अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी के माध्यम से हरियाणा सरकार की 10 साल की उपलब्धिों को विभिन्न विभागों के स्टॉलों के माध्यम से दर्शाया गया है। इसके अलावा, उन्होंने सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। तत्पश्चात मुख्यमंत्री के साथ सभी गणमान्य, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों के साथ एक ग्रुप स्मृति चित्र भी करवाया।
सरकार के प्रयासों से गीता जयंती को मिला अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का दर्जा
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने गीता महोत्सव की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के प्रयासों से गीता जयंती को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का दर्जा मिला। उन्होंने कहा कि 28 नवंबर से अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आरम्भ हो चुका है जो 15 दिसंबर तक जारी रहेगा। इस दौरान मानव मात्र को श्रीमद्भगवद्गीता का शाश्वत संदेश दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस बार अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तंजानिया सहयोगी देश तथा ओडीशा सहयोगी राज्य है। उन्होंने कहा कि सहयोगी राज्य ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर, पुरी, उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में बांके बिहारी मंदिर, मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, गुजरात में द्वारकाधीश, उज्जैन में महाकालेश्वर और जयपुर में ठिकाना मंदिर गोविंद देव जी में अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव का लाइव प्रसारण किया जा रहा है।
8 वर्षों से इस महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से लगातार विगत 8 वर्षों से इस महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। महोत्सव में लाखों की संख्या में देश विदेश से लोग भाग लेने के लिए पहुंचते हैं, जो हमारे लिए गर्व की बात है। पिछले वर्ष लगभग 45 से 50 लाख लोगों ने हिस्सेदारी की थी। इस बार भी लाखों लोगों के यहां पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में 18 हजार विद्यार्थियों के साथ वैश्विक गीता पाठ, हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा विभिन्न राज्यों के कलाकारों के सांस्कृतिक कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय गीता सेमिनार, ब्रह्मसरोवर की महाआरती, दीपोत्सव, 48 कोस के 182 तीर्थों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहेंगे।