कविता –`मैं हिंदी हूं `
मै हिंदी हूं ।
अति रोज सजती और संवरती भारत माता के माथे की मैं बिंदी हूं।।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
पूरब से पश्चिम तट तक
उतर से दक्षिण तट तक
लोगों के मुखरित वाणी का परम पुनीत कालिंदी हूं।।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
कोटि शब्द और कोटि वाक्य में
कोटि–कोटि भाषाओं में
भाषा के जगमग ज्योति का दिव्य पुंज आनंदी हूं।।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
कभी इत देखूं, कभी उत देखूं
जग के विख्यात समर देखूं
इस विश्वधरा के आंगन में,मै नन्ही प्यारी सानंदी हूं।।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
कोई प्रेमपत्र, कोई राजपत्र
किसी लोक पत्र की बोली हूं,
संस्कृत हमारी माता है, उर्दू के संग मुंहबोली हूं।।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
कोटिक कवित, कोटिक खिस्से
कुछ मुहावरे और लोकोक्ति।
कुछ वृहद शब्दकोषों में बिखरी हुई मै साबिंदी हूं।।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
मै हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।।
आगामी 14 सितंबर हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा प्रेमियों को समर्पित।
उस राज–पाट,
उस वैभव–हाट
उस संघर्षों से सिंचित बाट के प्रभाव का हर्षानंदी हूं।
मैं हिंदी हूं, मैं हिंदी हूं।
कवि –लाल साहब पांडेय
हिंदी शिक्षक–उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कोहारी, कैमूर