• पंचायती राज मंत्रालय, भारतीय प्रबंधन संस्थान, बोधगया के सहयोग से आज से पांच दिवसीय परिवर्तनकारी प्रबंधन विकास कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है।
पंचायती राज मंत्रालय : भारतीय प्रबंधन संस्थान बोधगया (आईआईएम बीजी) के सहयोग से 2-6 सितंबर, 2024 तक एक परिवर्तनकारी पांच दिवसीय आवासीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) का आयोजन कर रहा है। इस कार्यक्रम को पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के लिए बनाया गया है, जिसमें जिला पंचायतों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, पंचायत समितियों के प्रमुख, सरपंच और विभिन्न पंचायत अधिकारी सम्मिलित हैं।
आठ राज्यों- बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी बोधगया स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान में प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के नेतृत्व, प्रबंधन और शासन संबंधी कौशल को बढ़ाना है। यह पहल स्थानीय शासन को मजबूत करने और ग्रामीण आबादी को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए पंचायतों को सशक्त बनाने हेतु पंचायती राज मंत्रालय की प्रतिबद्धता पर जोर देती है।
पांच दिवसीय विस्तृत कार्यक्रम में नेतृत्व, प्रबंधन और नैतिकता, ग्रामीण नवाचार, स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आदि के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाएगा। प्रतिभागी विशेषज्ञ-नेतृत्व वाले सत्रों, केस स्टडीज़ और इंटरैक्टिव डिस्कशन से लाभान्वित होंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से वे अपने समुदायों का अधिक प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से लैस हो सकेंगे। यह उम्मीद की जाती है कि यह कार्यक्रम भारत में स्थानीय शासन की प्रभावशीलता और दक्षता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
पंचायतें, ग्रामीण आबादी को बुनियादी सुविधाएं और शासन-प्रणाली प्रदान करने के लिए जमीनी स्तर की एजेंसियां हैं। पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी संवैधानिक रूप से आवश्यक दायित्वों को पूरा करने और “विकसित भारत” के सपने को साकार करने में अहम हितधारक हैं। यह कार्यक्रम उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है और समुदायों को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए उनकी क्षमताओं को बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।
इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस स्वयं के स्रोत राजस्व (ओएसआर) को बढ़ाने पर है, जो वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने और पंचायतों को “सक्षम” पंचायतों में बदलने के लिए आवश्यक है। अपनी वित्तीय स्वतंत्रता को मजबूत करके, पंचायतें स्थानीय जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा कर सकती हैं और ग्रामीण विकास को आगे बढ़ा सकती हैं।
यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को नवीनतम प्रबंधन सिद्धांतों, उपकरणों और कौशल से भी अवगत कराता है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य ग्रामीण शासन में कॉर्पोरेट स्तर की दक्षता लाना है, जिससे संसाधनों का प्रभावी और कुशल उपयोग सुनिश्चित हो सके। इन उन्नत कार्य-प्रणालियों को अपनाकर, पंचायतें ग्रामीण भारत में समृद्धि लाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
यह उम्मीद है कि इस कार्यक्रम से भारत में स्थानीय शासन की प्रभावशीलता और दक्षता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा, जिससे अंततः ग्रामीण विकास में तेजी आएगी और ग्रामीण नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
जनवरी 2024 में शुरू की गई नेतृत्व/प्रबंधन विकास कार्यक्रम की पहल पंचायती राज मंत्रालय का एक रणनीतिक प्रयास है, जिसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के नेतृत्व एवं प्रबंधन कौशल को बढ़ाना है। इस कार्यक्रम को प्रतिभागियों के साथ-साथ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और प्रबंधन संस्थानों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पंचायत प्रमुखों को उन्नत कौशल से लैस करके जमीनी स्तर पर प्रभावी शासन को बढ़ावा देना और समग्र प्रदर्शन में सुधार करना है।
यह भी परिकल्पना की गई है कि प्रतिभागियों को राज्यों के समकक्षों से बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्राप्त होगी, जिससे उन्हें सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों और अनुभवों को साझा करने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, कार्यक्रम में मंत्रालय के अधिकारियों की मौजूदगी प्रशिक्षण ढांचे में निरंतर बेहतरी सुनिश्चित करती है। यह पहल न केवल संस्थान के संकाय और छात्रों के बीच पंचायती राज प्रणाली के बारे में जागरूकता बढ़ाती है, बल्कि कार्यक्रम के उद्देश्यों को अधिक व्यापक रूप से प्रसारित करने में भी मदद करती है।