मिरज शहर में नागरिकों के मनोरंजन के लिये बनाया गया हंसप्रभा थिएटर एवं वर्तमान मे जिसे बालगंधर्व थिएटर जाना जाता है । नाट्यकर्मी स्वर्गीय बालगंधर्व जी के चरण कमल से पावन इस रंगमंच को उनके हि नाम से जाना जाने लगा। समय के साथ तत्कालीन शासकों ने करोड़ों की लागत से इस थिएटर का पुनर्निर्माण कराया, लेकिन आज भी इस थिएटर का फायर ऑडिट नहीं हुआ। दो दिन पहले कोल्हापुर का ऐतिहासिक संगीतसूर्य केशवराव भोंसले थिएटर आग में जलकर नष्ट हो गया था.। इतनी अचानक आग लगने के क्या कारण हो सकते हैं ? यह अब जांच के जरिए सामने आयेगा । लेकिन नगर निगम प्रशासन को मिरज के बालगंधर्व थिएटर को लेकर सावधान रहना चाहिए, अन्यथा कोल्हापुर के ‘केशवराव’ की पुनरावृत्ती होने में देर नहीं लगेगी। कई सालो पहिले मिरज के रंगमंच प्रेमी संगठनों और नागरिकों ने इस रंगमंच की सुख सुविधाओं को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा किया था। तब प्रशासन और सत्ताधारियो ने नागरिको के समाधान के लिये रंगमंच और थियेटर कि साफसफाई रंग काम कर खुश कराया था लेकिन अभी तक इस थियेटर का फायर ऑडिट नहीं होने से इस थिएटर और नागरिकों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग गया है। नगर निगम प्रशासन में निर्णय लेने वाले काबील अधिकारियों की कोई कमी नही है कमिश्नर शुभम गुप्ता खुद (आईएएस) कम समय में तुरंत निर्णय लेने वाले अधिकारी के रूप में मशहूर हो गए हैं। उनके साथ अतिरिक्त आयुक्त रविकांत अडसुल और उपायुक्त वैभव साबले भी प्रशासनिक कार्यों में शामिल हैं, इसलिए अब भी थिएटर प्रेमी संगठनों और नागरिकों की ओर से इस थिएटर के फायर ऑडिट की मांग की जा रही है.