• पैसे उधार लेकर स्पाइक दिलाए थे, बेटी पिता के भरोसे पर खरा उतरी।
लखनऊ : 2014 में खेल करियर का आरंभ करने वाली सहारनपुर के झबीरन गांव की प्राची चौधरी 10 वर्ष बाद ओलंपिक में पदार्पण करने जा रही हैं। खेल के प्रति बेटी के जुनून पर भरोसा कर किसान पिता जयवीर सिंह ने कभी पैसे उधार लेकर जूते (स्पाइक) दिलाए थे। बेटी पिता के भरोसे पर खरा उतरी और पेरिस ओलिंपिक पहुंच गई।
प्राची चार गुणा चार सौ मीटर महिला रिले दौड़ में हिस्सा लेंगी। एशियाड की रजत पदक विजेता प्राची ओलंपिक अपने पदक का रंग बदलना चाहतीं हैं, इसके लिए उन्हें खुद के साथ ही पूरी रिले टीम पर भरोसा है। प्राची रिले दौड़ में एमआर पूवम्मा, विथ्या रामराजज्योतिका श्री दांडी, सुभा वेंकटेश और किरन पहल के साथ टीम में शामिल है। इस स्पर्धा के लिए भारतीय महिला टीम का चयन वर्ल्ड एथलेटिक्स की ओर से मई में बहमास में आयोजित प्रतियोगिता में प्रदर्शन के आधार पर हुआ था।एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप 2019 और 19वें एशियन गेम्स 2023 में रिले दौड़ में रजत पदक जीतने वाली प्राची ने अपनी प्रतिभा को भारतीय सरहदों के पार पहुंचाया। अब उनकी निगाहें खेल महाकुंभ ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की है।
वर्ष 2021 में प्रतिबंधित दवा का सेवन करने के लिए उन्हें डोप टेस्ट में फेल कर दिया गया था, लेकिन बाद की जांच में सामने आया कि वह दवा गलती से ली गई थी। इसलिए उन पर लगा प्रतिबंध कम कर दिया गया।इसके बाद एशियाई खेलों में सफलता के लिए प्राची ने कड़ी मेहनत की और सफल रहीं। महिला रिले दौड़ टीम पर भारत सरकार की ओर से एनुअल कैलेंडर फार ट्रेनिंग एंड कंपटीशन के अंतर्गत 2.24 करोड़ रुपये खर्च किए गए है।