जितेन्द्र गौड़
पंचकर्म इलाज से लोगों को मिल रहा है, कई असाध्य बीमारियों में फायदा
बून्दी – राजकीय जिला आयुर्वेद चिकित्सालय बूंदी का पंचकर्म विशिष्टता केन्द्र अपनी प्रभावी गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं के चलते पूरे राजस्थान में माॅडल बनकर उभरा है, जिससे स्थानीय रोगियों के साथ साथ बड़ी संख्या में दूसरे जिलों राज्यों के रोगी भी यहां आकर अपना उपचार करवाने पहुंच रहे हैं। चिकित्सालय के पीएमओ पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ सुनील कुशवाह ने बताया कि आरोग्य समिति भामाशाहों के सहयोग से वर्तमान स्वरूप में संचालित पंचकर्म विशिष्टता केन्द्र में अब तक देश के 16 राज्यों के 64जिलों के 61000 से अधिक रोगी अपना उपचार करवा चुके हैं। मेडिकोट्यूरिज्म/हील इन इंडिया के तहत 26 देशों के 283 विदेशी रोगी भी यहां आकर अपना उपचार करवा चुके हैं। पिछले बुधवार को जिला कलेक्टर अक्षय गोदारा के चिकित्सालय निरीक्षण के दौरान भी पंचकर्म विशिष्टता केन्द्र में उपचाराधीन जटिल एवं कष्टसाध्य रोगियों के साथ जन्मजात विकृतिजन्य दुर्लभतम रोगों(डाउन सिंड्रोम, मस्कुलर डिस्ट्रोफी,सेरेब्रल पाल्सी,ट्रांसवर माइलाइटिस, कंपवात आदि) से पीड़ित बच्चों एवं उनके परिजनों से फीडबैक प्राप्त किये। पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ सुनील कुशवाह ने बताया कि पंचकर्म विशिष्टता केन्द्र बून्दी में अब तक जन्मजात विकृतिजन्य दुर्लभतम रोगों से पीड़ित 37 बच्चों का उपचार किया जा चुका है, जिसमें सभी बच्चों को त्वरित व प्रभावी राहत मिल रही है। इन बच्चों का आयुर्वेद चिकित्सा सिद्धांतों के अनुसार सर्वांग अभ्यंग स्वेदन,पिडिचल,शष्टिशालिपिंडस्वेदन,शिरोधारा,बस्तिकर्म,नस्यकर्म आदि शास्त्रीय उपक्रमों के साथ साथ अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों तथा स्वर्णप्राशन/आयुर्वेदिक इम्यूनाइजेशन से उपचार किया जा रहा है, जिससे इनके स्वास्थ्य में काफी सुधार हो रहा है।
बातचीत करने पर अलवर निवासी 13 वर्षीय गगन कष्टसाध्य कम्पवात रोग से पीड़ित था, एवं पूरे शरीर में कंपन होने के कारण बिना सहारे के चलने,लिखने व दैनिक जीवन के अन्य कामों को करने में असमर्थ था। पिछले 10 वर्षों से अलवर, दिल्ली, हरियाणा, जयपुर आदि शहरों के कई बड़े अस्पतालों में लगातार उपचार के बाद भी आराम नहीं मिलने से निराश गगन को राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय बूंदी में 2 महीनों में कुल 11 दिनों की पंचकर्म चिकित्सा एवं स्वर्णप्राशन सेवन से काफी आराम मिला है। गगन की मां ने बताया कि अब गगन के हाथों में कंपन पूरी तरह से बंद हो गया है, अब वो बिना सहारे के चल फिर रहा है और अन्य दैनिक जीवन के काम कर रहा है तथा उसका 7 किलो वजन भी बढ़ा है। इस प्रकार गगन को नयी जिंदगी मिली है।
बातचीत में देवपुरा बूंदी निवासी 17 वर्षीय रौनक पिछले 10 सालों से मस्कुलर डिस्ट्रोफी नामक कष्टसाध्य रोग के कारण बिना सहारे के चल नहीं पा रहा था तथा कमर एवं पैरों में सूजन व असहनीय दर्द से पीड़ित था। बूंदी , कोटा तथा भीलवाड़ा के कई अग्रणी अस्पतालों में लगातार उपचार के बाद भी आराम नहीं मिलने से निराश रौनक को पंचकर्म विशिष्टता केन्द्र बूंदी में 11 दिनों के पंचकर्म उपचार के बाद दर्द व सूजन में 90% आराम है तथा अब वो बिना सहारे के चल पा रहा है। रौनक के स्वास्थ्य में आये सुधारों से उत्साहित पिता ने बताया कि पंचकर्म से रौनक को नई जिंदगी मिली है।