यश प्रताप सिंह*
बाराबंकी:
टिकैतनगर क्षेत्र के सराय नेतामऊ में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा व्यास सुरेश चंद्र मिश्रा जी महराज ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। कहा कि प्रभु भक्त की परीक्षा लेते हैं जो भी भक्त उस परीक्षा में पास हो जाते हैं भगवान उन भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं। उन्हें सभी कष्टों से उबारते हैं। आपसी प्रेम और सहयोग से भी भगवान प्रसन्न रहते हैं।भगवान अपने भक्तों के वश में रहते हैं, वह भक्त के जीवन में जब चाहे आ सकते हैं, दिल से भक्त बुलाए तो बांके बिहारी दौड़े चले आते हैं। सूर्यवंश में भगवान श्री राम हुए जिन्होंने अपने जीवन में सदा मर्यादा का पालन किया और चन्द्रवंश में भगवान श्री कृष्ण ने अपनी अनन्य लीलाओं से भक्तों को सुख दिया। उन्होंने कहा कि देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, देवइच्छा से पिता वासुदेव अपनी 8वीं संतान को बचाने के लिए उसे गोकुल में नंद बाबा के घर छोड़ आए। गोकुल में नंद बाबा के यहां पुत्र पैदा होने के समाचार से चारों ओर खुशियां मनाई जाने लगीं। श्री कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया गया।उपदेश देते हुए कहा मानव के कष्ट हरण करने के लिए भगवान ने अनेक लीलाएं की। काम, क्रोध, लोभ, मोह व अहंकार ही शरीर के शत्रु हैं।भक्ति की शक्ति अथवा सत्संग के प्रभाव से इन पर काबू पाया जा सकता है। सत्संग रूपी कथा अमृत जीवन से परिवर्तन आता है। भागवत कथा जीने की कला सिखाता है। यदि व्यक्ति धर्म का आचरण करता है तो धर्म द्वारा अर्जित धन से अपनी कामनाओं की पूर्ति करता है।इस अवसर पर माखन व मिश्री का प्रसाद भी श्रद्धालुओं में वितरित किया गया। राम लखन शर्मा,रमेश मिश्रा,दीपक गुप्ता, रामजी शर्मा,राम परवेश मौर्या, कन्हैया लाल मिश्रा, मयंक शर्मा आदि लोग मौजूद रहे।















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