गोपाल चतुर्वेदी/मथुरा।
*मथुरा में मुख्यमंत्री योगी के आदेश भू माफियाओं के ठेगें पर*
मठ मंदिरों की जमीनों को बेखौफ कर रहे नेस्तनाबूत
बाग में खड़े हरे पेड़ों को काटकर जलाने का आरोप
चौमुहां (मथुरा)। थाना जैंत क्षेत्र के गांव आझई GLA यूनिवर्सिटी के सामने दिल्ली मथुरा राजमार्ग किनारे 10 बीघा बाग था बाग की जमीन में खड़े हरे पेड़ों को कटा कर , भूमाफिया ने आग लगा दी।
मंदिर के महंत ने भूमाफिया पर जमीन के फर्जी कागजात तैयार कर जबरन जमीन कब्जाने का आरोप लगाया है। हरे पेड़ों के कटान को लेकर वन विभाग द्वारा आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।
सीताराम मंदिर के महंत रामजी रामभरोसे महाराज ने बताया कि यह जमीन सीताराम मंदिर के महंत हरिकांतदास के नाम से भू-अभिलेखों में दर्ज है। महंत का 1960 में देहांत हो गया हे। भूमाफिया जमीन पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं। इसी कारण बाग के हरे भरे पेड़ों को काटकर जला दिया गया है।
बताया कि इस संबंध में न्यायालय में वाद विचाराधीन है। प्रभारी वन रेंजर अवधेश कुमार का कहना है हरे फलदार बेर के वृक्षों को जमीन मालिक मुन्ना पुत्र रघुनाथ ने बिना पर्मिस्न के काटा है। पहले भी इसी तरह पेड़ काटे जा चुके है। 9 मई को थाना जैंत पर आरोपियों के खिलाफ तहरीर दी गई थी। पुलिस ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है, पुलिस का भूमाफियाओं को संरक्षण प्राप्त है ।
मंदिर के महंत द्वारा बताया गया मंदिर की कुल जमीन,316 बीघा है जिसके मालिक स्वयं ठाकुर सीताराम जी महाराज है और सेवायत महंत हरिकांत दास महाराज थे जो सभी सरकारी भूलेख मैं नाम दर्ज है । महाराज की मृत्यु पर्यन्त संत परंपरा के अनुसार गद्दी का उत्तराधिकारी ही सेवायत रहता है ना कि कोई ग्रहस्त व्यक्ति महाराज के मंदिर की संपति पर बडी ही चालाकी से रघुनाथ नामक के व्यक्ति द्वारा अपना नाम खसरा खतौनी में दर्ज करा कर मंदिर की जमीन को अपने परिवार के नाम पर ट्रांसफर करने का खेल – खेल रहा है।
मामला संज्ञान मैं आने पर मंदिर के वर्तमान सेवायत द्वारा न्यायालय मैं मामला दायर किया गया था।जो आज भी न्यायालय मैं विचाराधींन है । रघुनाथ नामक व्यक्ति के द्वारा भू माफियाओं के साथ मिल कर जमीन का सौदा कर भगवान सीताराम के नाम से लगे बाग को उजाड़ने का खेल खेला जा रहा है, और हरे छाया दार और फलों के पेड़ काटकर सबूत मिटाने को आग लगाने की कार्यवाही की जा रही है।
मंदिर के महंत द्वारा वन विभाग अधिकारियों को सूचना देकर बुलाया गया और रंगे हाथों पेड़ कटते और उनमें आग लगाते हुए पकड़वाया। भूमाफियाओं द्वारा वन विभाग अधिकारी से सांठ गांठ कर मामले को दवा दिया गया। अब भूमाफियों की नजर गऊ शाला और मंदिर की जमीन पर पढ़ी है ।
जानकारी के अनुसार आए दिन भू माफियाओं के गुंडे आश्रम पर आकर धावा बोलकर आतंक फेलाने में लगे है। भू माफियाओं के गुर्गों का धमकी भरे लहजे मैं कहना है मंदिर को छोड़ कर भाग जाओ। वरना अंजाम बुरा होगा। हमारे हाथ ऊपर तक है जितना मुकदमा लड़ना है लड़ जहा कार्यवाही करनी है वहा कर हर अधिकारी को पैसे के वल पर मुंह बंद कराने की ताकत रखते है। मंदिर महंत भय के वातावरण मै जीने को मजबूर है। रामराज्य मै राम की जमीनें सुरक्षित रखने वाला मथुरा मैं कोई अधिकारी नही है जो भगवान की जमीन और गौ शाला को भू माफियाओं के चंगुल से बचा सके। क्या योगी आदित्यनाथ के द्वारा विधान सभा में माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की वात का मथुरा के माफियाओं को भय नहीं है या माफिया की पहचान सिर्फ धर्म के आधार पर ही उत्तर प्रदेश में की जा रही है। और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं की यूपी में भू माफिया का आतंक खत्म हो चुका है । आतंक के पाप का घड़ा भर चुका है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस दावे को मथुरा का शासन प्रशासन के सिर से ऊपर होकर गुजर रहा है अधिकारियों के नाक के नीचे सारे काम हो रहे हैं और अधिकारियों को यह सारी बातें अच्छी तरीके से पता है तब भी इन भूमाफियाओं पर कोई भी कार्यवाही नहीं हो पा रही हैं मथुरा के भूमाफियाओं पर शासन प्रशासन का कोई भी खौफ नहीं है, देखना यह है कि इन माफिया के ऊपर शासन और प्रशासन कब कड़ी कार्रवाई करता है या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा आज जो घोषणा की गई कि लोकसभा चुनावों के बाद यूपी को माफिया मुक्त राज्य घोषित किया जायेगा या मथुरा प्रशासन योगी की इस घोषणा को गलत साबित करते है । समय रहते प्रभावी कार्यवाही कर माफियाओं और उनके सर परस्तो को सही संदेश देते है।