कौशाम्बी की पैरा लीगल वॉलंटियर (पीएलवी) ममता दिवाकर ने बढ़ाया जिले, प्रदेश और समुदाय का मान
वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फ़ॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ धोबिस (वर्ड) ने किया सम्मानित
कौशाम्बी से ब्यूरो रिपोर्ट सुशील कुमार दिवाकर

राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के द्वारा 8 और 9 नवंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय के एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस “स्ट्रेंथनिंग लीगल एड डिलीवरी मेकनिज्मस” में कौशाम्बी की पैरा लीगल वॉलंटियर ममता दिवाकर ने प्रतिनिधित्व कर न केवल जिले अपितु पूरे प्रदेश, परिवार और समुदाय का मान बढ़ाया।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से विधिक साक्षरता एवं जागरूकता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पैरा लीगल वालंटियर्स, पैनल लॉयर्स, लीगल एड डिफेंस काउंसिल्स व स्थायी लोकअदालत के चेयरमैन को आमंत्रित किया गया था। जिनका चयन अपने-अपने क्षेत्र में किए गए कार्यों और राज्य विधिक सेवा प्राधिकारण के द्वारा लिए गए साक्षात्कार के आधार पर किया गया था।
पूरे उत्तर प्रदेश से केवल 2 पैरा लीगल वालंटियर का ही चयन हुआ था। जिनमें कौशाम्बी जिले से ममता दिवाकर और एटा जिले से रिचा यादव हुई थीं शामिल।

ममता दिवाकर को यह अवसर उनके द्वारा जिले भर के विभिन्न स्थानों पर व विद्यालयों में आयोजित विधिक साक्षरता एवं जागरूकता शिविरों, तहसील में स्थित विधिक सहायता क्लीनिक पर आने वालों की की गई मदद, क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट सामाजिक कार्यों, जन-जागरूकता अभियानों, शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत बच्चों को प्रवेश दिलाने, दिव्यांगों को सहायता दिलाने, केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित तमाम योजनाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करने, महिला सशक्तिकरण, बाल अधिकारों की रक्षा और घरेलू हिंसा के खिलाफ लगातार किए जा रहे प्रयासों के आधार पर प्रदान किया गया।

कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई जी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया। प्रधानमंत्री ने कम्युनिटी मीडिएशन ट्रेनिंग मॉड्यूल लांच करते हुए कहा कि न्याय तभी सार्थक है जब वह समाज के अंतिम व्यक्ति तक सहजता से पहुंचे।
कॉन्फ्रेंस को सर्वोच्च न्यायालय और विभिन उच्च न्यायालयों के माननीय न्यायमूर्तियों ने भी संबोधित किया और प्रतिभागियों को इनरिच किया।
कॉन्फ्रेंस में ममता दिवाकर ने विधिक साक्षरता और जागरूकता के दौरान प्राप्त अपने अनुभवों को साझा किया और काम करने के दौरान आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सुरक्षात्मक उपायों की भी मांग की।

कॉन्फ्रेंस से वापस लौटने पर वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन फ़ॉर रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑफ धोबिस (WORDD) की तरफ से ममता दिवाकर को उनके आवास पर जाकर माला पहनाकर और पुस्तकें भेंटकर सम्मानित किया गया। संगठन के उपाध्यक्ष और सचिव ने कहा कि यह न केवल जनपद कौशांबी अपितु पूरे प्रदेश और समुदाय के लिए भी गौरव की बात है, इससे अन्य लोगों को भी इस क्षेत्र में आकर काम करने की प्रेरणा मिलेगी। ममता दिवाकर जी स्वयं भी महिला सशक्तिकरण की एक जीती जागती मिसाल हैं साथ ही दूसरों के लिए प्रेरणा भी।
उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय अपर जिला जज सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कौशाम्बी पूर्णिमा प्रांजल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय के समस्त स्टॉफ, एडवोकेट अमित मिश्रा, परिजनों और अपने पति डॉक्टर नरेन्द्र दिवाकर को दिया है।

इस अवसर पर ममता दिवाकर ने कहा कि इस तरह के सम्मान से मुझे समाज के वंचित वर्गों को न्याय और अधिकारों के प्रति जागरूक करने व उनके हक़ हुक़ूक़ के लिए लड़ाई लड़ने की प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है, मैं आगे भी वंचित और कमजोर वर्ग की बेहतरी हेतु प्रतिबद्धता से प्रयासरत रहूंगी।
इस अवसर डॉ. राजेन्द्र दिवाकर डॉ. संदीप दिवाकर, प्रवीण दिवाकर, सुरेन्द्र चौधरी, डॉ. विजय कनौजिया, सुरेन्द्र चौधरी एडवोकेट, उनके पति डॉ. नरेन्द्र दिवाकर, तेजस व श्रेयस उपस्थित रहे।
















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