लखनऊ में सियासी भूचाल: बृजभूषण शरण सिंह की सीएम योगी से गुपचुप मुलाकात, 2027 की सियासत में उथल-पुथल के आसार

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी में आज सियासी हलकों में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब कैसरगंज के पूर्व सांसद और कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास, 5 कालिदास मार्ग, पर उनसे मुलाकात की। यह मुलाकात करीब तीन साल बाद हुई और इसे पूर्वांचल की सियासत में एक बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। सूत्रों की मानें, तो इस गुपचुप मुलाकात ने 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए नए सियासी समीकरणों की नींव रख दी है!
क्या है मुलाकात का राज?
सोमवार सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई यह मुलाकात लगभग एक घंटे तक चली। बृजभूषण ने इसे “शिष्टाचार भेंट” करार दिया, लेकिन सियासी गलियारों में इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सूत्र बताते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में टिकट कटने और योगी सरकार के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बाद बृजभूषण अपनी सियासी जमीन को फिर से मजबूत करने की कोशिश में हैं। उनके बेटे प्रतीक भूषण सिंह को कैसरगंज से टिकट मिलने के बावजूद बृजभूषण की नाराजगी की खबरें सुर्खियों में थीं। ऐसे में यह मुलाकात क्या भाजपा के भीतर पुराने जख्मों को भरने की कोशिश है या 2027 के लिए कोई बड़ा मास्टरप्लान?
पूर्वांचल में सियासी दांव

बृजभूषण शरण सिंह का गोंडा, बलरामपुर, श्रावस्ती, और बहराइच जैसे जिलों में ठाकुर और कुर्मी वोटबैंक पर गहरा प्रभाव है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली कम सीटों के बाद पार्टी अब 2027 के लिए अपनी रणनीति को पुख्ता करने में जुटी है। विश्लेषकों का मानना है कि बृजभूषण की यह मुलाकात भाजपा की पूर्वांचल में खोई जमीन को वापस पाने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है। एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह मुलाकात केवल शिष्टाचार नहीं, बल्कि सियासी डील का संकेत है। बृजभूषण की वापसी से पूर्वांचल में भाजपा को मजबूती मिल सकती है।”
विवादों के बीच बृजभूषण की वापसी?
बृजभूषण का नाम हाल के वर्षों में कुश्ती महासंघ से जुड़े विवादों और कानूनी मामलों के कारण सुर्खियों में रहा है। इसके बावजूद, उनके सियासी रसूख को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में सीएम योगी की केंद्रीय नेताओं से मुलाकात और यूपी में संगठन व मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं के बीच यह मुलाकात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। क्या बृजभूषण को फिर से पार्टी में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है? या यह केवल सियासी तनाव को कम करने की कवायद है?
विपक्ष का तंज: “भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं”
इस मुलाकात पर विपक्ष ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने X पर पोस्ट करते हुए तंज कसा, “भाजपा के भीतर की गुटबाजी अब खुलकर सामने आ रही है। मुलाकातें तो होंगी, लेकिन सियासी तूफान को कौन रोकेगा?” विपक्ष का मानना है कि यह मुलाकात भाजपा की आंतरिक एकता को दिखाने की मजबूरी है, लेकिन बृजभूषण के विवादों के चलते इसका प्रभाव सीमित रह सकता है।
क्या बदलेगी यूपी की सियासत?

सियासी जानकारों का कहना है कि यह मुलाकात 2026 के पंचायत चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है। बृजभूषण का पूर्वांचल में प्रभाव और उनकी संगठनात्मक क्षमता भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, योगी सरकार के हाल के कदम, जैसे मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन में बदलाव की चर्चाएं, इस मुलाकात को और भी सनसनीखेज बनाती हैं।
लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में यह सवाल गूंज रहा है कि क्या बृजभूषण शरण सिंह की यह मुलाकात यूपी की सियासत में नया इतिहास रचेगी? क्या यह भाजपा की एकजुटता का संदेश है या फिर सियासी तूफान से पहले की शांति? फिलहाल, सभी की निगाहें इस मुलाकात के अगले कदम पर टिकी हैं।















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