उत्तर प्रदेश पुलिस ने अवैध धर्मांतरण और लव जिहाद के अंतरराष्ट्रीय रैकेट का किया पर्दाफाश, 6 राज्यों से 10 अभियुक्त गिरफ्तार

लखनऊ, 20 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराध और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले तत्वों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए, उत्तर प्रदेश पुलिस ने मिशन ‘अस्मिता’ के अंतर्गत एक बड़े अवैध धर्मांतरण और लव जिहाद के रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस अभियान में देश के 6 राज्यों से 10 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके तार प्रतिबंधित संगठनों पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI), और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से जुड़े होने के संकेत मिले हैं। यह नेटवर्क विशेष रूप से कम उम्र की लड़कियों को निशाना बनाकर प्रलोभन, लव जिहाद और अन्य तरीकों से धर्मांतरण कराने में संलिप्त था।
मिशन अस्मिता: अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपराधियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को और सशक्त किया है। इस नीति के तहत मिशन ‘अस्मिता’ की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य अवैध धर्मांतरण, लव जिहाद और रैडिकलाइजेशन जैसे गंभीर अपराधों पर लगाम कसना है। इस मिशन के तहत पहले मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती जहांगीर आलम कासमी जैसे अभियुक्तों को यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया था। हाल ही में छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट का भी पर्दाफाश हुआ, जिसमें यूपी एसटीएफ और एटीएस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए दो और अभियुक्तों को गिरफ्तार किया था।

ऑपरेशन का खुलासा: 6 राज्यों में छापेमारी
आगरा पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के नेतृत्व में जनपदीय पुलिस, यूपी एसटीएफ और एटीएस की संयुक्त टीमों ने उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, गोवा, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में व्यापक छापेमारी की। इस ऑपरेशन में 11 विशेष पुलिस टीमें गठित की गईं, जिन्होंने साक्ष्य जुटाने के बाद 7 अभियुक्तों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) प्राप्त किया और 10 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई मार्च 2025 में आगरा से दो सगी बहनों (उम्र 33 और 18) की गुमशुदगी की जांच के दौरान शुरू हुई थी। साइबर सेल की सहायता से इस रैकेट का सुराग मिला, जिसके बाद गहन जांच शुरू की गई।
गिरफ्तार अभियुक्तों की सूची
गिरफ्तार किए गए 10 अभियुक्तों के नाम इस प्रकार हैं:
1.आयशा (पूर्व में एस.बी. कृष्णा) – गोवा
2.अली हसन (पूर्व में शेखर रॉय) – कोलकाता
3.ओसामा – कोलकाता
4.रहमान कुरैशी – आगरा
5.अब्बू तालिब – खालापार, मुजफ्फरनगर
6.अबुर रहमान – देहरादून
7.मोहम्मद अली – जयपुर, राजस्थान
8.जुनैद कुरैशी – जयपुर
9.मुस्तफा (पूर्व में मनोज) – दिल्ली
10.मोहम्मद अली – जयपुर

रैकेट का मॉडस ऑपरेंडी: ISIS की तर्ज पर काम
पुलिस जांच में सामने आया कि यह नेटवर्क सुनियोजित तरीके से कार्य कर रहा था, जिसका मॉडस ऑपरेंडी आतंकी संगठन ISIS की कार्यशैली से प्रेरित था। अभियुक्त अलग-अलग भूमिकाएं निभाते थे, जैसे:
.प्रलोभन और लव जिहाद: कम उम्र की लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना।
.अंतरराष्ट्रीय फंडिंग: कनाडा, अमेरिका और दुबई से करोड़ों रुपये की फंडिंग प्राप्त करना, जिसका उपयोग कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और धर्मांतरण में किया जाता था।
.सेफ हाउस और तकनीकी सहायता: नए मोबाइल फोन, सिम कार्ड और सेफ हाउस की व्यवस्था करना।
.कट्टरपंथीकरण: धर्म परिवर्तन के बाद युवतियों को कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित करना और कुछ मामलों में उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण देना। एक गिरफ्तार पीड़िता की तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह AK-47 के साथ नजर आ रही है।
PFI, SDPI और पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से संबंध
प्रारंभिक जांच में इस नेटवर्क के तार प्रतिबंधित संगठन PFI और SDPI के साथ-साथ पाकिस्तान के आतंकी संगठनों और ISI से जुड़े होने के संकेत मिले हैं। इसके अलावा, डार्क वेब और अन्य गुप्त नेटवर्क के जरिए यह रैकेट राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा था। पुलिस ने इस मामले में केंद्रीय एजेंसियों और अन्य राज्यों की पुलिस के साथ समन्वय स्थापित किया है ताकि इस नेटवर्क के सभी पहलुओं की गहन जांच की जा सके।
मुख्यमंत्री और पुलिस की प्रतिबद्धता
पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने बताया कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय जिहादी फंडिंग, लव जिहाद, और रैडिकलाइजेशन जैसे गंभीर अपराधों के खिलाफ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी पुलिस ने अपराध और राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का संकल्प लिया है। इस ऑपरेशन में यूपी पुलिस की विशेषज्ञ एजेंसियां एसटीएफ और एटीएस पूरी तरह से सक्रिय हैं, और आवश्यकतानुसार केंद्रीय एजेंसियों का सहयोग भी लिया जा रहा है।
सामाजिक सौहार्द और सुरक्षा सुनिश्चित
उत्तर प्रदेश पुलिस ने न केवल 25 करोड़ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की है, बल्कि सभी पर्व और त्योहारों को शांतिपूर्वक संपन्न कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मिशन अस्मिता के तहत यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के अपराधों के खिलाफ कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी, ताकि उत्तर प्रदेश में अपराध और कट्टरता के लिए कोई स्थान न रहे।7















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