भारतीय संस्कृति के मूल प्राण गोमाता का वध भारत में कब रुकेगा- स्वामी गोपालानंद सरस्वती
सुसनेर। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन संवत 2081 से घोषित “गोवंश रक्षा वर्ष” के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा, श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 235 वे दिवस पर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने प्रसूति स्नान/सूतिका स्नान में गोमाता की भूमिका के बारे में बताते हुए कहां कि बच्चे के गर्भावस्था से लेकर उसके पूरे जीवन में गोमाता की महत्ती भूमिका है लेकिन सूतिका स्नान के समय तो गोमाता के गोबर एवं गोमूत्र की बहुत बड़ी भूमिया है अर्थात गोमाता का गोबर एवं गोमूत्र एंटीबायोटिक के रूप में नवजात बच्चे एवं प्रसूता नारी के सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है लेकिन आजकल की आजकल कि तथाकथित पढ़ी लिखी माता बहिनें गोमाता के गोबर एवं गोमूत्र से घृणा करती है जिसके दुष्प्रभाव से जच्चा एवं बच्चा हमेशा रुग्ण ही रहते है ।
स्वामीजी ने गोबर के बारे में बताते हुए कहां कि इस संसार में केवल गोबर ही ऐसा पदार्थ है जो भले ही गायमाता के मल के रूप में प्राप्त होता है फिर भी इस सृष्टि की सबसे पवित्र वस्तु है जो अपवित्र जगह को भी उससे लीपने पर पवित्र हो जाती है और गोबर खतरनाक रेडीशियन को भी रोकता है और भगवान शंकर एवन माता पार्वती के पुत्र गणेश जी महाराज एवं शिवजी को चढ़ने वाले बिल्वपत्र की उत्पत्ति भी गायमाता के गोबर से ही हुई है और जब गोमूत्र एवं गोबर दोनों आपसे मिल जाते है तो इनकी शक्ति कही गुणा बढ़ जाती है ।
पूज्य स्वामीजी ने दुःख प्रकट करते हुए बताया कि गोपाल कृष्ण की भूमि पर गोमाता कटे यह दुःख हमें कहां तक झेलना पड़ेगा जिसका एक दु:खद समाचार वृन्दावन से पधारे गो प्रेमी सन्त गोपेश कृष्ण बाबा ने बताया कि अभी अभी कुछ दिनों पूर्व उत्तरप्रदेश के मेरठ क्षेत्र में चलने वाले कत्लखानो से सैकड़ों टन गोमांस दादरी के कोल्ड स्टोरेज में पकड़ा गया जिसमें पैकिंग में तो लिखा था बफैलो बीफ लेकिन जब लैबोरेट्री जांच करवाई तो पता चला कि ये छोटे छोटे लगभग 10,000 बछड़े बछड़ियों का मांस था और यह भी तब पता चला जब उस प्रदेश के मुखिया एक गोभक्त संन्यासी है नहीं तो मामला कभी का रफ़ा दफा हो जाता । यानि जो गायमाता भारत की संस्कृति का प्राण है उसका सरेआम कत्ल हो रहा है यह सनातन के लिए कलंक है अर्थात एक और तो हम भगवान राम कृष्ण की भूमि में जन्म लेने का गर्व महसूस करते है ,लेकिन दूसरी और 33 कोटि देवी देवताओ को अपने शरीर में धारण करने वाली भगवती गोमाता की नित्य हत्या हो रही है जो पुण्य भूमि भारत के लिए कलंक है इसके लिए पूज्य स्वामीजी ने देश के सभी धर्मावलंबियों,राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले श्रेष्ठिजनों से अपील की भारत भूमि में गोमाता का वध न हो इसके लिए कठोर कानून बने इसके लिए सभी को एकजुट होकर संगठित होने की आवश्यकता है ।
एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 234 वे दिवस पर लक्ष्मण मन्दिर गोवर्धन जी से पूज्य अशोक नारायण दास जी महाराज निर्माणी अखाड़ा , पीपाधाम के पीठाधीश्वर पूज्य महामंडलेश्वर झनकेश्वर दास जी महाराज गागरोन (झालावाड़) एवं पूज्य गोपेश कृष्ण जी महाराज वृन्दावनधाम का पदार्पण कर संपूर्ण गो अभयारण्य की परिक्रमा करके भारत में गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे इसके लिए ग्वालसंत पूज्य गोपालानंद सरस्वती जी से मंत्रणा की ।
*235 वे दिवस पर चुनरीयात्रा मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले की ओर से *
एक वर्षीय गोकृपा कथा के 235 वें दिवस पर आगर मालवा जिले के सुसनेर नगर के माली मोहल्ला निवासी निखिल गायरी के पुत्र अंकित के जन्मदिवस पर अंकित की दादी ने अपने परिवार की और से सम्पूर्ण विश्व के जन कल्याण के लिए गाजे बाजे के साथ भगवती गोमाता के लिए चुनरी एवं गुड एवं बांटा लेकर पधारे और कथा मंच पर विराजित भगवती गोमाता को चुनरी ओढ़ाई एवं गोमाता का पूजन कर स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया और अंत में सभी ने गो पूजन करके यज्ञशाला की परिक्रमा एवं गोष्ठ में गोसेवा करके सभी ने गोव्रती महाप्रसाद ग्रहण किया।
चित्र 1 : गोकथा सुनाते स्वामी गोपालानंद सरस्वती।
चित्र 2 : गोकथा में उपस्थित गौभक्त।
चित्र 3,4 : गोकथा में गोमाता को चुनड़ ओढाते गोभक्त ।
चित्र 5,6 : चुनरी यात्रा में आए गोभक्तो को सम्मानित करते महोत्सव के कार्यकर्ता
चित्र 7 : गो पूजन करते गो भक्त ।
चित्र 8 : गोमाता के लिए चुनड़ लाते गोभक्त
चित्र 9: गो तस्करों से जब्त किया सैंकड़ों टन गो मांस ।