• क्या आपकी दोनों हथेलियों को मिलाने पर,बनता है अर्ध चंद्र…? क्या है इसका अर्थ।
महराजगंज : आपने देखा ही होगा कि दोनों हथेलियों को मिलाने पर,अर्ध चंद्र बनता है। आपकी हथेली पर भी यदि बनता है आधा चांद,तो जानें इसका रहस्य –
हस्त रेखा विज्ञान में हथेली पर बनने वाली आड़ी – तिरछी रेखाओं से बनने वाले आकार का हस्त रेखा विज्ञान में विशेष महत्व है। इन रेखाओं के जरिए व्यक्ति के व्यक्तित्व,जीवन,स्वभाव व भविष्य के बारे में पता लगाया जाता है। ऐसे ही अधूरा चांद यानी अर्ध चंद्र हथेली पर बनने वाला एक महत्वपूर्ण निशान है। अधूरे चांद की खास बात यह है कि,दोनों हथेलियों को मिलाने पर एक अर्ध वृताकार की रेखा बनती है, जिसे हस्त रेखा शास्त्र में अधूरा चांद भी कहा गया है। इसे अर्धचंद्र के भी नाम से जाना जाता है।
अधूरे चांद वाले व्यक्ति का स्वभाव – हस्त रेखा शास्त्र के अनुसार,शुभ माना गया है। इसका मतलब है कि व्यक्ति बुद्धिमान, चतुर व विवेकशील होता है। हथेली में अर्ध चंद्र रखने वाले लोग अच्छे वक्ता व संवादक माने जाते हैं। कहा तो यहां तक जाता है कि ये लोग क्रिएटिव होते हैं और कला, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में सफलता हासिल करते हैं। ए लोग जीवट किस्म के माने जाते हैं,जो मुश्किल परिस्थितियों में धैर्यवान भी होते हैं।
हथेली पर बनने वाले अधूरे चांद का रहस्य :
1. हस्त रेखा शास्त्र के अनुसार, जिन जातक की हथेली में जितना सुंदर व उत्तम तथा गहरा अधूरा चांद बनता है,उन्हें उतना ही सुंदर व आकर्षक जीवनसाथी/जीवन संगिनी मिलता/मिलती है।
2.मान्यता है कि अगर आधा चांद बहुत गहरा हो या टूटा हुआ हो तो यह नकारात्मक संकेत भी देता है।
इसका मतलब है कि व्यक्ति का व्यक्तित्व और जीवन अस्थिर तथा चंचल है। ऐसे लोगों को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
3. कहा जाता है कि हथेली में अधूरा चांद,जीवन रेखा या हृदय रेखा के समीप हो, तो यह शुभ होता है। अगर यही भाग्य रेखा के पास होता है तो, जीवन में मिले-जुले परिणाम मिलते हैं।
नोट:- इस आलेख में दी गई जानकारियों पर *”सत्यार्थ वेब न्यूज मीडिया नेटवर्क”* यह जानकारी को पूर्णतया सत्य एवं सटीक होने का दावा नहीं करता हैं। इसको अपनाने से पहले हस्त रेखा शास्त्र या ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।