दिल्ली रिपोर्टर नरेश शर्मा की रिपोर्ट
दिल्ली : दिल्ली की सियासत गरमाई ; विपक्ष की रणनीति धड़ाम ” क्या केजरीवाल – कार्ड से चौकन्ने सभी पार्टियां
क्या केजरीवाल एक तीर से कई साधेंगे कई निशाने
दिल्ली : क्या भ्रष्टाचार के आरोपों से बिगड़ी छवि को लेकर बेहतर करने के लिए केजरीवाल ने इस्तीफे का सियासी पासा फेंक विपक्ष के मुद्दों को चारों तरफ़ चित कर दिया, विपक्ष के मुद्दों को चारों खाने चित कर दिया है केजरीवाल के इस्तीफे देने के निर्णय से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगानें के आदेशों को भी विराम दे दिया है मतदाताओं के बीच भी स्पष्ट संदेश दिया है कि वह तब तक इस कुर्सी पर नही बैठेंगे जब-तक जनता उन्हें बेदाग छवि के साथ फिर से बहुमत देकर मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तीसरी बार सरकार बनने के बाद से ही विपक्षी पार्टियां लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आप सरकार को घेर रही थी अलग-अलग जांचों मे भी पार्टी फंसीं हुईं थीं मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री ही नहीं आप के मंत्री भी जेल के सलाखों के पिछे रहे केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को जमानत तो मिली लेकिन वह भी शर्त पर इस तरह से भ्रष्टाचार आप के लिए जी का जंजाल बना हुआ था उधर सुप्रीम कोर्ट की बंदिशों से बतौर मुख्यमंत्री काम सियासी तौर पर उनके लिए फायदेमंद नहीं था राजनीति के जानकारों की मानें इस सियासी पासा के बाद आम आदमी पार्टी की छवि बेहतर होगी विधानसभा चुनाव में बहुमत में आतीं हैं तो बेदाग छवि के साथ केजरीवाल का क़द उभरेगा
क्या एक तीर से केजरीवाल ने साधे कई निशाने
इस्तीफे का एलान कर अरविंद केजरीवाल ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं भ्रष्टाचार के आरोप, इस्तीफा देने का दबाव, कथित शराब घोटाले समेत संवैधानिक संकट होने के विपक्ष की सभी आरोप इससे धराशाई हो गए अब कांग्रेस और भाजपा को नये सिरे से रणनीति तैयार करना होगा विधानसभा चुनाव में नई रणनीति से दोनों दलों को उतरना होगा अगर आप किसी महिला या अनुसूचित जाति के सदस्य को सीएम बनातीं है तो विपक्ष को आक्रमकता के नये सिरे से पैमाने गढ़ने पड़ेंगे साथ में अरविंद केजरीवाल के आक्रामक अभियान का भी जवाब देना होगा