चांदनी आचार्य को मिली डॉक्टरेट की उपाधि ”
सत्यार्थ न्यूज़।
सांभर लेक ।(कालीचरण सैनी) सांभर कस्बे की चांदनी आचार्य ने ”सांभर की लोकनाट्य परंपरा रामलीला का विश्लेषणात्मक अध्ययन” विषय पर अपना शोध प्रबंध संगीत विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय की पूर्व डीन एवं अध्यक्ष तथा सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायिका प्रोफेसर डॉ मधु भट्ट तेलंग जी के मार्गदर्शन में पूरा किया है l
आज के युग में केवल आर्थिक उन्नति को ही उन्नति समझ रही हमारी नई पीढी हमारी स्वर्णिम परंपराओ तथा लोक संस्कृति के विविध आयामो से दूर होती जा रही है ऐसे में भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शो और जीवन मूल्यों से दूर , इस नई पीढ़ी के लिए भगवान श्री राम का मर्यादा पुरुषोत्तम जीवन चरित्र अनुकरणीय उदाहरण है और रामलीला जैसी लोकनाट्य परंपराए हरवर्ष समाज में इन जीवन मूल्यों और आदर्शों की पुनर्स्थापना करती है इसीलिए इन लोकनाट्य परंपराओ के संरक्षण और संवर्धन की नितांत आवश्यकता है
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना शोध कार्य सांभर की लोकनाट्य परंपरा रामलीला का विश्लेषणात्मक अध्ययन विषय को चुना
चांदनी आचार्य ने बताया कि इस शोध कार्य को संपन्न करने में मुझे सुप्रसिद्ध ध्रुपद गायक पद्मश्री स्व. पंडित लक्ष्मण भट्ट तेलंग जी का एवं मेरी आदरणीय गाइड प्रोफेसर डॉ मधु भट्ट जी का, अपार स्नेह एवं मार्गदर्शन मिला साथ ही संगीत विभाग की वर्तमान अध्यक्ष आदरणीय वंदना कल्लाजी एवं
समस्त गुरुजनों तथा मेरे पीहर तथा ससुराल के समस्त परिवार जनों का भी इसमें पूर्ण सहयोग रहा l
सही मायने में यह शोध मेरे पूज्य दादाजी स्वर्गीय पंडित श्री बल्लभ दास जी आचार्य जो सांभर की संस्कृतिक गति विधियों के प्रनेता रहे, जिन्होंने सांभर की रामलीला का लगभग 50 सालों तक निर्देशन भी किया उन्हीके श्री चरणों में समर्पित कर रही हूं उन्हीं के दिए हुए संस्कारों में रचा बसा हमारा परिवार आज तीसरी पीढ़ी के रूप में रामलीला की सेवा से जुड़ा है l
इस शोध कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में मेरे पूज्य पिताजी, वरिष्ठ रंग कर्मी, कवि, एवं सुप्रसिद्ध मंच संचालक श्री राजेश आचार्य ने सांभर की रामलीला के अनछुए पहलुओं तथा रामलीला की प्राचीन परंपरा के विषय में तथ्यों से इस शोध को सार गर्भित बनाने में विशेष सहयोग दिया साथ ही
आकाश वाणी पर ड्रामा पेक्स रहे मेरे
ससुर, श्री हरि शंकर जी व्यास, जीवन साथी श्री विभोर व्यास सासु माँ, विजेता जी तथा मेरी माता श्रीमती विभा आचार्य ने भी पग पग पर मेरा होंसला बढ़ाया साथ ही, जिन महानु भावों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग दिया उन सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ l