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इस मंदिर में सीधे नहीं, ‘उल्टे फेरे’ लगाने से पूरी होती है हर मनोकामना

भोपाल
इस मंदिर में सीधे नहीं, ‘उल्टे फेरे’ लगाने से पूरी होती है हर मनोकामना

सत्यार्थ न्यूज़ ब्यूरो चीफ भोपाल मध्य प्रदेश प्रवीण कुमार दुबे 8839125553


Navratri 2025: यहां माता रानी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। यहां सीधे नहीं बल्कि उल्टे फेरे लगाए जाते हैं, और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग सीधे फेरे लगाते

Navratri 2025:एमपी में भोपाल शहर से तकरीबन 38 किमी दूरी पर बसा मां हरसिद्धि का चमत्कारिक धाम है। यहां नवरात्र में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। आम दिनों में भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शहर के शोर शराबे से दूर हरे भरे खेत, हरियाली से आच्छादित प्रकृति के बीच बना यह मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का विशेष केंद्र बन चुका है।

लगाए जाते हैं उल्टे फेरे
यहां माता रानी भक्तों की मनोकामना पूरी करती है। यहां सीधे नहीं बल्कि उल्टे फेरे लगाए जाते हैं, और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग सीधे फेरे लगाते हैं। तरावली वाली हरसिद्धि माता मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यह चमत्कारिक मंदिर है, जहां देश भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

यहां वैसे तो सीधी परिक्रमा ही लगाई जाती है, लेकिन अगर कोई श्रद्धालु विशेष कामना से आता है तो वह उल्टी परिक्रमा लगाकर माता रानी के दरबार में अर्जी लगाता है और जब वह मनोकामना पूर्ण होती है तो सीधी परिक्रमा लगाई जाती है। इसके साथ ही भक्त अपनी आस्था के अनुसार विशेष तरह की चढ़ावा भी चढ़ाते है।

इस दौरान मंदिर के महंत गुलाब गिरि ने बताया कि इस प्राचीन धाम में सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है। इसलिए यहां पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है। माता की कृपा से यहां कई माताओं की संतान प्राप्ति की कामना भी पूरी हुई है।

यहीं बस गई माता रानी
इसके पीछे जो कथा है वह काफी रोचक है। कथा के अनुसार जब उज्जैन में राजा विक्रमादित्य का शासन था, उस समय वह काशी गए थे। उन्होंने माता रानी की कठिन तपस्या की और उज्जैन चलने का आग्रह किया। तपस्या से प्रसन्न होकर माता रानी उज्जैन चलने केलिए तैयार हुई, लेकिन उन्होंने विक्रमादित्य के सामने एक शर्त रखी कि जहां सुबह हो जाएगी, उनके चरण काशी में ही रहेंगे।

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