अमरावती में धनगर समाज संघर्ष समिती महाराष्ट्र राज्य द्वारा राज्यस्तरीय सम्मेलन का आयोजन
आरक्षण न मिलने पर धनगर समाज अपना क्रोध किस प्रकार व्यक्त करेगा, यह कहना कठिन है:- डॉ. विकास महात्मे
(रामचंद्र मुंदाने, अमरावती संवाददाता)
धनगर समाज संघर्ष समिति का दूसरा राज्य स्तरीय अधिवेशन हाल ही में अमरावती के क्षितिज पैलेस सभाग्रुह में आयोजित किया गया था ।
सम्मेलन की अध्यक्षता संस्थापक अध्यक्ष पूर्व सांसद पद्मश्री डॉ. विकास महात्मे ने की, जबकि मुख्य रूप से प्रदेश अध्यक्ष आनंद बनसोडे, प्रदेश सचिव ज्ञानेश्वर परदेशी, महिला प्रदेश अध्यक्ष शीतलताई चिंचोरे, युवा अध्यक्ष अमन कुंडगीर, प्रदेश प्रचार प्रमुख सुनील धनगर, प्रदेश संगठक संतोष महात्मे ऊपस्थित थे । जिला अध्यक्ष रवींद्र गोरटे, मेघशाम करडे, जानराव कोकरे ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम की प्रस्तावना आनंद बनसोडे ने की जबकि प्रतिवेदन का वाचन प्रदेश सचिव ज्ञानेश्वर परदेशी ने किया. राज्य संगठक संतोष महात्मे ने धनगर समाज के साथ-साथ भेडपाल धनगरों की समस्याओं, सरकार की नीति और भेडपालो की कठिनाइयों के बारे में पढ़ा जो अगली लड़ाई के लिए आरक्षण का केंद्र बिंदु हैं । और सरकार अहिल्या देवी होलकर शेली- मेंढी बिकास महामंडल पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। लेकिन इस विभाग के समाज द्वेषी मंत्री सारी योजनाओं को कूड़े में लपेट कर रखते हैं। कार्यान्वयन पर रोक लगाता है. यह एक वास्तविक त्रासदी है कि सरकार इस योजना को मंजूरी नहीं दे रही है, जबकि भेडपाल स्वयं चरवाहों को मुख्यधारा में लाने के लिए “अर्ध-सीमित भेड़ पालन” के लिए स्थायी चारा प्रणाली बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
जिला अध्यक्ष एवं प्रमुखउपस्थीतो ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि धनगर समाज संघर्ष समिति ने समाज को एकजुट करने के साथ-साथ सरकार को समाज के ज्वलंत मुद्दों से अवगत कराया और समय-समय पर सरकार के खिलाफ संघर्ष किया।
समापन भाषण में संस्थापक अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद पद्मश्री डॉक्टर विकास महात्मे ने कहा कि धनगर बंधुओं के संघर्ष के कारण सरकार ने प्रतिष्ठित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के छात्रों के प्रवेश के लिए अध्यादेश जारी किया। घरकुल योजना में शामिल कीया। पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होलकर सामाजीक भवन की प्रत्येक जिले निर्मीती की। सरकार ने भेडपालों के उत्थान के लिए योजनाओं को मंजूरी दी। लेकिन सरकार ने 13 अध्यादेश जारी किए और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए हर साल 1000 करोड़ रुपये खर्च करने का वादा किया। हालाँकि, इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।इसके लीए सरकार की तरफ लगातार कोशीस कर रहे है। सरकार से सबसे अहम मांग धनगर आरक्षण की है और धनगर जनजाति को संविधान में 36वीं अनुसूचित जनजाति में शामिल किए जाने के बावजूद अभी तक एसटी आरक्षण लागू नहीं किया गया है । अदालती लड़ाई में भी नतीजा विपरीत आया है । इसलिए अब हमें आंदोलन को और तेज करके इस लड़ाई को लड़ना होगा। जैसे मराठा समाज के लीये एक विशेष अधीवेशन लेकर दस प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया! उन्होंने कहा कि अगर यही न्याय धनगर समाज को मिला होता तो धनगर समाज पूरे राज्य में भंडारा की उधलन कर सरकार की जय-जयकार करता । लेकिन आज आरक्षण नहीं मिलने से धनगर समाज में गहरा आक्रोश है और इसे यह कैसे और कहां प्रकट होगा, यह कहना कठिन है। इस अवसर पर खिलारी समाज के 30 वर्षों के संघर्ष को सफलता मिलने पर यह जमात का एन टि क समावेश होनेपर रमेश सारक, विट्ठल महानोर, देवा गोयकर, बीमा गोयकर, लक्ष्मण शिंदे, गंम्पू गोरकर, नारायण थोरात आदि का कंबल और छड़ी और पगडी पहनाकर पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया। इस समय तुषार मालीवार, राजकुमार मराठे, बालासाहेब जानकर, रमेश सरग, माणिक लोहगावे, डॉक्टर संदीप धवने, बंडु कुंवर, रमेश धवले, प्रेमताई लव्हाळे, वंदना गायनर, रजनी लांडे, गजेंद्र कापड़े आदि ने अपनी राय दी. संचालन मेघ शाम करडे ने किया।रविन्द्र गोरटे ने सभी को धन्यवाद दिया ।