सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग
*दिनांक:- 24/11/2024, रविवार*
नवमी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीर्ष
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- नवमी 22:19:14 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——– पूo फाo 22:15:34
योग———– वैधृति 12:16:25
करण———– तैतुल 09:04:31
करण————- गर 22:19:14
वार———————- रविवार
माह——————– मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—– सिंह 29:01:17
चन्द्र राशि—————- कन्या
सूर्य राशि—————- वृश्चिक
रितु———————— हेमंत
आयन————— दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर) ————कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————–1946
कलि संवत—————- 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:48:29
सूर्यास्त————– 17:23:20
दिन काल———— 10:34:51
रात्री काल————- 13:25:55
चंद्रास्त————– 13:31:26
चंद्रोदय—————- 25:27:45
लग्न—- वृश्चिक 8°3′ , 218°3′
सूर्य नक्षत्र————— अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र———– पूर्वा फाल्गुनी
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
टा—- पूर्वा फाल्गुनी 08:47:46
टी—- पूर्वा फाल्गुनी 15:30:59
टू—- पूर्वा फाल्गुनी 22:15:34
टे—- उत्तरा फाल्गुनी 29:01:17
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 08°45, अनुराधा 2 नी
चन्द्र=सिंह 18°30 , पू o फ़ा o 2 टा
बुध =वृश्चिक 28°52 ‘ ज्येष्ठा 4 यू
शु क्र= धनु 20°05, पूoषा०’ 3 फा
मंगल=कर्क 10°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 23°30 मृगशिरा, 1 वे
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 09°20 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 09°20 उ o फा o 4 पी
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 16:04 – 17:23 अशुभ
यम घंटा 12:06 – 13:25 अशुभ
गुली काल 14:45 -16:04अशुभ
अभिजित 11:45 – 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 15:59 – 16:41 अशुभ
वर्ज्यम 30:23 – 32:11 अशुभ
प्रदोष 17:23 – 20:07 शुभ
चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:48 – 08:08 अशुभ
चर 08:08 – 09:27 शुभ
लाभ 09:27 – 10:47 शुभ
अमृत 10:47 – 12:06 शुभ
काल 12:06 – 13:25 अशुभ
शुभ 13:25 – 14:45 शुभ
रोग 14:45 – 16:04 अशुभ
उद्वेग 16:04 – 17:23 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ 17:23 – 19:04 शुभ
अमृत 19:04 – 20:45 शुभ
चर 20:45 – 22:26 शुभ
रोग 22:26 – 24:06* अशुभ
काल 24:06* – 25:47* अशुभ
लाभ 25:47* – 27:28* शुभ
उद्वेग 27:28* – 29:09* अशुभ
शुभ 29:09* – 30:49* शुभ
होरा, दिन
सूर्य 06:48 – 07:41
शुक्र 07:41 – 08:34
बुध 08:34 – 09:27
चन्द्र 09:27 – 10:20
शनि 10:20 – 11:13
बृहस्पति 11:13 – 12:06
मंगल 12:06 – 12:59
सूर्य 12:59 – 13:52
शुक्र 13:52 – 14:45
बुध 14:45 – 15:38
चन्द्र 15:38 – 16:30
शनि 16:30 – 17:23
होरा, रात
बृहस्पति 17:23 – 18:30
मंगल 18:30 – 19:38
सूर्य 19:38 – 20:45
शुक्र 20:45 – 21:52
बुध 21:52 – 22:59
चन्द्र 22:59 – 24:06
शनि 24:06* – 25:13
बृहस्पति 25:13* – 26:21
मंगल 26:21* – 27:28
सूर्य 27:28* – 28:35
शुक्र 28:35* – 29:42
बुध 29:42* – 30:49
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृश्चिक > 05:12 से 07:40 तक
धनु > 07:40 से 09:52 तक
मकर > 09:52 से 12:40 तक
कुम्भ > 12:40 से 13: 12 तक
मीन > 13:12 से 14:44 तक
मेष > 14:44 से 16:08 तक
वृषभ > 16:08 से 18:12 तक
मिथुन > 18:12 से 20:20 तक
कर्क > 20:20 से 22:52 तक
सिंह > 22:52 से 00:42 तक
कन्या > 00:42 से 02:58 तक
तुला > 02:58 से 05: 12 तक
*विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*अग्नि वास ज्ञान –:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।*
*महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 9 + 1 + 1 = 26 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
* शिव वास एवं फल –:*
24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*सर्वार्थ सिद्धि योग 22:15 से
*गुरु तेगबहादुर शहीद दिवस
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
नदीतीरे च ये वृक्षाः परगेहेषु कामिनी ।
मंत्रिहीनाश्च राजानः शीघ्रं नश्यन्त्यसंशयम् ।।
।। चा o नी o।।
नदी के किनारे वाले वृक्ष, दुसरे व्यक्ति के घर मे जाने अथवा रहने वाली स्त्री एवं बिना मंत्रियों का राजा – ये सब निश्चय ही शीघ्र नस्ट हो जाते हैं।
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
तस्मात्त्वमुक्तिष्ठ यशो लभस्व
जित्वा शत्रून्भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम् ।,
मयैवैते निहताः पूर्वमेव
निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन् ॥,
अतएव तू उठ! यश प्राप्त कर और शत्रुओं को जीतकर धन-धान्य से सम्पन्न राज्य को भोग।, ये सब शूरवीर पहले ही से मेरे ही द्वारा मारे हुए हैं।, हे सव्यसाचिन! (बाएँ हाथ से भी बाण चलाने का अभ्यास होने से अर्जुन का नाम ‘सव्यसाची’ हुआ था) तू तो केवल निमित्तमात्र बन जा॥,33॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-कारोबार लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। घरेलू कार्य समय पर होंगे। सुख-शांति बनी रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। अविवाहितों के लिए वैवाहिक प्रस्ताव आ सकता है। कोर्ट व कचहरी में अनुकूलता रहेगी।
🐂वृष-भूमि व भवन के खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। बड़ा लाभ के योग हैं। परीक्षा व साक्षात्कार में सफलता प्राप्त होगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यापार लाभदायक रहेगा। जल्दबाजी न करें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शत्रुता में वृद्धि हो सकती है।
👫मिथुन-आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। जल्दबाजी न करें। धनागम होगा। थकान महसूस होगी। शारीरिक आराम की आवश्यकता रहेगी। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे।
🦀कर्क-परिवार के छोटे सदस्यों के अध्ययन तथा स्वास्थ्य संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। लापरवाही न करें। थोड़े प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। निवेश में विवेक का प्रयोग करें। धनार्जन होगा।
🐅सिंह-कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। गृहिणियां विशेष सावधानी रखें। रसोई में चोट लग सकती है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है।
🙎♀️कन्या-विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। धनलाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा।
⚖️तुला-आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय-व्यापार लाभदायक रहेगा। पुराने शत्रु सक्रिय रहेंगे। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी व्यक्ति से बेवजह विवाद हो सकता है। दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है, धैर्य रखें। शारीरिक कष्ट के योग हैं। लापरवाही न करें।
🦂वृश्चिक-उत्साह बढ़ेगा। कार्य की बाधा दूर होकर स्थिति लाभप्रद रहेगी। कोई बड़ी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। अप्रत्याशित लाभ के योग हैं। सट्टे व लॉटरी से दूर रहें। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। प्रमाद न करें। शरीर साथ नहीं देगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
🏹धनु-कार्यप्रणाली में सुधार होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबारी अनुबंध होंगे। आशंका-कुशंका के चलते निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होगी। योजना में परिवर्तन हो सकता है।
🐊मकर-व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास मनोनुकूल रहेंगे। अपनी देनदारी समय पर चुका पाएंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। धनार्जन होगा। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि नीचा देखना पड़े।
🍯कुंभ-किसी धार्मिक आयोजन में भाग लेने का अवसर प्राप्त हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल होगी। आय में वृद्धि होगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। रोमांस के मामले में समय खुशनुमा रहेगा। पूजा-पाठ में मन लगेगा।
🐟मीन-कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में अधिकारी की अपेक्षाएं बढ़ेगी। तनाव रहेगा। कुसंगति से हानि होगी। दूसरों के कार्य की जवाबदारी न लें। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। पुराना रोग उभर सकता है।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो🙏🏻
मीरा प्रसंग
हज़ारों वर्ष बाद मीरा ने अधिकार जता कर कहा कि तुम हो, यहीं हो और मैं तुम्हारी हूँ। और सचमुच श्री कृष्ण जितने मीरा के हुए उतने किसी के नही हुए प्रेम में डूबे सामान्य लोग अपने प्रिय पर दावा करते हैं कि तुम मेरे हो मीरा ने इसके उलट जाकर कहा कि मैं तुम्हारी हूँ। मीरा ने मांगा नहीं दिया और फिर बिन मांगें सब कुछ पा लिया जिस कृष्ण को स्वयं राधारानी अपना पति नहीं कह सकीं उनको मीरा ने साधिकार अपना पति कहा, माना और सिद्ध किया कि सचमुच ही थे मीरा को पढ़कर लगता है कि सचमुच प्रेम समर्पण की पराकाष्ठा का नाम है। मनुष्य सामान्यतः किसी एक के भरोसे नही रह पाता उसके मन में भरोसे का द्वंद चलता ही रहता है। इसपर करूँ या उस पर किसी एक के भरोसे रहने का आंनद अद्वितीय होता है। बस कृष्ण सा निभाने वाला मिलना चाहिए। पत्नियो को छोड़ दें तो श्री कृष्ण के जीवन में दो स्त्रियाँ आयी जिन्होंने अपना सर्वस्व उनके भरोसे छोड़ दिया।
पहली द्रोपदी चीरहरण के समय वो सबको भूलकर उन्होंने केवल और केवल श्री कृष्ण पर भरोसा किया फिर श्री कृष्ण ने जो भयविधि निभाई वह इतिहास है। और दूसरी हुई मीराश्री कृष्ण के आगे सब को भूल गयी किसी ने कहा घर छोड़ दो तो छोड़ दिया,किसी ने कहा विष पी लो तो पी लिया,न किसी से भय, न किसी से मोह, भरोसा केवल श्री कृष्ण पर फिर श्री कृष्ण कैसे न होते मीरा के सच पूछिए तो स्वयंबर में श्री कृष्ण मीरा ने ही जीता था।
मीरा के विषपान की बड़ी चर्चा हुई शायद प्रेम करना विष पीने जैसा ही होता है। कृष्ण जैसा कोई मिल गया तो उस विष को अमृत बना देता है। और प्रेम की प्रतिष्ठा रह जाती है। कुछ मूर्ख कवियों ने कहा कि प्रेम किया नहीं जाता हो जाता है। इस सृष्टि में यूँ ही नहीं कुछ होता और प्रेम तो सजीवों का सबसे पवित्र भाव है उसे बिना जाँचे- परखे किसी को कैसे दे देंगे आप प्रेम के लिए तो सुपात्र का ही चयन होना चाहिए मीरा ने सुपात्र का चयन किया तो अमर हुई खैर श्रीकृष्ण अकेले थे जिन्होंने सिद्ध किया कि जिसका कोई नही उसका मैं जिसने जिस रूप में चाहा उसे उस रूप में मिले नन्द बाबा और यशोदा मैया ने पुत्र रूप में चाहा तो न होते हुए भी उनके पुत्र हो गए।
गोपियों ने वात्सल्य भाव से देखा तो उनकी गोद में खेले राधा ने प्रेम किया तो उन्हें प्रेमी के रूप में मिले, और क्या खूब मिले उद्धव और अर्जुन ने मित्र रूप में चाहा तो उन्हें उस रूप में मिले सुदामा ने ईश्वर के रूप में पूजा की तो उनका घर भर दिया जामवंत को लड़ने की चाह थी तो उनकी वह इच्छा भी पूरी की रुक्मिणी, सत्यभामा को तो छोड़िए, नरकासुर की बंदिनी,सोलह हजार राजकुमारियों ने पति रूप में चाहा तो उन्हें उस रूप में भी मिले
किसी को निराश नही किया फिर मीरा को कैसे निराश करते मीरा ने कृष्ण से मांगा नही कि मेरे हो जाओ बल्कि मान लिया कि श्री कृष्ण ही मेरे है।आगे सब श्री कृष्ण के ऊपर था। जिस दिन उन्होंने पहली बार श्री कृष्ण का नाम लिया उस दिन से अंतिम दिन तक श्री कृष्ण उन्हीं के रहे, उनके साथ रहे।
श्री कृष्ण की प्रेमिकाओं ने दिखाया कि प्रेम करते कैसे हैं तो श्री कृष्ण ने बताया कि निभाते कैसे हैं।संबंधों को निभाने में श्री कृष्ण अद्भुत हैं। अच्छा सूनो श्री कृष्ण इतने आसानी से भी नही मिल जाते उसके लिए मीरा होना पड़ता है। विष पीना पड़ता है।