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हरियाणा के दो विधेयकों पर आपत्ति, केंद्र ने वापस लौटाए विस से पारित संगठित अपराध और शव निपटान बिल..सीएम बोले- राज्य में आज से ही नौकरियों में अनुसूचित जाति में वर्गीकरण का फैसला लागू..

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Vishal Leel
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हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए बनाए गए 2 बिलों को केंद्र ने सुझावों के साथ वापस लौटा दिया है। राष्ट्रपति के पास भेजने से पहले ही केंद्र ने कानून में संशोधन का सुझाव देते हुए वापस लौटा दिए। हरियाणा सरकार इन दोनों कानूनों को सत्र में वापस लेगी। इन कानूनों में हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 जिसमें राज्य में होने वाले संगठित अपराधों पर अंकुश लगाने के कड़े प्रावधान किए गए थे। दूसरा कानून हरियाणा ऑनरवल डिस्पोजल ऑफ डैडबाडी बिल 2024 है जिसमें किसी भी शव क साथ प्रदर्शन, धरना या रोड जाम करने पर 6 माह से 5 साल तक कैद व 1 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 जब पास हुआ था। तब मनोहर लाल राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस बिल के पेश होने दौरान इतना हंगामा हुआ था कि सदन की कार्रवाई 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई थी। तत्कालीन कांग्रेस विधायक शमशेर गोगी द्वारा विधेयक का विरोध करने के बाद मनोहर लाल ने कांग्रेस से पूछा था कि वे लोगों की शांति चाहते हैं या फिर गैंगस्टर्स को अपना समर्थन दे रहे हैं। हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल आफ डैड बाडी बिल 2024 के समर्थन में हालांकि कई डॉक्टर थे लेकिन कांग्रेस इस बिल के विरोध में थी।

प्रदेश में नौकरियों में अनुसूचित जाति वर्गीकरण का फैसला आज से ही लागू कर दिया जाएगा। यह बात सीएम नायब सैनी सत्र के दौरान कही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में घोषणा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति के आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर फैसला दिया था। इस फैसले को हमारी कैबिनेट ने पहले ही पास कर दिया था। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण का यह फैसला आज से लागू हो जाएगा

कांग्रेस विधायक आफताब अहमद तथा विधायक बी. बी. बत्तरा भी इस बिल के हक में नहीं थे। कांग्रेस का मानना था कि शव के साथ धरना प्रदर्शन करने वालों को जेल भेजने व जुर्माना लगाने का कानून गलत है। उस समय कांग्रेस ने भाजपा की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी पर भी इस बिल को लाने को लेकर सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने तब कहा था कि सरकार नहीं चाहती कि सरकारी तंत्र की वजह से होने वाली मौतों पर मृतक के परिजन न्याय के लिए अपनी आवाज उठा सकें. केंद्र सरकार ने हरियाणा को झटका दिया है। हरियाणा सरकार की ओर से पास किए गए दो कानूनों को केंद्र ने स्वीकृति प्रदान नहीं की है। यह दोनों कानून पूर्व मनोहर सरकार के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में पारित करके भेजे गए थे। केंद्र सरकार की जरूरी संशोधन का सुझाव देकर लौटाए गए कानूनों को सरकार सोमवार को विधानसभा में वापस लेगी। पहला कानून, हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 से जुड़ा है और दूसरा हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल आफ डेड बॉडी बिल 2024 है।

राज्य सरकार अब इन दोनों बिलों को वापस लेने के बाद इनमें जरूरी बदलाव करेगी। यह भी संभव है कि इन बिलों को दोबारा पेश ही न किया जाए, क्योंकि अभी तक सरकार ने इन बिलों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।

हरियाणा सरकार ने केंद्र द्वारा “कुछ विसंगतियों” की ओर इशारा किए जाने के बाद सोमवार को संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, २०२३ वापस ले लिया।

क्या हैं हरियाणा के दोनों बिल
हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 में राज्य में होने वाले संगठित अपराधों पर अंकुश लगाने के कड़े प्रावधान किये गये थे। कांग्रेस इस कानून के विरोध में थी। दूसरा कानून हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल-2024 था, जिसमें किसी भी शव के साथ प्रदर्शन, धरना या रोड जाम करने पर छह माह से पांच साल तक कैद व एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया था।


इस और एक अन्य विधेयक को वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा सदन में प्रस्ताव पेश किए गए।

पिछले साल मार्च में, हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2023, जिसमें संगठित सिंडिकेट या गिरोहों द्वारा आपराधिक गतिविधियों को रोकने और नियंत्रित करने की मांग की गई थी, राज्य विधानसभा द्वारा पारित किया गया था।

सरकार द्वारा कुछ बदलाव करने के बाद विधेयक को फिर से पेश किया गया था।

इससे पहले, केंद्र द्वारा “कुछ विसंगतियों” की ओर इशारा करने के बाद सरकार ने हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, २०२० को वापस ले लिया था

उस समय, वापस लिए गए विधेयक के कुछ प्रावधान नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के प्रावधानों के साथ विरोधाभासी पाए गए थे।

कुछ प्रावधानों पर टिप्पणियों के बाद बिल का 2019 संस्करण भी वापस ले लिया गया था।

विधानसभा से पारित होने के बाद, विधेयक का 2023 संस्करण राज्यपाल को भेजा गया, जिन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित रखा।

हरियाणा विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू हो गई है। सदन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने अभिभाषण दिया। राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में कहा कि सीईटी पास करने वाले ऐसे युवा जिन्हें एक साल तक नौकरी नहीं मिली, उन्हें अगले दो साल तक नौ हजार मासिक मानदेय दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि विधायक के तौर पर चुनकर आए सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारी का सही निर्वहन करेंगे.

प्रदेश में नौकरियों में अनुसूचित जाति वर्गीकरण का फैसला आज से ही लागू कर दिया जाएगा। यह बात सीएम नायब सैनी सत्र के दौरान कही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में घोषणा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति के आरक्षण के वर्गीकरण को लेकर फैसला दिया था। इस फैसले को हमारी कैबिनेट ने पहले ही पास कर दिया था। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति के आरक्षण में वर्गीकरण का यह फैसला आज से लागू हो जाएगा। शाम 5 बजे से मुख्य सचिव की वेबसाइट पर इस आदेश देखा जा सकता है।

सदन में हाल ही में मंत्री अनिल विज के उस बयान का मुद्दा भी उठा जिसमें उन्होंने चुनाव के समय जान के खतरे की बात कही थी और अधिकारियों की कारगुजारी पर प्रश्न उठाए थे। अशोक अरोड़ा ने ये मुद्दा उठाया। इसके बाद रघबीर कादियान ने कहा कि ये गंभीर बात है, इस पर संज्ञान लेना चाहिए।

भूपेन्द्र हुड्डा ने सीएम नायब सैनी की ओर देखते हुए कहा कि विज को गृहमंत्रालय दे दीजिए सब ठीक हो जाएगा। संसदीय कार्यमंत्री महिपाल ढांडा ने कहा कि मामला नोटिस में आ गया है अब राज्यपाल अभिभाषण पर चर्चा शुरू होनी चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण ने कैथल से कांग्रेस विधायक आदित्य सुरजेवाला की सदन में तारीफ की। अध्यक्ष ने कहा आदित्य सबसे युवा विधायक हैं और इन्होंने बहुत अच्छे से ढंग से अपनी बात रखी।

अपने संबोधन के दौरान विधायक सावित्री जिंदल ने कहा कि 14वीं विधानसभा में शामिल हुई 9 महिला विधायकों को राज्यपाल ने अपने अभिभाषण के दौरान नवरत्न कहकर संबोधित किया, जिसने हमें गौरवांवित किया है। राज्यपाल के अभिभाषण से नई ऊर्जा और विश्वास मिला है। राज्यपाल का अभिभाषण प्रदेश की प्रगति की दिशा तय कर रहा है। सावित्री जिंदल ने कहा बीते वर्षों में सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका जिक्र राज्यपाल अभिभाषण में हुआ हैं। राज्य की सम्रद्धि में हमें भी अपना सहयोग और योगदान एक जिम्मेदारी के नाते करना चाहिए

इसके बाद विधेयक को केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को भेज दिया गया।

जब विधेयक को टिप्पणियों के लिए केंद्रीय कानून और न्याय, वित्त और गृह मंत्रालय को भेजा गया, तो उन्होंने फिर से कुछ विसंगतियों को चिह्नित किया।

एमएचए ने हरियाणा से कानून मंत्रालय के विधायी विभाग के सुझावों को शामिल करने के बाद विधेयक को वापस लेने और एक नया प्रस्तुत करने पर विचार करने का अनुरोध किया।

इस मामले पर विचार-विमर्श किया गया और यह निर्णय लिया गया कि केंद्र द्वारा की गई टिप्पणियों को देखते हुए एक संशोधित विधेयक पेश किया जाएगा।

इससे पहले, बिल के 2023 संस्करण में कांग्रेस द्वारा “जो कठोर हैं और जिनका दुरुपयोग किया जा सकता है” प्रावधानों को शामिल करने का आरोप लगाया गया था, जिसमें सुझाव दिया गया था कि बिल को सदन की एक चयन समिति को भेजा जाना चाहिए।

सदन में कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने सोमवार को कहा कि पार्टी ने पहले भी विधेयक को वापस लेने की मांग की थी।

पार्टी के साथी विधायक बी बी बत्रा ने कहा, ‘‘यह तीसरी बार है कि यह विधेयक वापस लिया गया है।’’

सैनी, जो सदन के नेता भी हैं, ने कहा कि विधेयक का एक नया संस्करण बाद में बदलावों के साथ फिर से पेश किया जाएगा।

सरकार ने सोमवार को हरियाणा माननीय शव निपटान विधेयक, २०२४ को भी वापस ले लिया, जिसे इस साल फरवरी में विधानसभा द्वारा पारित किया गया था।

कांग्रेस विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने दो विधेयकों को वापस लेने के लिए आधिकारिक प्रस्ताव पेश किए।

उन्होंने कहा, जब ये विधेयक सदन द्वारा पारित किए जा रहे थे, तो विपक्ष ने कुछ आपत्तियां उठाई थीं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।

डेड बॉडी बिल में प्रदर्शन के लिए बॉडी का इस्तेमाल करने वालों के लिए सजा का प्रावधान था।

विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा गया, जिन्होंने इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित कर दिया।

गृह मंत्रालय ने बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उठाई गई टिप्पणियों पर राज्य से टिप्पणियां मांगीं।

इस बीच, 1 जुलाई को तीन नए आपराधिक कानून ‘भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय लक्ष्य अधिनियम, 2023’ लागू किए गए।

हरियाणा विधानसभा में हुआ था हंगामा

हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक 2023 जब पास हुआ था, तब मनोहर लाल राज्य के मुख्यमंत्री थे। इस बिल के पेश होने के दौरान विधानसभा में बजट सत्र के अंतिम दिन जबरदस्त हंगामा हुआ था। इस कानून को बनाने के पीछे सरकार की सोच थी कि न केवल गैंगस्टरों, उनके मुखियाओं और संगठित आपराधिक गिरोह के सदस्यों के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्रवाई करने में मदद मिल सकेगी।

जमकर हुआ था विरोध

हरियाणा ऑनरेबल डिस्पोजल ऑफ डेड बॉडी बिल-2024 का भी कांग्रेस की तरफ से विरोध किया गया था। कांग्रेस का मानना था कि शव के साथ धरना-प्रदर्शन करने वालों को जेल भेजने व जुर्माना लगाने का कानून गलत है। उस समय कांग्रेस ने भाजपा की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी पर भी इस बिल को लाने को लेकर सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने तब कहा था कि सरकार नहीं चाहती कि सरकारी तंत्र की वजह से होने वाली मौतों पर मृतक के परिजन न्याय के लिए अपनी आवाज उठा सकें।

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