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मम्प्स (MUMPS) गलसुआ कण्ठमाला से बचाव हेतु स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी

मम्प्स (MUMPS) गलसुआ कण्ठमाला से बचाव हेतु

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी

 

 

राजगढ 23 सितम्‍बर, 2024

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. किरण वाडिवा ने बताया कि वर्तमान में जिले में मम्प्स (MUMPS) गलसुआ कण्ठमाला के कुछ प्रकरण आए है, यह समानता बच्चो में होता है। उक्त्त बीमारी से बचाव एवं उपाय के संबंध में एडवाइजरी जारी की गई है।

मम्प्स (MUMPS) बीमारी के लक्षण

 मम्प्स के लक्षण मरीज के संक्रमित होने के बाद आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों के बीच दिखाई देते हैं। मम्प्स के वायरस से संक्रमित कुछ मनुष्यों में या तो कोई भी लक्षण महसूस नहीं हो पाता या फिर बहुत ही हल्के लक्षण प्रदर्शित होते है। जब लक्षण विकसित होते हैं, तो वे आमतौर पर वायरस के संपर्क के लगभग दो से तीन हफ्तों के बाद दिखने लगते है। मम्प्स में सबसे मुख्य लक्षण लार ग्रंथियों में सूजन (पैरोटाइटिस) ही होता है जिसके कारण चेहरे के एक तरफ या दोनो तरफ के गाल के पीछे के हिस्से फूलने लगते है। चबाते या निगलते समय सूजन के कारण दर्द होता है। शरीर का तापमान आमतौर पर 103 या 104 (लगभग 39.5 या 40 तक बढ़ सकता है और 1 से 3 दिनों तक रहता है। मुंह सूखना, सिरदर्द, जोड़ों, मांसपेशियों में दर्द, थकान और कमजोरी तथा भूख में कमी इस बीमारी के लक्षण में शामिल है।

मम्प्स (MUMPS) बीमारी कैसे फैलती है

यह संक्रमित व्यक्ति की लार व अन्य रिसाव आदि से स्वस्थ व्यक्तियों फैलता है। जब मम्प्स रोग होता है तब वायरस श्वसन तंत्र से लार पंथियों तक पहुंचता है और वहां जाकर प्रजनन करने लगता है। जिस कारण से ग्रंथियों में सूजन आने लगती है। जुकाम और फ्लू की तरह मम्प्स रोग भी फैलने वाला रोग है। यदि एक व्यक्ति अपनी नाक या मुंह को छूकर किसी दूसरी सतह को छू लेता है तो वह सतह संक्रमित हो जाती है और कोई स्वस्थ व्यक्ति उत्स सतह को छूने से संक्रमित हो सकता है। छींकने या खांसने से, संक्रमित व्यक्ति का जूठा भोजन व पेय पदार्थ ग्रहण करने पर, संक्रमित व्यक्ति की प्लेट आदि के उपयोग से, जो लोग मम्प्स के वायरस से संक्रमित होते हैं वे लगभग 15 दिनों तक संक्रामक (रोग फैला सकते हैं) रहते है (लक्षण शुरू होने से 6 दिन पहले और शुरू होने के 9 दिन बाद तक) यह बीमारी रहती है।

मम्प्स (MUMPS) बीमारी से बचने के उपाय

 छींकते समय टिश्यु पेपर का इस्तेमाल करना और फिर उसको सुरक्षित रूप से नष्ट कर दें। मम्प्स का पहला लक्षण विकसित होते ही आइसोलेट हो जाए। मम्प्स प्रसार से बचाने के लिए रोगी को स्वस्थ व्यक्तियों से अलग रखें क्योंकि मम्प्स का मरीज लक्षण शुरू होने के एक हफ्ते बाद तक संक्रामक रह सकता है। नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन-पानी से धोते रहना। साबुन- पानी के अतिरिक्त सेनेटाइजर का उपयोग करें। उक्त बीमारी के लक्षण आने पर तत्काल शासकीय स्वास्थ्य संस्था पर चिकित्सक को दिखाएं।

बच्चों का समय पर एमएमआर का टीकाकरण (मम्प्स, मीसल्स और रूबेला के लिए) करवा कर आप अपने बच्चों का मम्प्स से बचाव कर सकते हैं। मम्प्स का टीकाकरण करवाना मम्प्स की रोकथाम करने का सबसे बेहतर तरीका होता है। एमएमआर टीकाकरण बचपन के टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा होता है। जब बच्चा 12 से 13 महीने का हो जाता है तो उनका एक टीकाकरण करवा देना चाहिए। दूसरा टीकाकरण बच्चे के स्कूल शुरू करने से पहले ही करवा देना चाहिए। जब दोनों खुराक मिल जाती हैं तो मम्पस के प्रति बच्चा 95 प्रतिशत सुरक्षित हो जाता है।

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