• माता लक्ष्मी के व्रत और अनुष्ठान में 16 अंक का विशेष महत्व, जानिये क्या है मान्यता…
वाराणसी : काशी के लक्खा मेला में शुमार माता लक्ष्मी का आराधना के लिए सोरहिया मेला इस समय चल रहा है। महालक्ष्मी के इस अनुष्ठान में 16 अंक का विशेष महत्व होता है। इसमें 16 दिनों का व्रत और स्नान, 16 आचमन के पश्चात देवी विग्रहों की 16 परिक्रमा की मान्यता है।
माँ लक्ष्मी को 16 चावल के दाने,16 दूर्वा और 16 पल्लव अर्पित करने के साथ व्रत के लिए 16 गांठ का धागा धारण किया जाता है। जो कथा सुनी जाती है, इसमें 16 शब्द होते हैं, वहीं 16वें दिन जीवित्पुत्रिका या ज्यूतिया के निर्जला व्रत के साथ पूजन का समापन होता है।
लक्सा स्थित लक्ष्मी मंदिर के महंत रविशंकर पांडेय नें बताया कि अष्टमी से अष्टमी तक महालक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस व्रत की शुरुआत पार्वती माता ने किया था। यह व्रत भाद्रपद अष्टमी से शुरू होकर आश्विन की अष्टमी तक चलता है।
सोरहिया मेला के दौरान लक्ष्मीकुंड स्थित माता लक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालुओं का मेला उमड़ता है। 16 दिनों तक व्रत रहकर महिलाएं माँ का दर्शन-पूजन और अनुष्ठान करती हैं। मंदिर की नियमित 16 परिक्रमा लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि 16 दिनों की आराधना से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।