• पुत्रों की लंबी उम्र के लिए माताओं ने रखी ललही षष्ठ व्रत।
कहा जाता है कि मां,मां होती है।आज बलराम जयंती के अवसर पर,अपने पुत्रों की दीर्घायु की कामना लिए माताओं ने ललही षष्ठ का व्रत रखीं।
सूर्योदय होते ही माताओं ने महुआ का दातुन कीं।और स्नानादि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र धारण कर ओ मंदिर या घर की आंगन में इकट्ठा हुईं।जहां भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई श्री बलराम जी एवं छठ माता की प्रतिमा या तस्वीर के आगे कशासन पर बैठीं।इसके बाद कांशी यानी कुश को धोईं,फिर जितने पुत्र उतने कुश को गांठ बांध उस पर दही,सिंदूर से तिलक कीं।और महुआ के पत्ते पर तिन्नी चावल,महुआ,दही को मिश्रित कर श्री बलराम जी एवं छठ माता को भोग लगाईं।
घर की या मोहल्ले की बड़ी महिलाओं से ललही षष्ठ या हल षष्ठ का कथा श्रवण कीं।कथा श्रवण के पश्चात महिलाओं ने अपने परिवार के सभी सदस्यों एवं छोटे – बड़े बच्चों को दही,तिन्नी चावल और सिंदूर मिश्रित कर तिलक लगाईं,और महुआ के पत्ते पर उसी का प्रसाद वितरण कीं।
सूर्यास्त से पूर्व माताएं आंगन की साग और तिन्नी चावल खाईं,फिर शाम को पूरे परिवार में प्रसाद वितरण कीं।