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अंतस की वाणी

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अंतस की वाणी

आज तेरी,कल मेरी,
आनी सबकी है बारी।
मिथ्या जीवन के लिए,
करते क्यों मारा-मारी।

भ्रम की है मायानगरी ,
छल,कपट बने साथी।
रिश्ते नाते छोड़ देते,
स्वार्थ में नर नारी।

मूढ़ मनुज पापी बने,
अधर्मी करे है मनमानी।
षड्यंत्र की बिसात पर,
नाचे है दुनिया सारी।

कलयुग की सभा में,
मिटती,लुटती है नारी।
मूक हुए ज्ञानी देखें,
अधर्म की बाढ़ भारी।

सत्कर्म से नाता जोड़ें,
मृत्यु बाद वही जाई।
समय रहते जाग जाएं
‘रेनू’ अंतस की वाणी।

रेनू मिश्रा दीपशिखा प्रयागराज उत्तर प्रदेश
सत्यार्थ न्यूज़ से जिला संवाददाता रोहित कुमार पाठक 8821 934125% पर करें विज्ञापन के लिए

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