आदिवासियों का जल जंगल जमीन बचाने के लिए देशव्यापी चरणबंद्ध होगा आंदोलन
बांसवाड़ा
संवाददाता पूर्णानंद
राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचएन रेकवाल के आह्वान पर राष्ट्रीय वापी होगा आंदोलन
वन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 लागू करके आदिवासियों को बड़े पैमाने पर बेदखल करके उनको जल जंगल मकान और जमीन के मालिक आना हक एवं अधिकार से वंचित किया जा रहा है वन संरक्षण संशोधन अधिनियम 2023 लागू होने से पैसा एक्ट आर्टिकल 244 का के माध्यम से पांचवी वी छठवीं अनुसूची से दिए हुए संवैधानिक विशेषाधिकार वन अधिकार ग्राम सभा के अधिकार एवं जनजाति सलाहकार परिषद के अधिकारों को खत्म करके केंद्र सरकार के द्वारा वनों का निजीकरण करके वनों की पूंजी – पतियों के हवाले किया जा रहा है आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों की जमीनों में बहुमूल्य धातुओं का दोहन करने के लिए पूंजीपतियों को जमीनों का आवंटन करके आदिवासियों को जल जंगल मकान एवं जमीनों के मालिकाना हक एवं अधिकारों से वंचित किया जा रहा है जिससे पूरे देश के आदिवासी अपने जल जंगल और जमीन से बड़े पैमाने पर विस्थापित हो रहे हैं विस्थापन की वजह से पांचवीं छठी अनुसूचित क्षेत्र समाप्त होने एवं आदिवासियों की मूल पहचान कला सभ्यता संस्कृति तथा उनके अस्तित्व एवं पर्यावरण के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है
केंद्र सरकार के द्वारा आदिवासियों के अस्तित्व को खत्म करने के लिए साजिश की जा रही हैं इसके विरोध में राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचएन रेकवाल के आह्वान पर 31 राज्यों 570 जिलों में एक साथ देशव्यापी चरण बन आंदोलन तीन चरणों में प्रथम चरण 13 अगस्त 2024 को धरना प्रदर्शन व ज्ञापन द्वितीय चरण 21 अगस्त 2024 को तहसील स्तर पर धरना प्रदर्शन एवं ज्ञापन तथा तृतीय चरण 2 सितंबर 2024 को जिला स्तर पर विशाल रैली प्रदर्शन एवं ज्ञापन देने का कार्य होगा इस प्रदर्शन में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा राष्ट्रीय किसान मोर्चा भारत मुक्ति मोर्चा और कई सारे सामाजिक संगठन तथा आदिवासियों के तमाम संगठन अपना अपना झंडा झंडा बैनर लेकर सम्मिलित होंगे यह जानकारी नारायण सिंगाड़ राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजस्थान द्वारा दी गई