सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ।शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है।पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🌹 *जय श्री कृष्णा* 🌹
*दिनांक:- 01/08/2024, गुरुवार*
द्वादशी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- द्वादशी 15:28:22 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— मृगशिरा 10:22:54
योग———- व्याघात 12:48:34
करण———– तैतुल 15:28:21
करण————– गर 27:24:05
वार———————– गुरूवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—————– मिथुन
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————— क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) —————कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————- 2080
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:43:52
सूर्यास्त—————- 19:06:50
दिन काल————- 13:22:58
रात्री काल————- 10:37:33
चंद्रास्त————— 17:03:01
चंद्रोदय—————- 27:15:25
लग्न—- कर्क 15°3′ , 105°3′
सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————- मृगशिरा
नक्षत्र पाया——————- लोहा
🚩 पद, चरण 🚩
की—- मृगशिरा 10:22:54
कु—- आर्द्रा 16:29:21
घ—- आर्द्रा 22:37:18
ङ—- आर्द्रा 28:46:47
💮 ग्रह गोचर 💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कर्क 15°05, पुष्य 4 ड
चन्द्र= मिथुन 04°30 , मृगशिरा 4 की
बुध =सिंह 09°53′ मघा 3 मू
शु क्र= सिंह 00°05, मघा ‘ 1 मा
मंगल=वृषभ 13°30 ‘ रोहिणी’ 2 वा
गुरु=वृषभ 20°30 रोहिणी , 4 वु
शनि=कुम्भ 24°10 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 15°30 उo भा o, 4 ञ
केतु=(व) कन्या 15°30 हस्त , 2 ष
*शुभा$शुभ मुहूर्त*
राहू काल 14:06 – 15:46 अशुभ
यम घंटा 05:44 – 07:24 अशुभ
गुली काल 09:05 – 10: 45अशुभ
अभिजित 11:59 – 12:52 शुभ
दूर मुहूर्त 10:12 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:33 – 16:26 अशुभ
वर्ज्यम 18:56 – 20:34 अशुभ
प्रदोष 19:07 – 21:16 शुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ 05:44 – 07:24 शुभ
रोग 07:24 – 09:05 अशुभ
उद्वेग 09:05 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:25 शुभ
लाभ 12:25 – 14:06 शुभ
अमृत 14:06 – 15:46 शुभ
काल 15:46 – 17:26 अशुभ
शुभ 17:26 – 19:07 शुभ
🚩चोघडिया, रात
अमृत 19:07 – 20:27 शुभ
चर 20:27 – 21:46 शुभ
रोग 21:46 – 23:06 अशुभ
काल 23:06 – 24:26* अशुभ
लाभ 24:26* – 25:45* शुभ
उद्वेग 25:45* – 27:05* अशुभ
शुभ 27:05* – 28:25* शुभ
अमृत 28:25* – 29:44* शुभ
💮होरा, दिन
बृहस्पति 05:44 – 06:51
मंगल 06:51 – 07:58
सूर्य 07:58 – 09:05
शुक्र 09:05 – 10:12
बुध 10:12 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:25
शनि 12:25 – 13:32
बृहस्पति 13:32 – 14:39
मंगल 14:39 – 15:46
सूर्य 15:46 – 16:53
शुक्र 16:53 – 17:59
बुध 17:59 – 19:07
🚩होरा, रात
चन्द्र 19:07 – 19:59
शनि 19:59 – 20:53
बृहस्पति 20:53 – 21:46
मंगल 21:46 – 22:39
सूर्य 22:39 – 23:32
शुक्र 23:32 – 24:26
बुध 24:26* – 25:19
चन्द्र 25:19* – 26:12
शनि 26:12* – 27:05
बृहस्पति 27:05* – 27:58
मंगल 27:58* – 28:51
सूर्य 28:51* – 29:44
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कर्क > 03:50 से 06:08 तक
सिंह > 06:08 से 08:18 तक
कन्या > 08:18 से 10:32 तक
तुला > 10:32 से 12: 50 तक
वृश्चिक > 12:50 से 15:02 तक
धनु > 15:02 से 17:08 तक
मकर > 17:08 से 18:56 तक
कुम्भ > 18:56 से 20:28 तक
मीन > 20:28 से 21:56 तक
मेष > 21:56 से 23:32 तक
वृषभ > 23:32 से 01:28 तक
मिथुन > 01:28 से 03:46 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 12 + 5 + 1 = 33 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*ग्रह मुख आहुति ज्ञान*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभा रूढ़ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*विशेष जानकारी*
* शिव प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
*शुभ विचार*
मुक्तिमिच्छासि चेत्तात ! विषयान् विषवत्त्यज ।
क्षमाऽऽर्जवं दया शौचं सत्यं पीयूषवत्पिब ।।
।। चा o नी o।।
तात, यदि तुम जन्म मरण के चक्र से मुक्त होना चाहते हो तो जिन विषयो के पीछे तुम इन्द्रियों की संतुष्टि के लिए भागते फिरते हो उन्हें ऐसे त्याग दो जैसे तुम विष को त्याग देते हो. इन सब को छोड़कर हे तात तितिक्षा, ईमानदारी का आचरण, दया, शुचिता और सत्य इसका अमृत पियो.
*सुभाषितानि*
गीता -: अक्षरब्रह्मयोग अo-08
सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः ।,
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः ॥,
ब्रह्मा का जो एक दिन है, उसको एक हजार चतुर्युगी तक की अवधि वाला और रात्रि को भी एक हजार चतुर्युगी तक की अवधि वाला जो पुरुष तत्व से जानते हैं, वे योगीजन काल के तत्व को जानने वाले हैं॥,17॥,
दैनिक राशिफल
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-भूमि व भवन संबंधी खरीद-फरोख्त की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। आर्थिक उन्नति होगी। संचित कोष में वृद्धि होगी। देनदारी कम होगी। नौकरी में मनोनुकूल स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। शेयर मार्केट आदि से बड़ा फायदा हो सकता है। परिवार की चिंता बनी रहेगी।
🐂वृष-शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति मार्गदर्शन प्राप्त होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। झंझटों में न पड़ें।
👫मिथुन-शत्रुओं का पराभव होगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। दु:खद समाचार मिल सकता है। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। काम पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। बेवजह किसी व्यक्ति से कहासुनी हो सकती है। प्रयास अधिक करना पड़ेंगे। दूसरों के बहकावे में न आएं। फालतू बातों पर ध्यान न दें। लाभ में वृद्धि होगी।
🦀कर्क-पुराना रोग परेशानी का कारण बन सकता है। जल्दबाजी न करें। आवश्यक वस्तुएं गुम हो सकती हैं। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। भेंट व उपहार देना पड़ सकता है। प्रयास सफल रहेंगे। कार्य की बाधा दूर होगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार में वृद्धि तथा सम्मान में वृद्धि होगी।
🐅सिंह-किसी भी तरह के विवाद में पड़ने से बचें। जल्दबाजी से हानि होगी। राजभय रहेगा। दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। सही काम का भी विरोध हो सकता है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। सट्टे व लॉटरी के चक्कर में न पड़ें।
🙍♀️कन्या-कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। किसी अनहोनी की आशंका रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। लेन-देन में लापरवाही न करें। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। शेयर मार्केट से बड़ा लाभ हो सकता है।
⚖️तुला-मस्तिष्क पीड़ा हो सकती है। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है या समय पर नहीं मिलेगी। पुराना रोग उभर सकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। हल्की हंसी-मजाक करने से बचें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। यश बढ़ेगा।
🦂वृश्चिक-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विवेक से कार्य करें। लाभ में वृद्धि होगी। फालतू की बातों पर ध्यान न दें। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में उन्नति होगी। व्यापार-व्यवसाय की गति बढ़ेगी। चिंता रह सकती है। थकान रहेगी। प्रमाद न करें।
🏹धनु-पुराना रोग उभर सकता है। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। विरोधी सक्रिय रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। आय में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। घर-परिवार में सुख-शांति रहेगी। जल्दबाजी न करें।
🐊मकर-व्यवसाय में ध्यान देना पड़ेगा। व्यर्थ समय न गंवाएं। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जल्दबाजी से हानि संभव है। थकान रहेगी। कुसंगति से बचें। निवेश शुभ रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। दूसरों के काम में हस्तक्षेप न करें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🍯कुंभ-घर-परिवार के किसी सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। फालतू खर्च होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। अपेक्षाकृत कार्यों में विलंब होगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। आय में निश्चितता रहेगी। शत्रुभय रहेगा।
🐟मीन-कानूनी अड़चन दूर होकर लाभ की स्थिति निर्मित होगी। प्रेम-प्रसंग में जोखिम न लें। व्यापार में लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। निवेश में सोच-समझकर हाथ डालें। शत्रु पस्त होंगे। विवाद में न पड़ें। अपेक्षाकृत कार्य समय पर होंगे। प्रसन्नता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यस्तता रहेगी। प्रमाद न करें।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय है🙏🏻
।। भगवान शिव से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।।
★ भगवान शिव को अनादि माना गया है, मतलब जो हमेशा से था. जिसके जन्म की कोई तिथि नही
★ कथक, भरतनाट्यम करते वक्त भगवान शिव की जो मूर्ति रखी जाती है उसे नटराज कहते हैं
★ किसी भी देवी-देवता की टूटी हुई मूर्ति की पूजा नही होती. लेकिन शिवलिंग चाहे कितना भी टूट जाए फिर भी पूजा जाता है
★ भोले बाबा ने तांडव करने के बाद सनकादि के लिए चौदह बार डमरू बजाया था जिससे माहेश्वर सूत्र यानि संस्कृत व्याकरण का आधार प्रकट हुआ था
★ शंकर भगवान पर कभी भी केतकी का फूल नही चढ़ाया जाता. क्योंकि यह ब्रह्मा जी के झूठ का गवाह बना था
★ शिवलिंग पर बेलपत्र तो लगभग सभी चढ़ाते है. लेकिन इसके लिए भी एक ख़ास सावधानी बरतनी पड़ती है कि बिना जल के बेलपत्र नही चढ़ाया जाता है
★ शंकर भगवान और शिवलिंग पर कभी भी शंख से जल नही चढ़ाया जाता क्योकिं शिव जी ने शंखचूड़ को अपने त्रिशूल से भस्म कर दिया था (शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना था)
★ भगवान शिव के गले में जो सांप लिपटा रहता है उसका नाम है वासुकि. यह शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा था. भगवान शिव ने खुश होकर इसे गले में डालने का वरदान दिया था
★ चंद्रमा को भगवान शिव की जटाओं में रहने का वरदान मिला हुआ है
★ नंदी, जो शंकर भगवान का वाहन और उसके सभी गणों में सबसे ऊपर भी है वह असल में शिलाद ऋषि को वरदान में प्राप्त पुत्र था जो बाद में कठोर तप के कारण नंदी बना था
★ शंकर भगवान का शरीर नीला इसलिए पड़ा क्योंकि उन्होने हलाहल पी लिया था. दरअसल, समुंद्र मंथन के समय 14 चीजें निकली थी. 13 चीजें तो असुरों और देवताओं ने आधी-आधी बाँट लीं लेकिन हलाहल नाम का विष लेने को कोई तैयार नही था. ये विष बहुत ही घातक था इसकी एक बूँद भी धरती पर विध्वंस ला सकती थी. तब भगवान शिव ने इस विष को पिया था. यही से उनका नाम पड़ा नीलकंठ
★ त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक है। इसमें 3 तरह की शक्तियां हैं- सत, रज और तम
★ भस्म सृष्टि का सार है, सब कुछ अंत में राख ही हो जाना है। इसलिए भगवान शिव अपने पूरे शरीर पर भस्म लगाए रहते हैं। सृष्टि के विंध्वस के लिए भगवान शिव प्रतीक है और भस्म भी विंध्वस का ही प्रतीक है। इसलिए शरीर पर भस्म रमाना बताता है कि जीवन नश्वर है