ज़मींन के माफियायों का खेल,रजिस्ट्री एवं दाखिल खारिज के बावजूद, जमीन पर कब्जे के लिए दर-दर भटक रहे खरीददार
बाराबंकी
सरकार की सख़्ती के बावजूद कुछ जमीन के ठेकेदार एवं मलिक जमीन बेचने के बाद भी खरीददारों को कब्जा नहीं दे रहे हैं, खरीददार कब्जे के लिए कभी जमीन मालिक और कभी दलालों के चक्कर लगा रहे हैं, जिससे वह आर्थिक मानसिक एवं शारीरिक रूप से इतनी परेशान है कि उनकी शारीरिक दशा भी ठीक दिखाई नहीं पड़ रही है, लेखपाल,कानूनगो जब आज सभी से जब बात की गई तो उन्होंने कहा, कि यह जमीन कृषि योग्य भूमि है और यहां पर कब्ज़ा दिलाना हमारे बस की बात नहीं है, जमीन के को बेचने के समय जमीन कहीं अनयंत्र दिखाई गई और जमीन की जो गाटा संख्या 2218,2134है, वह जमीन थी ही नहीं, 2218, 2134 पर जब खरीदार पहुंचे, खेत के रूप में जमीन दिखाई दी, जिस पर प्लाट बेचने वालों ने कोई भी कार्य नहीं कराया, ना वहां रास्ता है और ना ही वहां आने जाने का कोई मार्ग, यह मामला बाराबंकी जिले के तहसील सदर का है गदिया ग्राम पंचायत के ज़मीन की गाटा संख्या 2218, 2134 है, कई बार प्रार्थना पत्र देने के समुचित निदान नहीं किया जा सका है, लेखपाल एवं तहसील के अन्य आला अधिकारी कुछ भी कर पाने मे समर्थ नहीं दिखाई पड़ रहे है, भुक्तभोगी लगातार आये दिन कभी तहसील कभी लेखपाल के आगे जा रहे है, और बेवस नज़र आप रहे, अब थक हारकर भुक्तभोगियो ने योगी आदित्यनाथ की शरण मे जाने का फैसला किया है.इस मामले मे मुख्य रूप से अविनाश मिश्रा, महेंद्र तिवारी, दीपक मिश्रा एवं सीताराम मुख्य रूप से षड़यंत्रकर्ता है, और तहसील कर्मचारियों की भी संलिप्तता प्रतीत हो रही है. खरीददारों ने अब तहसील परिसर मे धरना देकर बैठने की बात कर रहे है.एंटी भू माफिया पोर्टल पर भी इसकी शिकायत की गयी, लेकिन उसका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा,इसमें करीब 35 से 40 जो गरीब एवं मध्यम परिवार के, इसमें मुख्यता विधवा महिला भी है, जिसको न्याय ना मिल पाना तहसील एवं प्रशासन का भूमाफिया की मिलीभगत की ओर भी इशारा कर रहा है.