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न्यूज रिपोर्टर मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
योग विषय की महत्वपूर्ण जानकारी जानिए योग प्रशिक्षक ओम प्रकाश कालवा के साथ।
श्रीडूंगरगढ़। कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योग प्रशिक्षक ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 42 वें अंक को प्रकाशित करते हुए योग विषय की महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया। योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है। इस शब्द का अर्थ ही ‘योग’ या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना के मिलन का भी प्रतीक है, जो मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच एक पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है।
अर्थ
-‘योग’ शब्द ‘युज समाधौ’ आत्मनेपदी दिवादिगणीय धातु में ‘घं’ प्रत्यय लगाने से निष्पन्न होता है। इस प्रकार ‘योग’ शब्द का अर्थ हुआ- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध। वैसे ‘योग’ शब्द ‘युजिर योग’ तथा ‘युज संयमने’ धातु से भी निष्पन्न होता है किन्तु तब इस स्थिति में योग शब्द का अर्थ क्रमशः योगफल, जोड़ तथा नियमन होगा।
खोज
-अभी हाल तक, पश्चिमी विद्वान ये मानते आये थे कि योग का जन्म करीब 500 ईसा पूर्व हुआ था जब बौद्ध धर्म का प्रादुर्भाव हुआ। लेकिन हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में जो उत्खनन हुआ, उससे प्राप्त योग मुद्राओं से ज्ञात होता है कि योग का चलन 5000 वर्ष पहले से ही था।
योगा फूल फॉर्म
-व्याख्या:YOGA का पूर्ण रूप “ Your Objectives Guidelines and
Assessment ” है। योग धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं की एक शाखा है,जो हिंदू धर्म की प्राचीन भारतीय प्रथा से ली गई है।
कुल आसन
योगासनों में 84 बुनियादी आसन हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति अपनी चेतना को ऊपर उठा सकता है। जब हम 84 आसन कहते हैं, तो उन्हें सिर्फ़ 84 मुद्राएँ न समझें। ये 84 प्रणालियाँ हैं, 84 प्राप्ति के तरीके हैं।
योग का जनक
-पतंजलि को आधुनिक योग का जनक माना जाता है। भारत के कुछ हिस्सों में तिरुमलाई कृष्णमाचार्य को भी आधुनिक योग का जनक माना जाता है।
योग के प्रथम गुरू
-योगिक विद्या कहती है कि योग सभ्यता के आरंभ से ही पुराना है। इस विद्या में भगवान शिव को पहला योगी या आदियोगी बताया गया है। पीढ़ियों से चली आ रही यह कहानी उस समय की है जब भगवान शिव ने अपने सात शिष्यों को योग सिखाया था।
अष्टांग योग
-महर्षि पतंजलि, जिन्हें सही मायने में “योग के जनक” कहा जाता है, ने अपने “योग सूत्र” (सूत्र) में योग के विभिन्न पहलुओं को व्यवस्थित रूप से संकलित और परिष्कृत किया। उन्होंने मानव के सर्वांगीण विकास के लिए योग के आठ गुना मार्ग की वकालत की, जिसे लोकप्रिय रूप से “अष्टांग योग” के रूप में जाना जाता है। अष्टांग योग के आठ योगांग-‘यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान तथा समाधि हैं. बात करें अष्टांग योग के पहले अंग यानी ‘यम’ के बारे में तो, यम वह नियम जो व्यक्ति को समाज में नैतिक तरीके से रहना सिखाता है।
प्रकार
-योग व्यक्ति के शरीर, मन, भावना और ऊर्जा के स्तर पर काम करता है। इसने योग के चार व्यापक वर्गीकरणों को जन्म दिया है: कर्म योग, जहाँ हम शरीर का उपयोग करते हैं भक्ति योग,जहाँ हम भावनाओं का उपयोग करते हैं ज्ञान योग, जहाँ हम मन और बुद्धि का उपयोग करते हैं और क्रिया योग, जहाँ हम ऊर्जा का उपयोग करते हैं।
नोट
-योग एक प्राचीन अभ्यास है जिसमें हल्का व्यायाम, श्वास नियंत्रण और ध्यान शामिल है। नियमित योग अभ्यास के स्वास्थ्य लाभों में रक्तचाप कम होना, मुद्रा और रक्त संचार में सुधार, तथा बेहतर स्वास्थ्य की भावना शामिल हो सकती है। योग का उचित रूप से प्रशिक्षित और योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही करें।
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।