जनार्दन शुक्ला के कारनकामो पर लगे लगाम,रिजेक्ट हो दूषित गेंहू:- रामनिवास उरमलिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामनिवास उरमलिया ने जनार्दन शुक्ला के सड़े गेंहू मामले में सरकार के साथ स्थानीय प्रशासन को भी सवालों के घेरे में खड़ा किया। श्री उरमलिया ने कहा कि जनार्दन शुक्ला न तो किसी दल का व्यक्ति है न ही किसी नेता का व्यक्ति है दशकों से अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इसने दल और नेताओं का साथ पकड़ा। जनार्दन शुक्ला कब कब किसके किसके साथ रहे इस बात का गवाह पूरा मैहर है। लेकिन मामले में ये बात महत्वपूर्ण नही महत्वपूर्ण यह है कि जहां इनके द्वारा गेंहू को सुरक्षित और संरक्षित करने की व्यवस्था नही थी उस जगह पर हमारे जिम्मेवार प्रशासन ने उन्हें खरीदी करने के निर्देश कैसे दिए ये सबसे पहले सरकार के लिए बड़ी जांच का मुद्दा है।इसके बाद इनकी लापरवाही के कारण लगभग 1750 क्विंटल गेंहू लगभग 9 ट्रक कीमत लगभग 42 लाख रु का गेंहू वारिश के दौरान भीग गया उसमें सड़न बस गंध आने लगी तब उसे गोदाम में किसकी अनुमति से रखा गया। जब गोदाम का सुपर वाइजर लिखित में उक्त गेंहू का विरोध कर रहा है स्पष्ट तौर पर यह कह रहा है कि गेहूं मानक के विपरीत है मामले को लेकर तमाम जिम्मेवार अधिकारियों द्वारा जांच पड़ताल पंचनामो में भी यही बात निकलकर सामने आई इसके बाद भी रिजेक्ट करने की जगह अभी उसे छानबीन किये जाने की अनुमति किस आधार पर दी गयी। उन्होंने कहा कि अनाज में पानी पड़ जाय तो उसकी स्थिति क्या होती है यह बात हर जिम्मेवार जानता है नमूना देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उक्त गेंहू जानवरो के खाने लायक नही बचा तो इसे कल आदमी को खाने के लिए कैसे परोसा जाएगा। गलती तो खरीदी करने वाले की है तो उसका खामियाजा विभाग और सरकार सहित आमजन जिनके बीच कल इस गेंहू को भेजना है तो क्यो भूकते। इसलिए तत्काल प्रभाव से जिले के अधिकारी विभाग के जिम्मेवार सचेत होकर न्यायहित मे कार्य करते हुए पूरे गेंहू को रिजेक्ट कर केंद्र से बाहर कराए नही तो जल्द ही इस मामले में बड़ा आंदोलन खड़ा कर मामले को सरकार के संज्ञान में लाया जाएगा जिसकी सम्पूर्ण जबाबदारी जिला प्रशासन की होगी। दशकों से एक क्षत्र राज्य करने वाले जनार्दन शुक्ला के कारनामो में लगाम लगाते हुए इनकी बहु की आंगनवाड़ी में हुई फर्जी नियुक्ति की तत्काल निष्पक्ष जांच करा सेवा से पृथक कर मामले में संलिप्त तमाम लोगो पर विधि सम्मत कार्यवाही की जाय नही तो अब रण होगा जिसकी पूर्ण जिम्मेवारी जिला कलेक्टर सहित संबंधित अधिकारियों की होगी। रामनिवास उरमलिया का दूसरा नाम ही रण व संघर्ष है गरीब असहाय मजलुमो की लड़ाई ही पहचान है जिसे हम बाखूबी लड़ना जानते है। जिम्मेवार तंत्र अगर लड़ाई का हिस्सा नही बनना चाहता तो जनार्दन शुक्ला के भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगाये।
सत्यार्थ न्यूज़ जिला रिपोर्टर रोहित कुमार पाठक की खास