न्यूज रिपोर्टर नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है !पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं!
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग
*दिनाँक:- 27/06/2024, गुरुवार*
षष्ठी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि————- षष्ठी 18:38:59 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——– शतभिषा 11:35:39
योग——— आयुष्मान 24:26:41
करण————– गर 07:46:30
करण———– वणिज 18:38:59
वार———————– गुरूवार
माह———————– आषाढ
चन्द्र राशि—– कुम्भ 28:30:46
चन्द्र राशि—————— मीन
सूर्य राशि—————– मिथुन
रितु————————– वर्षा
आयन——————दक्षिणायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर)————- कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:27:27
सूर्यास्त—————- 19:17:16
दिन काल————- 13:49:49
रात्री काल————- 10:10:29
चंद्रास्त—————- 10:41:16
चंद्रोदय—————- 23:35:11
लग्न—-मिथुन 11°39′ , 71°39′
सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र————– शतभिषा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
सी—- शतभिषा 05:57:38
सू—- शतभिषा 11:35:39
से—- पूर्वा भाद्रपदा 17:13:49
सो—- पूर्वा भाद्रपदा 22:52:10
दा—- पूर्वा भाद्रपदा 28:30:46
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= मिथुन 11°10, आर्द्रा 2 घ
चन्द्र=कुम्भ 16°30 , शतभिषा 3 सी
बुध =मिथुन 25°53′ पुनर्वसु 2 को
शु क्र= मिथुन 17°05, आर्द्रा ‘ 4 छ
मंगल=मेष 18°30 ‘ भरणी ‘ 2 लू
गुरु=वृषभ 13°30 रोहिणी , 1 ओ
शनि=कुम्भ 25°10 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 17°20 रेवती , 1 दे
केतु=(व) कन्या 17°20 हस्त , 3 ण
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 14:06 – 15:50 अशुभ
यम घंटा 05:27 – 07:11 अशुभ
गुली काल 08:55 – 10: 39अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 10:04 – 10:59 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:36 – 16:31 अशुभ
वर्ज्यम 17:36 – 19:07 अशुभ
प्रदोष 19:17 – 21:20 शुभ
🚩पंचक ² अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ 05:27 – 07:11 शुभ
रोग 07:11 – 08:55 अशुभ
उद्वेग 08:55 – 10:39 अशुभ
चर 10:39 – 12:22 शुभ
लाभ 12:22 – 14:06 शुभ
अमृत 14:06 – 15:50 शुभ
काल 15:50 – 17:34 अशुभ
शुभ 17:34 – 19:17 शुभ
🚩चोघडिया, रात
अमृत 19:17 – 20:34 शुभ
चर 20:34 – 21:50 शुभ
रोग 21:50 – 23:06 अशुभ
काल 23:06 – 24:23* अशुभ
लाभ 24:23* – 25:39* शुभ
उद्वेग 25:39* – 26:55* अशुभ
शुभ 26:55* – 28:11* शुभ
अमृत 28:11* – 29:28* शुभ
💮होरा, दिन
बृहस्पति 05:27 – 06:37
मंगल 06:37 – 07:46
सूर्य 07:46 – 08:55
शुक्र 08:55 – 10:04
बुध 10:04 – 11:13
चन्द्र 11:13 – 12:22
शनि 12:22 – 13:32
बृहस्पति 13:32 – 14:41
मंगल 14:41 – 15:50
सूर्य 15:50 – 16:59
शुक्र 16:59 – 18:08
बुध 18:08 – 19:17
🚩होरा, रात
चन्द्र 19:17 – 20:08
शनि 20:08 – 20:59
बृहस्पति 20:59 – 21:50
मंगल 21:50 – 22:41
सूर्य 22:41 – 23:32
शुक्र 23:32 – 24:23
बुध 24:23* – 25:13
चन्द्र 25:13* – 26:04
शनि 26:04* – 26:55
बृहस्पति 26:55* – 27:46
मंगल 27:46* – 28:37
सूर्य 28:37* – 29:28
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
मिथुन > 03:50 से 6:30 तक
कर्क > 06:30 से 08:20 तक
सिंह > 08:20 से 11:00 तक
कन्या > 11:00 से 13:06 तक
तुला > 13:06 से 15: 08 तक
वृश्चिक > 15:08 से 17:40 तक
धनु > 17:40 से 19:30 तक
मकर > 19:30 से 21:44 तक
कुम्भ > 21:44 से 22:56 तक
मीन > 22:56 से 00:26 तक
मेष > 00:26 से 02:06 तक
वृषभ > 02:06 से 03:46 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 6 + 5 + 1 = 27 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
मंगल ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
21 + 21 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक दुःख कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
सांय 18:39 से प्रारम्भ
मृत्यु लोक = सर्वकार्य विनाशिनी
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*आयुष्मान योग
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
अनागतविधाता च प्रत्युत्पन्नमतिस्तथा ।
द् वावेतौ सुखमेधेते यद्भविष्यो विनश्यति ।।
।। चा o नी o।।
जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटता है. ये दोनों व्यक्ति सुखी है. लेकिन जो आदमी सिर्फ नसीब के सहारे चलता है वह बर्बाद होता है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: ज्ञानविज्ञानयोग अo-07
बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम् ।,
धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ ॥,
हे भरतश्रेष्ठ! मैं बलवानों का आसक्ति और कामनाओं से रहित बल अर्थात सामर्थ्य हूँ और सब भूतों में धर्म के अनुकूल अर्थात शास्त्र के अनुकूल काम हूँ॥,11॥,
💮🚩दैनिक राशिफल🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के काम बनेंगे। अध्यात्म में रुचि बढ़ेगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। नौकरी में चैन रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। किसी वरिष्ठ व्यक्ति का सहयोग प्राप्त होगा। बेचैनी रहेगी। चोट व रोग से बचें। विवेक से कार्य करें। लाभ में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।
🐂वृष-नई योजना बनेगी जिसका लाभ तुरंत नहीं मिलेगा। सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। शारीरिक कष्ट संभव है। चिंता तथा तनाव हावी रहेंगे। सभी तरफ से सफलता प्राप्त होगी। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। आय बढ़ेगी। घर में प्रसन्नता रहेगी। ऐश्वर्य पर व्यय हो सकता है।
👫मिथुन-कोई बड़ी बाधा आ सकती है। राजभय रहेगा। जल्दबाजी से काम बिगड़ेंगे। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। किसी के व्यवहार से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। व्यापार में वृद्धि होगी।
🦀कर्क-यात्रा में सावधानी रखें। जल्दबाजी से हानि होगी। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। चिंता तथा तनाव रहेंगे। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। दूसरों के कार्य में दखल न दें। अपेक्षित कार्यों में विलंब होगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रमाद न करें। लाभ बढ़ेगा।
🐅सिंह-शारीरिक कष्ट से बाधा संभव है। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगा। आय में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। पार्टनरों का सहयोग प्राप्त होगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें।
🙍♀️कन्या-दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। सुख के साधन जुटेंगे। पराक्रम बढ़ेगा। घर में मेहमानों का आगमन होगा। व्यय होगा। किसी पारिवारिक आयोजन का हिस्सा बन सकते हैं। निवेश शुभ रहेगा। व्यापार ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। शत्रु परास्त होंगे।
⚖️तुला-पुराने किए गए प्रयासों का लाभ मिलना प्रारंभ होगा। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। किसी बड़े काम करने की योजना बनेगी। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी।
🦂वृश्चिक-पारिवारिक समस्याओं में इजाफा होगा। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। भागदौड़ रहेगी। दूर से बुरी खबर मिल सकती है। विवाद को बढ़ावा न दें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। दूसरों से अपेक्षा न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। मातहतों से अनबन हो सकती है। कुसंगति से हानि होगी।
🏹धनु-लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। व्यापार में अधिक लाभ होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। लेन-देन में सावधानी रखें। शत्रुओं का पराभव होगा। विवाद को बढ़ावा न दें। भय रहेगा। प्रमाद न करें।
🐊मकर-प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। जीवनसाथी से अनबन हो सकती है। स्थायी संपत्ति खरीदने-बेचने की योजना बन सकती है। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। छोटे भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रसन्नता रहेगी। संचित कोष में वृद्धि होगी। प्रमाद न करें।
🍯कुंभ-पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। अनहोनी की आशंका रहेगी। शत्रुभय रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। रुके हुए कार्यों में गति आएगी। घर-बाहर सभी अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे। दूसरों के कार्य की जवाबदारी न लें।
🐟मीन-वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। जरा सी लापरवाही से अधिक हानि हो सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। पार्टनरों से मतभेद संभव है। व्यवसाय ठीक चलेगा। समय नेष्ट है।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो🙏🏻
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
भारतवर्ष में एक प्रतापी और दानी राजा राज्य करता था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था। यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी, वह न ही गरीबों को दान देती, न ही भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी दान देने से मना किया करती थी।एक दिन राजा शिकार खेलने वन को गए हुए थे, तो रानी महल में अकेली थी। उसी समय बृहस्पतिदेव साधु वेष में राजा के महल में भिक्षा के लिए गए और भिक्षा माँगी रानी ने भिक्षा देने से इन्कार किया और कहा: हे साधु महाराज मैं तो दान पुण्य से तंग आ गई हूँ। मेरा पति सारा धन लुटाते रहिते हैं। मेरी इच्छा है कि हमारा धन नष्ट हो जाए फिर न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी। साधु ने कहा: देवी तुम तो बड़ी विचित्र हो। धन, सन्तान तो सभी चाहते हैं। पुत्र और लक्ष्मी तो पापी के घर भी होने चाहिए। यदि तुम्हारे पास अधिक धन है तो भूखों को भोजन दो, प्यासों के लिए प्याऊ बनवाओ, मुसाफिरों के लिए धर्मशालाएं खुलवाओ। जो निर्धन अपनी कुंवारी कन्याओं का विवाह नहीं कर सकते उनका विवाह करा दो। ऐसे और कई काम हैं जिनके करने से तुम्हारा यश लोक-परलोक में फैलेगा। परन्तु रानी पर उपदेश का कोई प्रभाव न पड़ा। वह बोली: महाराज आप मुझे कुछ न समझाएं। मैं ऐसा धन नहीं चाहती जो हर जगह बाँटती फिरूं। साधु ने उत्तर दिया यदि तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो तथास्तु! तुम ऐसा करना कि बृहस्पतिवार को घर लीपकर पीली मिट्टी से अपना सिर धोकर स्नान करना, भट्टी चढ़ाकर कपड़े धोना, ऐसा करने से आपका सारा धन नष्ट हो जाएगा। इतना कहकर वह साधु महाराज वहाँ से आलोप हो गये। साधु के अनुसार कही बातों को पूरा करते हुए रानी को केवल तीन बृहस्पतिवार ही बीते थे, कि उसकी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई। भोजन के लिए राजा का परिवार तरसने लगा। तब एक दिन राजा ने रानी से बोला कि हे रानी, तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूँ, क्योंकि यहाँ पर सभी लोग मुझे जानते हैं। इसलिए मैं कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता। ऐसा कहकर राजा परदेश चला गया। वहाँ वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता। इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा। इधर,राजा के परदेश जाते ही रानी और दासी दुःखी रहने लगी एक बार जब रानी और दासी को सात दिन तक बिना भोजन के रहना पड़ा, तो रानी ने अपनी दासी से कहा हे दासी पास ही के नगर में मेरी बहिन रहती है। वह बड़ी धनवान है। तू उसके पास जा और कुछ ले आ, ताकि थोड़ी-बहुत गुजर-बसर हो जाए। दासी रानी की बहिन के पास गई। उस दिन गुरुवार था और रानी की बहिन उस समय बृहस्पतिवार व्रत की कथा सुन रही थी। दासी ने रानी की बहिन को अपनी रानी का संदेश दिया, लेकिन रानी की बड़ी बहिन ने कोई उत्तर नहीं दिया। जब दासी को रानी की बहिन से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुःखी हुई और उसे क्रोध भी आया। दासी ने वापस आकर रानी को सारी बात बता दी। सुनकर रानी ने अपने भाग्य को कोसा उधर रानी की बहिन ने सोचा कि मेरी बहिन की दासी आई थी परंतु मैं उससे नहीं बोली, इससे वह बहुत दुःखी हुई होगी। कथा सुनकर और पूजन समाप्त करके वह अपनी बहिन के घर आई और कहने लगी: हे बहिन! मैं बृहस्पतिवार का व्रत कर रही थी। तुम्हारी दासी मेरे घर आई थी परंतु जब तक कथा होती है, तब तक न तो उठते हैं और न ही बोलते हैं, इसलिए मैं नहीं बोली। कहो दासी क्यों गई थी? रानी बोली: बहिन, तुमसे क्या छिपाऊं, हमारे घर में खाने तक को अनाज नहीं था। ऐसा कहते-कहते रानी की आंखें भर आई। उसने दासी समेत पिछले सात दिनों से भूखे रहने तक की बात अपनी बहिन को विस्तार पूर्वक सुना दी। रानी की बहिन बोली: देखो बहिन! भगवान बृहस्पतिदेव सबकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं। देखो, शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो। पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ पर बहिन के आग्रह करने पर उसने अपनी दासी को अंदर भेजा तो उसे सचमुच अनाज से भरा एक घड़ा मिल गया। यह देखकर दासी को बड़ी हैरानी हुई। दासी रानी से कहने लगी: हे रानी! जब हमको भोजन नहीं मिलता तो हम व्रत ही तो करते हैं, इसलिए क्यों न इनसे व्रत और कथा की विधि पूछ ली जाए, ताकि हम भी व्रत कर सकें। तब रानी ने अपनी बहिन से बृहस्पतिवार व्रत के बारे में पूछा।उसकी बहिन ने बताया, बृहस्पतिवार के व्रत में चने की दाल और मुनक्का से विष्णु भगवान का केले की जड़ में पूजन करें तथा दीपक जलाएं, व्रत कथा सुनें और पीला भोजन ही करें। इससे बृहस्पतिदेव प्रसन्न होते हैं। व्रत और पूजन विधि बताकर रानी की बहिन अपने घर को लौट गई। सात दिन के बाद जब गुरुवार आया, तो रानी और दासी ने व्रत रखा। घुड़साल में जाकर चना और गुड़ लेकर आईं। फिर उससे केले की जड़ तथा विष्णु भगवान का पूजन किया। अब पीला भोजन कहाँ से आए इस बात को लेकर दोनों बहुत दुःखी थे। चूंकि उन्होंने व्रत रखा था, इसलिए बृहस्पतिदेव उनसे प्रसन्न थे। इसलिए वे एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर दो थालों में सुन्दर पीला भोजन दासी को दे गए। भोजन पाकर दासी प्रसन्न हुई और फिर रानी के साथ मिलकर भोजन ग्रहण किया। उसके बाद वे सभी गुरुवार को व्रत और पूजन करने लगी। बृहस्पति भगवान की कृपा से उनके पास फिर से धन-संपत्ति आ गई, परंतु रानी फिर से पहले की तरह आलस्य करने लगी। तब दासी बोली: देखो रानी! तुम पहले भी इस प्रकार आलस्य करती थी, तुम्हें धन रखने में कष्ट होता था, इस कारण सभी धन नष्ट हो गया और अब जब भगवान बृहस्पति की कृपा से धन मिला है तो तुम्हें फिर से आलस्य होता है। रानी को समझाते हुए दासी कहती है कि बड़ी मुसीबतों के बाद हमने यह धन पाया है, इसलिए हमें दान-पुण्य करना चाहिए, भूखे मनुष्यों को भोजन कराना चाहिए, और धन को शुभ कार्यों में खर्च करना चाहिए, जिससे तुम्हारे कुल का यश बढ़ेगा, स्वर्ग की प्राप्ति होगी और पित्र प्रसन्न होंगे। दासी की बात मानकर रानी अपना धन शुभ कार्यों में खर्च करने लगी, जिससे पूरे नगर में उसका यश फैलने लगा।