न्यूज़ रिपोर्टर सचिन तिवारी
जनपद – धौलपुर
धौलपुर
कुनबा बढ़ने की रुत :ची ची की गूंज से गूंजी चंबल
चंबल किनारे शुरू हुई मदर कॉल, अंडों से बाहर निकल रहे है नन्हे घड़ियाल
नेस्टिंग टाइम पूरा, अंडों की सुरक्षा में मादा घड़ियालों का पहरा
चंबल की शान कहे जाने वाले नन्हे राजकुमार इस समय चंबल घाटों पर अंडो से बाहर निकलकर नई दुनियां में कदम रख रहे हैं। घड़ियाल के बच्चो का अंडों से निकलने का दौर शुरू हो चुका है। घड़ियालों का नेस्टिंग टाइम पूरा हो चुका है। चंबल नदी की रेत में इनके अंडे मादा घड़ियाल ने दबा दिए हैं। अब मादा घड़ियाल अंडों से बच्चों के निकलने तक उनकी सुरक्षा के लिए चौकीदारी करती हुई नजर आ रही है। जलीय जीव प्रेमी कहते हैं कि मादा घड़ियाल दिन रात पानी से निकलकर अंडे व घोंसलों की रखवाली करती है। वहीं अंडों से बच्चे निकलने के बाद मादा घड़ियाल बच्चों के बड़े होने तक सुरक्षा करती है और किनारे पर ही उन्हें पालती है। वाइल्डलाइफ डीएफओ नाहर सिंह का कहना है कि घडियाल अप्रैल- मई में अंडे देते हैं। एक मादा घडियाल 20 से 35 के बीच अंडे देती है। जो कि चंबल किनारे ही रेत में अंडों दबा देती हैं। अंडों से बच्चे जून माह के दूसरे सप्ताह तक बाहर आ जाते हैं। बच्चों के बाहर निकलने का दौर करीब तीन माह तक चलेगा। अंडे से बच्चे की मदर कॉल की आवाज आती है, जिसे सुनकर मादा घड़ियाल अंडों को फोड़कर बच्चों को अपने साथ पानी में ले जाती है। इस समय इन्हें निहारने के लिए वन्यजीव प्रेमी इन बच्चों की अठखेलियां देखने चंबल नदी किनारे पहुंच रहे हैं