न्यूज रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं!
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग-
*दिनाँक:- 05/06/2024, बुधवार*
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- चतुर्दशी 19:54:26 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— कृत्तिका 21:15:17
योग———— सुकर्मा 24:34:13
करण——- विष्टि भद्र 08:55:38
करण———– शकुनी 19:54:26
वार———————— बुधवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर)————- कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1946
कलि संवत—————– 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:24:45
सूर्यास्त————— 19:11:02
दिन काल————- 13:46:17
रात्री काल————- 10:13:37
चंद्रोदय—————- 05:43:57
चंद्रास्त—————- 18:14:22
लग्न—- वृषभ 20°38′ , 50°38′
सूर्य नक्षत्र—————– रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र—————- कृत्तिका
नक्षत्र पाया——————- लोहा
*पद, चरण*
ई—- कृत्तिका 09:52:40
उ—- कृत्तिका 15:33:27
ए—- कृत्तिका 21:15:17
ओ—- रोहिणी 26:58:17
🌴 ग्रह गोचर 🌴
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृषभ 20:10, रोहिणी 4 वू
चन्द्र=वृषभ 00:30 , कृतिका 2 ई
बुध =वृषभ 09:53′ कृतिका 4 ए
शु क्र= वृषभ 20°05, रोहिणी ‘ 4 वू
मंगल=मेष 02°30 ‘ अश्विनी ‘ 1 चू
गुरु=वृषभ 08°30 कृतिका , 4 ए
शनि=कुम्भ 24°00 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 18°30 रेवती , 1 दे
केतु=(व) कन्या 18°30 हस्त , 3 ण
🙏🏻 शुभा$शुभ मुहूर्त 🙏🏻
राहू काल 12:18 – 14:01 अशुभ
यम घंटा 07:08 – 08:51 अशुभ
गुली काल 10:35 – 12: 18अशुभ
अभिजित 11:50 – 12:45 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:50 – 12:45 अशुभ
वर्ज्यम 09:53 – 11:23 अशुभ
प्रदोष 19:11 – 21:15 शुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 05:25 – 07:08 शुभ
अमृत 07:08 – 08:51 शुभ
काल 08:51 – 10:35 अशुभ
शुभ 10:35 – 12:18 शुभ
रोग 12:18 – 14:01 अशुभ
उद्वेग 14:01 – 15:44 अशुभ
चर 15:44 – 17:28 शुभ
लाभ 17:28 – 19:11 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 19:11 – 20:28 अशुभ
शुभ 20:28 – 21:44 शुभ
अमृत 21:44 – 23:01 शुभ
चर 23:01 – 24:18* शुभ
रोग 24:18* – 25:35* अशुभ
काल 25:35* – 26:51* अशुभ
लाभ 26:51* – 28:08* शुभ
उद्वेग 28:08* – 29:25* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 05:25 – 06:34
चन्द्र 06:34 – 07:42
शनि 07:42 – 08:51
बृहस्पति 08:51 – 10:00
मंगल 10:00 – 11:09
सूर्य 11:09 – 12:18
शुक्र 12:18 – 13:27
बुध 13:27 – 14:36
चन्द्र 14:36 – 15:44
शनि 15:44 – 16:53
बृहस्पति 16:53 – 18:02
मंगल 18:02 – 19:11
🚩होरा, रात
सूर्य 19:11 – 20:02
शुक्र 20:02 – 20:53
बुध 20:53 – 21:44
चन्द्र 21:44 – 22:36
शनि 22:36 – 23:27
बृहस्पति 23:27 – 24:18
मंगल 24:18* – 25:09
सूर्य 25:09* – 26:00
शुक्र 26:00* – 26:51
बुध 26:51* – 27:42
चन्द्र 27:42* – 28:34
शनि 28:34* – 29:25
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृषभ > 03:22 से 05:00 तक
मिथुन > 05:00 से 07:40 तक
कर्क > 07:40 से 09:28 तक
सिंह > 09:28 से 12:08 तक
कन्या > 12:08 से 14:18 तक
तुला > 14:18 से 16: 20 तक
वृश्चिक > 16:20 से 18:48 तक
धनु > 18:48 से 20:38 तक
मकर > 20:38 से 22:50 तक
कुम्भ > 22:50 से 00:10 तक
मीन > 00:10 से 02:40 तक
मेष > 02:40 से 03:18 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*🌲दिशा शूल🌲 ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 14 + 4 + 1 = 34 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*ग्रह मुख आहुति ज्ञान*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
केतु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 08:57 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
👏🏻 विशेष जानकारी 👏🏻
*श्री शशिमोहन दास तिरोभाव
*सर्वार्थ सिद्धि योग
*विश्व पर्यावरण दिवस
*मुनि शांतिनाथ जयंती
🌹 शुभ विचार 🌹
स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवाः सत्पुरुषाः पिता ।
ज्ञातयः स्नान-पानाभ्यां वाक्यदानेन पंडिताः ।।
।। चा o नी o।।
यह देवताओ का, संत जनों का और पालको का स्वभाव है की वे जल्दी प्रसन्न हो जाते है. निकट के और दूर के रिश्तेदार तब प्रसन्न होते है जब उनका आदर सम्मान किया जाए. उनके नहाने का, खाने पिने का प्रबंध किया जाए. पंडित जन जब उन्हें अध्यात्मिक सन्देश का मौका दिया जाता है तो प्रसन्न होते है.
🌲 सुभाषितानि 🌲
गीता -: आत्मसंयम योग अo-06
चञ्चलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम् ।,
तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम् ॥,
भावार्थ : क्योंकि हे श्रीकृष्ण! यह मन बड़ा चंचल, प्रमथन स्वभाव वाला, बड़ा दृढ़ और बलवान है।, इसलिए उसको वश में करना मैं वायु को रोकने की भाँति अत्यन्त दुष्कर मानता हूँ॥,34॥,
दैनिक राशिफल
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष👉स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। जीवन सुखमय व्यतीत होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। स्वास्थ्य में राहत मिलेगी। चिंता दूर होगी। नौकरी में रुतबा बढ़ेगा।
🐂वृष👉धनहानि की आशंका है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। थकान व कमजोरी रह सकती है। व्यापार व व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में चैन रहेगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय बाधा दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
👫मिथुन👉यात्रा में जल्दबाजी न करें। शारीरिक कष्ट संभव है। पुराना रोग उभर सकता है। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। हंसी-मजाक में हल्कापन न हो, ध्यान रखें। कीमती वस्तुएं इधर-उधर हो सकती हैं, संभालकर रखें। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी।
🦀कर्क👉धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल लाभ देंगे। किसी बड़े काम की रुकावट दूर होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। पारिवारिक सहयोग प्राप्त होगा। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करें।
🐅सिंह👉नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ होगा। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि से लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। थकान रहेगी। किसी कार्य की चिंता रहेगी।
🙍♀️कन्या👉बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। नौकरी में अनुकूलता रहेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। कोई बड़ा काम करने की इच्छा जागृत होगी। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। प्रमाद न करें।
⚖️तुला👉अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। विवाद से स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति की बातों में न आएं। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगा।
🦂वृश्चिक👉अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। नौकरी में अधिकार वृद्धि हो सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। निवेश मनोनकूल रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता का वातावरण बनेगा। किसी कार्य के प्रति चिंता रहेगी। शारीरिक कष्ट संभव है।
🏹धनु👉दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। घर में अतिथियों का आगमन होगा। प्रसन्नता तथा उत्साह बने रहेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। आलस्य हावी रहेगा। प्रमाद न करें। विवेक का प्रयोग करें।
🐊मकर👉प्रयास सफल रहेंगे। पराक्रम वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा। मान-सम्मान मिलेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। लाभ होगा।
🍯कुंभ👉दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। पुराना रोग उभर सकता है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। काम में मन नहीं लगेगा। दूसरे आपसे अधिक की अपेक्षा करेंगे व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा।
🐟मीन👉पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बन सकता है। स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। कारोबार में वृद्धि होगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। नए विचार दिमाग में आएंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। धनार्जन होगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
आज करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, मिल सकती है क़र्ज़ से मुक्ति
हिंदू धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन गणेश पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और साथ ही हर कार्य में सफलता मिलती है। गणपति जी भक्तों की हर संकट से रक्षा करते हैं। इतना ही नहीं, आर्थिक संकट में फंसे भक्तों का बेड़ा पार भी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क़र्ज़ के बोझ से छुटकारा पाने के लिए बुधवार के दिन गणेश जी के ‘ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए।
आइए जानते हैं स्तोत्र के पाठ की विधि के बारे में
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र’ पाठ-विधि
बुधवार के दिन स्तोत्र का पाठ करने के लिए सुबह स्नान के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी को लाल फूल, चंदन, कुमकुम, फल, फूल माला, वस्त्र, दूर्वा आदि अर्पित करें। और फिर इसके बाद गणेश पूजन करें और ऋणहर्ता गणेश स्त्रोत का पाठ करें।
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र ध्यान
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।�ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।
पाठ-
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।1।।
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।2।।
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।3।।
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।4।।
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।5।।
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।6।।
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।7।।
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:।�सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।8।।
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,�एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:।�दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्।।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने के बाद गणेश जी की आरती अवश्य करें। आरती के लिए घी के दीपक का उपयोग करें। इसके बाद ही आपका पाठ पूर्ण माना जाएगा। अगर आप विघ्नहर्ता श्रीगणेश की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करेंगे, तो आपकी मनोकामना पूर्ण हो सकती है।