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अफसरनामा succes story’ of first IAS Pranjal Patil: कहते है अगर इंसान के हौसले बुलंद हो तो वह कुछ भी कर सकता है और ऐसे ही बनी देश की पहली नेत्रहीन आईएएस हैं प्रांजल पाटिल

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Ankur pandey
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अंकुर कुमार पाण्डेय
रिपोर्ट सत्यार्थ न्युज वाराणसी
अफसरनामा succes story’ of first IAS Pranjal Patil: कहते है अगर इंसान के हौसले बुलंद हो तो वह कुछ भी कर सकता है और ऐसे ही बनी देश की पहली नेत्रहीन आईएएस हैं प्रांजल पाटिल,

बिना कोचिंग ऐसे पाई यूपीएससी परीक्षा में सफलता बुलंद हौसले और कुछ कर दिखाने की चाह आपके रास्ते में आने वाली हर बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को छोटा बना देती हैं। आंखों के बिना जीवन अंधकारमय हो जाता है। लेकिन सपने देखने के लिए और उन सपनों को साकार करने के लिए आंखों की रोशनी की जरूरत नहीं होती, बल्कि बुलंद हौसला चाहिए होता है। देश दुनिया में ऐसे कई नेत्रहीन लोगों ने अपने सपनों को पूरा कर दिखाया। इसमें उनकी खुद की भी कड़ी मेहनत और बुलंद हौसला काम आया। विश्व ब्रेल दिवस के मौके पर आज हम भारत की पहली नेत्रहीन आईएएस अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बचपन में ही अपनी आंखों की रोशनी खो चुकी थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और एक महिला, जो देख भी नहीं सकती, वह देश की अफसर बन गई। जानते हैं आईएएस प्रांजल पाटिल के बारे में

कौन हैं प्रांजल पाटिल
प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली हैं। प्रांजल के साथ बचपन में एक हादसा हुआ, जिसमें उनकी एक आंख खराब हो गई और एक साल बाद ही दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई। लेकिन प्रांजल ने हार नहीं मानी। उन्होने बिना आंखों से देखे पहली ही बार में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास कर ली। उनकी यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 773 आई थीं। जिसके बाद प्रांजल के सपनों को पंख मिले और वह देश की पहली नेत्रहीन अफसर बिटिया बन गई।
आंखों की रोशनी खोने के बाद ऐसे की पढ़ाई
दरअसल, प्रांजल जब 6 साल की थीं, जो स्कूल में किसी बच्चे ने उनकी आंख में पेंसिल मार दी, जिससे उनकी एक आंख खराब हो गई। वह इस हादसे से उभरती उससे पहले ही उनकी दूसरी आंख में भी अंधेरा छा गया। उनके माता पिता ने प्रांजल को कमजोर नहीं पड़ने दिया। हादसे के बाद प्रांजल का दाखिला मुबंई के दादर स्थित श्रीमति कमला मेहता स्कूल में कराया गया है। यहां प्रांजल जैसे ही खास बच्चे पढ़ते हैं। उन्होंने यहां से 10वीं की पढ़ाई की। बाद में चंदाबाई कॉलेज से आर्ट्स में 12वीं किया। उस समय उनके 12वीं में 85 फीसदी अंक आए थे। आगे की पढ़ाई प्रांजल ने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से की। बिना कोचिंग की यूपीएससी की तैयारी
जब प्रांजल अपने स्नातक की पढ़ाई कर रही थीं, तब उन्होंने प्रशासनिक सेवा के बारे में जाना और यूपीएससी की परीक्षा से जुड़ी जानकारियां जुटानी शुरू कीं। उन्होंने आईएएस बनने की तो तभी ठान ली, लेकिन किसी को इस बारे में बताया नहीं। ग्रेजुएशन के बाद प्रांजल दिल्ली आ गईं और जेएनयू से एमए किया। इसके बाद प्रांजल ने यूपीएससी की तैयारी की ओर रुख किया। साल 2015 में तैयारी शुरु की। उस दौरान प्रांजल एमफिल भी कर रही थीं।
प्रांजल ने यूपीएससी की तैयारी के लिए नेत्रहीन लोगों के लिए बने एक खास साॅफ्टवेयर का सहारा लिया। उनकी दोस्त ने भी प्रांजल का साथ दिया। बाद में प्रांजल की शादी ओझारखेड़ा में रहने वाले पेशे से केबल ऑपरेटर कोमल सिंह पाटिल से हुई। प्रांजल अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता पिता के अलावा दोस्तों और पति को देती हैं।

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