पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना ने भरी हुंकार
सोमवार को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की विशाल जनसभा में थामेगें कांग्रेस का दामन
हजारों की संख्या में समर्थकों व कार्यकर्ताओं के साथ होगें कांग्रेस में शामिल
जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चौपड़ा के समर्थन में मांगेगें वोट
आशीष मित्तल कोटपूतली
लोकसभा चुनाव को लेकर मतदान की तारिख नजदीक आते-आते क्षेत्र की राजनीति में हलचल का दौर जारी है। विगत लगभग एक माह से अधिक चले अटकलों के दौर के बाद आखिरकार पूर्व संसदीय सचिव रामस्वरूप कसाना ने कांग्रेस पार्टी का परचम उठाने का ऐलान कर दिया है। कसाना सोमवार को ग्राम मोलाहेड़ा में जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चौपड़ा के समर्थन में आयोजित हो रही एआईसीसी महासचिव व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की विशाल जनसभा में कांग्रेस पार्टी का दामन थामेगें। कसाना हजारों की संख्या में अपने समर्थकों व कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल होगें। कसाना जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चौपड़ा के समर्थन में वोट मांगेगें। यह चौपड़ा व कांग्रेस पार्टी के लिये राहत भरी खबर है।
अन्तिम समय में खोले पत्ते :- हालांकि विगत 10 मार्च को पूर्व मंत्री व यहांँ से कांग्रेस पार्टी के टिकिट पर दो बार विधायक रहे राजेन्द्र सिंह यादव के भाजपा में चले जाने के बाद कसाना के इस कदम का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। इसको लेकर उन्होंने कही भी कोई खुलासा नहीं किया था। निजी सचिव लोकेश शर्मा व आरएलपी के विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष रहे देशराज पायला ने बताया कि इसको लेकर कसाना ने रविवार को कार्यकर्ताओं की बैठक ली। जिसके बाद उन्होंने सर्वसम्मति से कांग्रेस पार्टी का दामन थामने का ऐलान कर दिया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में ही कसाना ने हनुमान बेनीवाल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की स्थापना के साथ ही सदस्यता ले ली थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी वे कद्दावर उम्मीदवार माने जा रहे थे, लेकिन एन वक्त पर उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। इसके बाद उन्हें आरएलपी द्वारा स्टार प्रचारक बनाया गया था। चुनावी समीकरण की बात की जाये तो आरएलपी में रहते हुये भी कसाना कांग्रेस प्रत्याशी का ही समर्थन करते लेकिन अब कांग्रेस में आ जाने के बाद वे खुलकर पार्टी का प्रचार करेगें।
कोटपूतली की राजनीति में नया मोड़ :- विगत विधानसभा चुनाव के बाद से ही पिछले लगभग 05 माह के राजनैतिक घटनाक्रम पर दृष्टि डाली जाये तो यह समय कोटपूतली की राजनीति में उठा पटक वाला रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में कांग्रेस से प्रत्याशी रहे हंसराज पटेल का वर्ष 2008 में टिकिट काटकर राजेन्द्र सिंह यादव को दिये जाने के बाद कसाना उस चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी से विधायक निर्वाचित होकर तत्कालीन गहलोत सरकार में संसदीय सचिव बने थे। लेकिन वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने यादव को ही अपना प्रत्याशी बनाया था। ऐसे में कसाना व पटेल निर्दलिय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में रहे। इस चुनाव में यादव ने बाजी तो मारी लेकिन कसाना चुनाव के बाद तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर पीसीसी मेम्बर बने। हालांकि वर्ष 2018 में भी लगातार तीसरी बार यादव को ही कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया। उस चुनाव में कसाना ने आरएलपी के टिकिट पर, वहीं हंसराज पटेल ने निर्दलिय के रूप में चुनाव लड़ा। इस बार यादव गहलोत सरकार में मंत्री बने। वहीं भाजपा उम्मीदवार मुकेश गोयल दुसरे नम्बर पर रहे। इस चुनाव में भाजपा से हंसराज पटेल को उम्मीदवार बनाया गया। तब कसाना ने चुनाव नहीं लड़ा। वहीं मुकेश गोयल भाजपा से बागी होकर निर्दलिय के रूप में चुनाव मैदान में कुद पड़े। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह यादव भाजपा के हंसराज पटेल से नजदीकी मुकाबले में पराजित होने के बाद हाल ही में कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में शामिल हो गये। वहीं मुकेश गोयल भी भाजपा में वापस लौट गये। विगत 20 वर्षो में कोटपूतली की राजनीति क्रमश: पटेल, यादव, कसाना व गोयल के आसपास ही घुम रही है। इस लोकसभा चुनाव में जहाँ विधायक हंसराज पटेल समेत पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह यादव एवं मुकेश गोयल भाजपा का परचम थामे हुये है। वहीं कसाना ने अब कांग्रेस की कमान थामने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में तीन बनाम एक का यह मुकाबला बेहद रोचक होता हुआ दिखाई दे रहा है।