Advertisement

कटनी जिले में सरकारी डॉक्टर की लापरवाही से गरीब महिला की जान पर खतरा

 कटनी जिले में सरकारी डॉक्टर की लापरवाही से गरीब महिला की जान पर खतरा, तीसरी संतान के लिए मुआवजे की गुहार

कटनी, 28 नवंबर : जिला अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ. हर्षिता गुप्ता की कथित लापरवाही के चलते जिले के ग्राम पडुवा की रहने वाली गरीब महिला रेखा कुशवाहा (उम्र लगभग 30 वर्ष) की जान पर खतरा मंडरा रहा है।

रेखा कुशवाहा ने बताया कि उनकी पहली दो संतानें (पुत्र एवं पुत्री) सिजेरियन ऑपरेशन से हुई थीं। पुत्री के जन्म के साथ ही 11 अगस्त 2023 को जिला अस्पताल में डॉ. हर्षिता गुप्ता ने नसबंदी (ट्यूबल लिगेशन) कर दी थी। नसबंदी का सरकारी प्रमाण-पत्र भी जारी किया गया था और पुत्री को मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ भी मिला।

लेकिन मात्र दो साल बाद ही रेखा फिर गर्भवती हो गईं। डॉक्टरों के अनुसार पिछली दो सिजेरियन डिलीवरी के कारण यह तीसरी डिलीवरी हाई-रिस्क है और प्रसव के दौरान माँ व बच्चे दोनों की जान को गंभीर खतरा है।

महिला का आरोप है कि सरकारी अस्पताल में जांच के नाम पर बार-बार प्राइवेट सोनोग्राफी और दवाइयों पर अब तक 15 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। वर्तमान में जच्चा-बच्चा की हालत को देखते हुए जिला अस्पताल की डॉक्टरें साफ कह रही हैं कि

“या तो प्राइवेट अस्पताल में 40 हजार रुपये खर्च करके डिलीवरी कराओ, नहीं तो हम जबलपुर रेफर कर देंगे।”

रेखा के पति मजदूरी करते हैं, घर में सास-ननद कोई नहीं, दो छोटे बच्चे और बुजुर्ग ससुर मरणासन्न हालत में हैं। जबलपुर ले जाना या प्राइवेट में डिलीवरी कराना उनके लिए असंभव है।

आज रेखा कुशवाहा ने जिला कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को लिखित आवेदन देकर गुहार लगाई है कि

1. उनकी हाई-रिस्क डिलीवरी कटनी के सरकारी अस्पताल में ही मुफ्त और सुरक्षित कराई जाए,
2. नसबंदी में हुई लापरवाही के लिए उचित मुआवजा दिलाया जाए।

महिला ने नसबंदी प्रमाण-पत्र, दोनों बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र, लाड़ली लक्ष्मी योजना का प्रमाण-पत्र तथा हाई-रिस्क डिलीवरी की पर्चियां भी आवेदन के साथ संलग्न की हैं।

जिले में सरकारी नसबंदी कार्यक्रम की यह गंभीर विफलता सामने आने से स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े हो गए हैं। क्या गरीब महिलाओं के साथ खिलवाड़ अब भी जारी है? प्रशासन इस मामले में तुरंत संज्ञान लेकर पीड़िता को न्याय और सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था करेगा या फिर एक और जिंदगी खतरे में डाली जाएगी?

यह मामला एक बार फिर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था और जवाबदेही की कमी को उजागर कर रहा है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!