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अतिक्रमणकारियों पर शिकंजा: राजस्थान में चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने की तैयारी तेज

अतिक्रमणकारियों पर शिकंजा: राजस्थान में चारागाह भूमि से अतिक्रमण हटाने की तैयारी तेज

संवाददाता शक्ति सिहं सत्यार्थ न्युज

राजस्थान । पंचायती राज विभाग ने राजस्थान में चारा गाह भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर ली है। शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर, विभाग ने राज्य भर की सभी जिला परिषदों को चारा गाह समितियों को पुनर्जीवित करने और अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त आदेश जारी किए हैं। यह कदम वर्षों से चारागाह भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को समाप्त करने और इन महत्व पूर्ण सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
चारा गाह समितियों का पुनर्गठन और कार्य प्रणाली
पंचायती राज मंत्री के निर्देशों के अनुपालन में, पंचायती राज विभाग ने सभी जिला परिषदों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में चारा गाह समितियों का गठन किया जाए। इन समितियों का मुख्य कार्य चारा गाहों में उपयुक्त किस्म की घास, झाड़ियाँ और पौधों का विकास करना और अतिक्रमण को रोकना होगा। प्रत्येक गांव में चारा गाह भूमि का नियंत्रण पांच व्यक्तियों की एक समिति को दिया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता संबंधित गांव का वार्ड पंच करेगा। इस समिति के चार सदस्य ग्राम सभा द्वारा निर्वाचित किए जाएंगे। जिला और ब्लॉक स्तर पर समन्वय
चारा गाह विकास, अतिक्रमण मुक्त करने और जल एवं भूमि संरक्षण के लिए, प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा 31 जुलाई 2017 को जारी आदेशों के अनुसार, जिला प्रमुख की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय बंजर भूमि एवं चारा गाह विकास समिति का गठन किया गया है। इस समिति का प्रशासनिक विभाग ग्रामीण विकास विभाग है। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस समिति के नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। ग्रामीण विकास विभाग ने पहले ही सभी जिला कलेक्टरों को ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर बंजर भूमि एवं चारा गाह विकास समिति के गठन के लिए निर्देशित किया हुआ है। इन समितियों का गठन जिला कलेक्टर द्वारा किया जाना है। अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया होगी सख्त
पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायत के स्वामित्व वाली भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए एक विस्तृत और सख्त प्रक्रिया निर्धारित की है।नियमित सर्वेक्षण पंचायत की सार्वजनिक भूमियों पर अति चार के मामलों का पता लगाने के लिए प्रतिवर्ष जनवरी और जुलाई माह में आबादी भूमियों, तालाब-तल और चारा गाहों पर अतिक्रमणकारियों का सर्वेक्षण करने के लिए तीन पंचों की एक समिति बनाई जाएगी। पंजीकरण: ऐसे सभी अति चार की क्षेत्र के ब्यौरे और अति चार की प्रकृति को ग्राम विकास अधिकारी द्वारा एक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। बेदखली नोटिस: पंचायत आबादी क्षेत्र में ऐसे अतिक्रमण कारियों को अति चारित भूमि की बेदखली के लिए नोटिस जारी करेगी।
तत्काल कार्रवाई: जब कभी पंचायत या उसके सदस्य या सचिव के ध्यान में यह लाया जाए कि अतिक्रमण किया जा रहा है, तो सरपंच द्वारा अति क्रमण के विरुद्ध निषेधात्मक आज्ञा जारी करके तुरंत अति क्रमण या निर्माण रोक दिया जाएगा। अन्यथा, उसके खर्च व हरजाने पर ऐसा अति क्रमण हटा दिया जाएगा और सुनवाई की तिथि तय कर पंचायत उचित आदेश पारित करने की कार्रवाई करेगी। तहसीलदार को रिपोर्ट: चारागाह भूमि या तालाब-तल पर पाए गए अतिक्रमण के सभी ऐसे मामलों की लिखित रिपोर्ट तहसीलदार को की जाएगी, साथ ही मामले दर्ज करने और अतिक्रमणकारियों को बेद खली के पंचायत के संकल्प के साथ कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस सहायता: पंचायत, पंचायत भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए सीधे ही या अपने क्षेत्र के उपखंड मजिस्ट्रेट को प्रार्थना करते हुए राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा-110 के अनुसार पुलिस की सहायता भी ले सकती है।
जुर्माना जमा करना: पंचायत यह भी सुनिश्चित करेगी कि तहसीलदार द्वारा चारागाह भूमि के अतिक्रमण कारियों पर अधि रोपित शास्तीयों की सभी रकमें नियमा नुसार पंचायत निधि में पूरी तरह जमा करा दी जाएं।
तत्काल अनु पालन के निर्देश
पंचायती राज विभाग के उपायुक्त एवं उप शासन सचिव प्रथम ने सभी जिला परिषदों को निर्देशित किया है कि ग्राम पंचायत की आबादी भूमि एवं चारा गाह में हो रहे अति क्रमण को चिह्नित कर अति क्रमण हटाए जाने की पालना निरंतर सुनिश्चित की जाए तथा की गई कार्य वाही से विभाग को अव गत कराया जाए। यदि किसी ग्राम पंचायत द्वारा समिति गठित नहीं की गई है, तो समिति का तत्काल गठन कराया जाकर उपरोक्त सर्वेक्षण करने और सभी अति चार की क्षेत्र के ब्यौरे और अति चार की प्रकृति के साथ ग्राम विकास अधिकारी द्वारा एक रजिस्टर में प्रविष्ट किया जाना सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, नियमा नुसार अति क्रमण हटाए जाने की कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए। संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा की गई कार्यवाही बाबत संबंधित ग्राम विकास अधिकारी से लिखित में शपथ पत्र लिया जाना भी सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, सर्वे क्षण के उपरांत ग्राम पंचायत वार अति क्रमित चारागाह के क्षेत्र फल सहित सबसे अधिक अति क्रमित क्षेत्रफल वाली जिले की 10 ग्राम पंचायतों की सूची अति क्रमित चारा गाह के खसरा नंबर सहित पूर्ण विवरण पंचायती राज विभाग को भिजवाया जाना सुनिश्चित किया जाए। यह सख्त निर्देश यह सुनिश्चित करने के लिए जारी किए गए हैं कि राजस्थान में चारा गाह भूमियों को अति क्रमण मुक्त किया जाए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, ताकि पशु धन और पर्यावरण को लाभ मिल सके।

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