हनुमानगढ़ पुलिस द्वारा की गई बड़ी कार्रवाई: करोड़ों के साइबर फ्रॉड गिरोह का किया भंडाफोड़, दो आरोपी हुए गिरफ्तार
संवाददाता शक्ति सिंह सत्यार्थ न्यूज

हनुमानगढ़। आज 3 जुलाई 2025 को हनुमानगढ़ पुलिस ने पुलिस अधीक्षक हरी शंकर के निर्देशन में एक बड़े अंतर्राज्यीय साइबर फ्रॉड गिरोह का भंडा फोड़ करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह भोले-भाले लोगों को झांसे में लेकर उनके नाम पर फर्जी बैंक खाते खुलवाता था और इन खातों का उपयोग करोड़ों रुपये की साइबर ठगी की रकम के लेन-देन के लिए करता था। गिरफ्तार किए गए आरोपियों से भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई है। हालांकि, गिरोह का मास्टरमाइंड आसिफ अली अभी भी फरार है, जिसकी तलाश जारी है। पुलिस अधीक्षक हरी शंकर ने बताया कि 2 जुलाई 2025 को हनुमानगढ़ जंक्शन पुलिस थाना के उप निरीक्षक सुरेन्द्र कुमार को गश्त के दौरान सूचना मिली कि न्यू हाउसिंग बोर्ड में एक मकान में कुछ लोग धोखाधड़ी से हड़पी गई राशि को अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर कर रहे हैं। ये लोग गरीब और सीधे-सादे व्यक्तियों को बहका कर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाते थे और इन खातों को साइबर ठगी करने वालों को उपलब्ध कराते थे। ये बिना किसी उचित सत्यापन के, फर्जी नामों और आईडी का उपयोग करके बैंकों की मिलीभगत से खाते खुलवाते थे। सूचना के आधार पर, सुरेन्द्र कुमार अपनी टीम के साथ न्यू हाउसिंग बोर्ड पहुंचे और मकान पर दबिश दी। मौके पर शिवचरण पुत्र बाबूलाल वाल्मिकी (42) निवासी सुरेशिया, हनुमानगढ़ जंक्शन और शुभम शर्मा पुत्र मदन शर्मा (20) निवासी भट्टा कॉलोनी, हनुमानगढ़ जंक्शन मौजूद मिले। उनके कब्जे से साइबर ठगी में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न कंपनियों के 20 मोबाइल फोन, 30 सिम कार्ड, 4 स्मार्ट एलईडी, 2 डेस्कटॉप सीपीयू, 1 वाईफाई सेटअप, अन्य राज्यों के बैंकों की पासबुक, चेक बुक और डेबिट कार्ड बरामद किए गए। यह मामला भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 111 (2) (बी), 111 (3), 318 (2), 61 (2) (ए) और आई.टी. एक्ट की धारा 66 (सी), 66 (डी) के तहत अभियोग संख्या 478/2025 के रूप में दर्ज किया गया है। अनुसंधान पुलिस निरीक्षक लक्ष्मण सिंह राठौड़ द्वारा शुरू कर दिया गया है। गिरोह के मास्टरमाइंड आसिफ अली पुत्र इस्पाक अली निवासी भट्टा कॉलोनी, हनुमानगढ़ जंक्शन की तलाश के लिए थाना स्तर पर टीमें गठित की गई हैं। जांच में सामने आया है कि यह गिरोह बड़े पैमाने पर फर्जी खातों का उपयोग करके ठगी की रकम को अन्य खातों में ट्रांसफर करता था। गिरोह के अन्य सदस्य व्हाट्सएप ग्रुप पर खातों की सूची भेजते थे, जिनमें ठगी की राशि ट्रांसफर की जाती थी। बरामद मोबाइल फोन का उपयोग खाता संचालित करने और राशि ट्रांसफर के लिए ओटीपी प्राप्त करने के लिए किया जाता था। यह ठगी का केंद्र 24 घंटे संचालित किया जा रहा था, जिसमें प्रत्येक शिफ्ट में 3-4 लड़के काम करते थे। ये लड़के कंप्यूटर स्क्रीन पर प्राप्त निर्देशों का पालन करते थे। यह ठगी का केंद्र किसी कंपनी की आड़ में संचालित हो रहा था। गिरोह के सदस्य आपस में फोन पर बात नहीं करते थे, बल्कि उनका संपर्क हायर सेंटर से व्हाट्सएप चैट के जरिए होता था। बरामद मोबाइल फोन के पीछे कागजों पर फर्जी खाताधारकों के नाम, मोबाइल नंबर और बैंक का नाम लिखा हुआ मिला है। आरोपियों से लाखों रुपये के 20 मोबाइल फोन बरामद हुए हैं, जिनका उपयोग अलग-अलग खातों में राशि ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था। उनके कब्जे से जो फर्जी खातों की डिटेल मिली है, वे बेंगलुरु, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर आदि स्थानों के हैं, जिससे यह तथ्य सामने आया है कि यह गिरोह राष्ट्रीय स्तर पर साइबर ठगी का संचालन कर रहा था। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि खातों में ट्रांसफर किए गए रुपये हवाला, साइबर फ्रॉड, अवैध ऑनलाइन गेमिंग और यूएसटीडी से संबंधित हो सकते हैं। बैंकों के खाता खोलने से लेकर लेन-देन की प्रक्रिया में बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की भी संलिप्तता की संभावना है। आरोपी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में मकान किराए पर लेकर इस साइबर ठगी गिरोह का संचालन कर रहे थे। प्रथम दृष्टया आरोपियों से बरामद मोबाइल फोन से करोड़ों रुपये के अवैध लेनदेन का पता चला है। उनके कब्जे से 20 मोबाइल फोन, 30 सिम कार्ड, पासबुक, चेक बुक, एटीएम और एयरटेल कंपनी का वाईफाई, 4 एलईडी, 2 डेस्कटॉप सीपीयू और अन्य सामान बरामद किया गया है। प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि दोनों आरोपी 20 अलग-अलग फर्जी खातों से जुड़े थे। इन खातों में विभिन्न राज्यों के लोगों के साथ साइबर फ्रॉड कर धोखाधड़ी की राशि ट्रांसफर की जाती थी। आरोपियों के कब्जे से बरामद बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, चेक बुक आदि बेंगलुरु, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि राज्यों की मिली हैं, जिसके संबंध में बैंकों से रिकॉर्ड प्राप्त किया जा रहा है। प्रथम दृष्टया, आरोपियों द्वारा प्रतिदिन करीब 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का साइबर फ्रॉड लेन-देन किया जा रहा था। बरामद फर्जी खातों के खाताधारक विभिन्न राज्यों के हैं, जो इस बात का संकेत है कि यह एक राष्ट्रीय साइबर गिरोह है जिसके तार भारत के विभिन्न राज्यों में साइबर गिरोहों से जुड़े हुए हैं। अब तक करोड़ों रुपये के फर्जी लेनदेन के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई है, जिसके संबंध में अनुसंधान जारी है।


















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