भारतीय चुनाव आयोग द्वारा 345 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू
सत्यार्थ न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली, 28 जून 2025: भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 345 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognised Political Parties – RUPPs) की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की है। यह निर्णय उन दलों के खिलाफ लिया गया है, जो पिछले छह वर्षों (2019 के बाद) में एक भी चुनाव में हिस्सा लेने में विफल रहे हैं और जिनके कार्यालय भौतिक रूप से सत्यापित नहीं हो सके हैं। इस कार्रवाई का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और सुचारू बनाना है, साथ ही केवल कागजों पर मौजूद दलों को हटाकर प्रणाली को और अधिक विश्वसनीय बनाना है।कारण और पृष्ठभूमिभारत निर्वाचन आयोग ने इन 345 दलों को “निष्क्रिय” माना है, क्योंकि ये दल निम्नलिखित कारणों से निर्वाचन प्रक्रिया में सक्रिय नहीं रहे:चुनाव में भागीदारी की कमी: ये दल 2019 के बाद हुए किसी भी लोकसभा या राज्य विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं ले सके। भारत में पंजीकृत राजनीतिक दलों को नियमित रूप से चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना आवश्यक है, अन्यथा उनकी मान्यता की समीक्षा की जा सकती है।कार्यालय का सत्यापन न होना: इन दलों के पंजीकृत कार्यालय भौतिक रूप से मौजूद नहीं पाए गए। आयोग ने पाया कि कई दल केवल कागजों पर मौजूद हैं और उनके पास कोई सक्रिय कार्यालय या संगठनात्मक ढांचा नहीं है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का अनुपालन न करना
: इन दलों ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29क के तहत पंजीकरण के लिए आवश्यक शर्तों का पालन नहीं किया, जिसमें संगठनात्मक गतिविधियों और नियमित निर्वाचन में भागीदारी शामिल है।चुनाव आयोग का अधिकार और प्रक्रियाभारत निर्वाचन आयोग, संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। इसके अतिरिक्त, चुनाव प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत आयोग को राजनीतिक दलों की मान्यता प्रदान करने और रद्द करने का अधिकार है।आयोग समय-समय पर पंजीकृत दलों के प्रदर्शन और उनकी सक्रियता की समीक्षा करता है। यदि कोई दल मान्यता के लिए निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करता, जैसे कि न्यूनतम मत प्रतिशत (6%) या विधानसभा/लोकसभा में सीटें जीतना, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है। गैर-मान्यता प्राप्त दलों के मामले में, यदि वे लंबे समय तक निष्क्रिय रहते हैं या उनके कार्यालय सत्यापित नहीं हो पाते, तो उन्हें पंजीकरण सूची से हटाया जा सकता है।प्रभाव और महत्वइस कार्रवाई से निम्नलिखित प्रभाव पड़ने की संभावना है:
चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता:
निष्क्रिय दलों को हटाने से चुनावी प्रणाली में केवल सक्रिय और वैध दलों की भागीदारी सुनिश्चित होगी।चुनाव चिन्हों का प्रबंधन: मान्यता रद्द होने से इन दलों को आवंटित चुनाव चिन्ह अन्य दलों के लिए उपलब्ध हो सकते हैं, जिससे प्रतीक आवंटन प्रक्रिया में स्पष्टता आएगी।
आर्थिक और प्रशासनिक बोझ में कमी:
निष्क्रिय दलों के पंजीकरण को बनाए रखने से संबंधित प्रशासनिक और आर्थिक बोझ कम होगा।हालिया उदाहरण और संदर्भइससे पहले, अप्रैल 2023 में, चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया था, क्योंकि ये दल राष्ट्रीय मान्यता के लिए निर्धारित मानदंडों (जैसे चार या अधिक राज्यों में 6% मत और न्यूनतम सीटें) को पूरा नहीं कर सके। इसके बजाय, इन दलों को कुछ राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा दिया गया।इसके विपरीत, आम आदमी पार्टी (AAP) को उसी समय राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया गया, क्योंकि इसने पंजाब, दिल्ली, गोवा और गुजरात में मजबूत प्रदर्शन दिखाया था। यह दर्शाता है कि आयोग नियमित रूप से दलों के प्रदर्शन की समीक्षा करता है और उनके दर्जे को अद्यतन करता है।आलोचना और चुनौतियांचुनाव आयोग की इस कार्रवाई को कुछ लोग सकारात्मक मान रहे हैं, क्योंकि यह निष्क्रिय दलों को हटाकर प्रणाली को सुव्यवस्थित करता है। हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि छोटे दलों को पंजीकरण बनाए रखने के लिए पर्याप्त संसाधन और अवसर प्रदान किए जाने चाहिए, ताकि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले सकें। इसके अलावा, आयोग पर राजनीतिक दबाव और पक्षपात के आरोप भी समय-समय पर लगते रहे हैं, जैसा कि हरियाणा चुनाव 2024 में कांग्रेस द्वारा EVM से संबंधित शिकायतों के मामले में देखा गया। आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि ऐसे निराधार दावों से जनता में अशांति फैल सकती है।आगे की प्रक्रियाचुनाव आयोग ने इन 345 दलों को सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे पहले, दलों को नोटिस जारी किए गए होंगे, और उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया गया होगा। यदि दल जवाब देने में विफल रहते हैं या उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाते, तो उनकी मान्यता औपचारिक रूप से रद्द कर दी जाएगी।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग का यह कदम भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। निष्क्रिय दलों को हटाकर, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि केवल सक्रिय और वैध राजनीतिक दल ही चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा रहें। यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएगी, बल्कि मतदाताओं के बीच भ्रम को भी कम करेगी।