पीलीबंगा नगरपालिका अध्यक्ष पद: उपचुनाव में कांटे की टक्कर, त्रिकोणीय हुआ किसके सर सजेगा ताज
संवाददाता शक्ति सिंह सत्यार्थ न्यूज
राजस्थान पीलीबंगा/ नगरपालिका बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर है, जहाँ तीन प्रमुख प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यह उपचुनाव है, जिसकी आवश्यकता पूर्व अध्यक्ष सुखचैन सिंह रमाणा के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के सफल होने के बाद पड़ी है. वर्तमान में भाजपा द्वारा मनोनीत हरजिंदर सिंह पिछले लगभग छह माह से अध्यक्ष पद पर विराजमान हैं। रिटर्निंग अधिकारी अमिता बिश्नोई एसडीएम पीलीबंगा द्वारा जारी प्रस्तावित अभ्यर्थियों की सूची के अनुसार, इंडियन नेशनल कांग्रेस की ओर से शारदा पूनिया, भारतीय जनता पार्टी की ओर से रणवीर कुमार डेलु और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सुखचैन सिंह रमाणा पूर्व अध्यक्ष फिर से मैदान में हैं। यह चुनाव पीलीबंगा के राजनीतिक परिदृश्य में एक अत्यंत दिलचस्प और करीबी मुकाबला होने की उम्मीद है। क्योंकि विजेता का निर्धारण नगर पालिका के चुने हुए पार्षदों द्वारा किया जाएगा।
प्रत्याशियों का विस्तृत विश्लेषण:
1. शारदा पूनिया इंडियन नेशनल कांग्रेस:
पृष्ठभूमि: वार्ड नं. 34, मंडी पीलीबंगा से ताल्लुक रखती हैं। शारदा पूनिया कांग्रेस के पारंपरिक गढ़ में एक मजबूत पकड़ रखती हैं। कांग्रेस का सुदृढ़ संगठनात्मक ढांचा और पार्टी कार्यकर्ताओं की एकजुटता उनके लिए एक बड़ा लाभ साबित हो सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि पूर्व में पार्षदों का चुनाव हो चुका है। और कांग्रेस के पास अधिक पार्षद हैं। यह संख्याबल शारदा पूनिया के पक्ष में एक बड़ा कारक है। पार्टी को अपने पार्षदों को एकजुट रखने और किसी भी तरह की क्रॉस-वोटिंग को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। 2. रणवीर कुमार डेलू भारतीय जनता पार्टी): वार्ड नं. 24, पीलीबंगा के निवासी रणवीर कुमार को भाजपा की राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय लोकप्रियता का सीधा लाभ मिल सकता है। केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारों की योजनाओं और नीतियों का असर उनके पक्ष में जा सकता है। हालांकि, पार्षदों की संख्या कांग्रेस के मुकाबले कम होने के बावजूद, भाजपा ने पिछले छह माह से हरजिंदर सिंह को अध्यक्ष पद पर बनाए रखा है, जो उनकी ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ और अन्य दलों के पार्षदों को साधने की क्षमता को दर्शाता है। भाजपा को अपने पार्षदों को एकजुट करने के साथ-साथ निर्दलीय और यदि संभव हो तो कांग्रेस के असंतुष्ट पार्षदों का समर्थन हासिल करने पर जोर देना होगा। 3. सुखचैन सिंह निर्दलीय: वार्ड नं. 20, रमाना की डेयरी, मंडी पीलीबंगा से पूर्व में कांग्रेस पार्षदों के समर्थन से अध्यक्ष रह चुके सुखचैन सिंह फिर से मैदान में है। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, जिससे उन्हें पद से हटना पड़ा था। इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े होकर उन्होंने मुकाबले को और अधिक रोचक बना दिया है। उनकी व्यक्तिगत छवि स्थानीय लोगों से सीधा जुड़ाव और किसी पार्टी विशेष के दबाव से मुक्त होने का दावा उन्हें कुछ पार्षदों का समर्थन दिला सकता है। वह दोनों प्रमुख दलों के असंतुष्ट पार्षदों को आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। उनकी पिछली जीत और बाद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने का अनुभव इस चुनाव में उनके लिए एक चुनौती और अवसर दोनों है।
कौन मार सकता है बाजी एक विस्तृत चर्चा:
इस उपचुनाव में बाजी कौन मारेगा, यह कहना बेहद मुश्किल है। क्योंकि परिणाम कई जटिल कारकों पर निर्भर करेगा। पार्षदों के चुनाव पहले ही हो चुके हैं। और संख्याबल में कांग्रेस मजबूत है। लेकिन पिछले छह माह से भाजपा के अध्यक्ष का पद पर रहना इस बात का प्रमाण है कि केवल संख्याबल ही निर्णायक नहीं होता। पार्षदों की संख्या और समर्थन सबसे महत्वपूर्ण कारक है। यह होगा कि किस पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को सर्वाधिक पार्षदों का समर्थन मिलता है। कांग्रेस के पास भले ही अधिक पार्षद हों, लेकिन भाजपा की ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ की क्षमता और निर्दलीय पार्षदों को अपने पक्ष में करने की रणनीति महत्वपूर्ण होगी। नगरपालिका चुनावों में दलबदल और क्रॉस-वोटिंग की संभावनाएं हमेशा रहती हैं। खासकर जब किसी पार्टी के पास स्पष्ट और स्थायी बहुमत न हो। निर्दलीय पार्षदों की भूमिका इस स्थिति में बेहद महत्वपूर्ण हो जाएगी। वे ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभा सकते हैं। और उनका समर्थन जिसे मिलेगा। उसी की जीत की संभावना बढ़ जाएगी। पीलीबंगा के स्थानीय राजनीतिक समीकरण, जातिगत समीकरण और विभिन्न गुटों का प्रभाव परिणाम को प्रभावित करेगा। यदि किसी दल के भीतर आंतरिक गुटबाजी होती है तो यह उनके उम्मीदवार की संभावनाओं को कमजोर कर सकता है। पूर्व अध्यक्ष सुखचैन सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के कारण पैदा हुई परिस्थितियां भी पार्षदों के रुख को प्रभावित कर सकती हैं। प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि, उनकी साफ-सुथरी राजनीति और उनका स्थानीय जनाधार पार्षदों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। सुखचैन सिंह का पूर्व अनुभव पार्षदों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास भी एक विचारणीय बिंदु रहेगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही अपने पार्षदों को एकजुट रखने और निर्दलीय पार्षदों का समर्थन हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगी। उनकी चुनाव से पहले और मतदान के दौरान की रणनीति, जिसमें पार्षदों को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए किए जाने वाले प्रयास शामिल हैं। यह उपचुनाव पीलीबंगा की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। पीलीबंगा की जनता ने पहले ही अपने पार्षदों को चुन लिया है। और अब वही चुने हुए पार्षद तय करेंगे कि उनकी नगरपालिका का अगला अध्यक्ष कौन होगा। कांग्रेस का संख्याबल, भाजपा की ‘फ्लोर मैनेजमेंट’ की क्षमता और निर्दलीय सुखचैन सिंह की व्यक्तिगत अपील के बीच यह एक कांटे की टक्कर होने वाली है। आने वाले दिनों में राजनीतिक गतिविधियां और तेज होंगी, जिससे तस्वीर और साफ होने की उम्मीद है। यह चुनाव निश्चित रूप से पीलीबंगा के राजनीतिक इतिहास में एक यादगार और रोमांचक अध्याय जोड़ेगा।